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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

खेत से प्लेट तक का सफर

  • 09 Nov 2017
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व की आधी से अधिक आबादी पोषक भोजन का सेवन नहीं कर रही है। कुछ लोगों के लिये भोजन केवल स्वाद का प्रश्न है। यही कारण है कि केवल स्वाद हेतु भोजन को प्राथमिकता देने वाले लोगों में अक्सर गैर-संचारी रोगों के होने की संभावना अधिक होती है, जिसका सीधा असर देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर परिलक्षित होता है। स्पष्ट रूप से यदि देश की स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था पर बोझ अधिक होगा, तो वह आर्थिक वृद्धि की राह में बाधा उत्पन्न करेगी। इसके इतर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें या तो पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध ही नहीं हो पाते है या फिर उन्हें खरीद पाना उनके सामर्थ्य से बाहर होता है, जिसके कारण उन्हें पूरी तरह से विकसित होने हेतु आवश्यक पोषक तत्व प्रात ही नहीं हो पाते हैं। इस समस्त विवरण से यह बात तो स्पष्ट है कि दुनिया का एक बड़ा हिस्सा आज भी पोषणयुक्त भोजन की आवश्यक पहुँच से दूर है। संभवतः हमारी खाद्य प्रणाली पोषण संबंधी आवश्यकताओं को उचित रूप से या तो पूर्ण कर सकने में असमर्थ है या फिर उसका प्रबंधन उस रूप में नहीं हो पा रहा है जिस रूप में इसकी आवश्यकता है।

इस दिशा में क्या प्रयास किये जा रहे हैं?

  • यदि इस संबंध में किये गये प्रयासों की समीक्षा की जाए तो ज्ञात होता है कि विभिन्न देशों द्वारा राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी इस संदर्भ में बहुत से महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए है। 
  • वैश्विक खाद्य प्रणालियों को पहले की अपेक्षा और अधिक बेहतर बनाने और उचित पोषण तथा आहार के लिये बहुत से महत्त्वपूर्ण सुधारों हेतु एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किया गया है। 
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization of the UN - FAO) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने स्वस्थ आहार और बेहतर पोषण के लिये सतत् खाद्य प्रणालियों पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। 
  • यह वर्ष 2014 में पोषण पर द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (Second International Conference on Nutrition) का अनुवर्ती रूप था। 
  • हालाँकि ये बड़े-बड़े सम्मेलन खाद्य उत्पादकों, किसानों, मछुआरों, आपूर्ति श्रृंखलाओं और प्रोसेसरों की पहुँच से कुछ हद तक दूर अवश्य प्रतीत होते है, परंतु वास्तविकता यह है कि ये सम्मलेन हमारी खाद्य प्रणाली में आवश्यक सुधार करते हुए खाद्य प्रणाली के मुख्य लक्ष्य को पोषण की आपूर्ति पर केन्द्रित करने का काम करते हैं। 
  • हालाँकि, पोषण के मुद्दे को हमेशा मुख्य केंद्र बिंदु बनाते हुए ही इस खाद्य प्रणाली के लक्ष्यों को तय किया जाना चाहिये, तथापि इस विषय में काफी ढील दी जाती रही है। 
  • संभवतः इसका एक कारण यह भी है कि भोजन में पोषक तत्वों की आपर्त्ति सुनिश्चित करना किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होती है। 
  • वर्तमान में नीति निर्माताओं द्वारा इस विषय में संवेदनशीलता का परिचय देते गंभीर प्रयास आरंभ किये जा रहे हैं।
  • दरअसल, हम जो भोजन खाते हैं, उसमें से अधिकांश हिस्सा छोटे-छोटे किसानों द्वारा निर्मित होता हैं, जिनमें से अधिकतर किसान बेहद गरीब और कुपोषित हैं। यही वज़ह है कि भोजन प्रणालियों में कुछ इस तरह से सुधार किये जाने चाहिये कि उक्त सुधारों का भोजन उपलब्ध कराने वाले किसानों को भी लाभ प्रात हो सके। यदि उनकी आजीविका में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएँ भी पूर्ण हो पाएंगी। 

सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का लक्ष्य

  • संभवतः इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals –SDGs) के अंतर्गत इस मुद्दे को भी शामिल किया गया। 
  • ध्यातव्य है कि सतत् विकास लक्ष्यों के अंतर्गत एक लक्ष्य यह भी निहित किया गया है कि लघुधारक (smallholders) द्वारा गतिशील ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रविष्टि बिंदु प्रदान किया जाना चाहिये। 
  • इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी तथा उच्च बाजार मूल्य तक इनकी पहुँच को सुनिश्चित भी किया जाना चाहिये।
  • उपरोक्त संदर्भों को ध्यान में रखते हुए हाल ही में बैंकाक में एफ.ए.ओ. और अन्य संयुक्त राष्ट्र सहयोगी देशों द्वारा एशिया और प्रशांत क्षेत्र  के पोषण संबंधी विशेषज्ञों एवं खाद्य प्रणाली क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों एवं संस्थाओं को एक मानक पर लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। 
  • स्पष्ट है कि स्वस्थ आहार और बेहतर पोषण के लिये सतत् खाद्य व्यवस्था पर एशिया-प्रशांत संगोष्ठी के परिणाम यू.एन.डी.ए.एन. (United Nations Decade of Action on Nutrition - 2016-2025) के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेंगे। 
  • इन लक्ष्यों की त्वरित प्रप्ति सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपने-अपने स्तर पर प्रयास किये जाने चाहिये। 

निष्कर्ष

स्पष्ट रूप से भोजन प्रणाली से संबद्ध प्रमुख कड़ियों को एक साथ जोड़े जाने से जहाँ एक ओर न केवल नीति निर्माताओं द्वारा पोषण के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सकता हैं, वहीं दूसरी ओर इससे खाद्य प्रणाली में शामिल सभी लोगों को (चाहे वो प्राथमिक स्तर पर खेतों में अनाज उगाने वाला किसान हो अथवा उसका प्रसंस्करण करने वाले श्रमिक या फिर उसे बेचने वाले व्यापारी अथवा उसका उपभोग करना वाला उपभोक्ता) लाभ भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये। खाद्य व्यवस्था में सुधारों का अंतिम लक्ष्य सभी को आवश्यक मात्रा में पोषण युक्त भोजन की आपूर्ति के साथ-साथ बेहतर आजीविका प्रदान करना होना चाहिये। हालाँकि, नीति निर्माताओं द्वारा इसी दिशा में प्रयास भी किये जा रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो ज़ीरो हंगर के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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