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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

क्लाउड सीडिंग

  • 30 Oct 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्लाउड सीडिंग और प्रकार, कृत्रिम वर्षा, संवहनी बादल

मेन्स के लिये:

क्लाउड सीडिंग और चिंताएँ, वायुमंडलीय परिसंचरण, जल संसाधन का अनुप्रयोग

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

क्लाउड सीडिंग वर्षा को बढ़ाने की एक अभूतपूर्व तकनीक है, जिसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे द्वारा संचालित अमेरिकन मौसम विज्ञान सोसायटी के जर्नल बुलेटिन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में केंद्र में रखा गया है।

  • अध्ययन में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में वर्षा को बढ़ावा देने के लिये क्लाउड सीडिंग की क्षमता का पता चलता है, जिससे सूखे की स्थिति से निपटने की उम्मीद जगी है। 

अध्ययन के प्रमुख बिंदु:

  • CAIPEEX चरण-4 जाँच:
    • क्लाउड एयरोसोल इंटरेक्शन और वर्षा वृद्धि प्रयोग (Cloud Aerosol Interaction and Precipitation Enhancement Experiment- CAIPEEX) चरण -4 वर्ष 2018 एवं 2019 के ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान सोलापुर (महाराष्ट्र) में आयोजित दो साल का अध्ययन था।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य गहरे संवहनी बादलों में हीड्रोस्कोपिक सीडिंग की प्रभावशीलता का आकलन करना और क्लाउड सीडिंग प्रोटोकॉल विकसित करना था।
      • शोधकर्त्ताओं ने क्लाउड सीडिंग के लिये कैल्शियम क्लोराइड फ्लेयर्स का उपयोग किया।
        • क्लाउड सीडिंग फ्लेयर ट्रिगर होने पर इन कणों को छोड़ता है। सीडिंग गर्म संवहन बादलों (Convective Clouds) के आधार पर और ऐसे समय में किया गया जब क्लाउड अपनी वृद्धि अवस्था में थे ताकि सीड के कण न्यूनतम फैलाव के साथ बादलों में प्रवेश कर सकें।
    • इस प्रयोग में क्लाउड पैरामीटर अध्ययन और क्लाउड सीडिंग के लिये दो विमानों को नियोजित किया गया।
  • क्लाउड सीडिंग की प्रभावशीलता:.
    • उपयुक्त परिस्थितियों में वर्षा बढ़ाने के लिये क्लाउड सीडिंग प्रभावी साबित हुई है।
    • एक यादृच्छिक सीडिंग प्रयोग में 276 संवहनशील मेघों का चयन किया गया, जिनमें 150 मेघ सीडिंग के अधीन थे और 122 बिना सीडिंग वाले।
      • वर्षा की क्षमता की पहचान विशिष्ट मेघ गुणों जैसे तरल जल सामग्री और ऊर्ध्वाधर गति द्वारा की गई थी।
      • लक्षित संवहनी मेघों के गहरे कपासी (Cumulus) मेघों में विकसित होने की संभावना थी और ये आमतौर पर एक किलोमीटर से अधिक सघन होते थे।
  • लाभ:
    • लागत-लाभ अनुपात:
      • शोध प्रयोग के दौरान क्लाउड सीडिंग के माध्यम से जल उत्पन्न करने की अनुमानित लागत 18 पैसे प्रति लीटर थी।
      • स्वदेशी सीडिंग विमान के उपयोग से लागत 50% से अधिक कम हो सकती है।
    • सूखे की स्थिति का प्रबंधन:
      • मात्र क्लाउड सीडिंग सूखे की स्थिति को पूरी तरह से कम नहीं कर सकती है, लेकिन जल की आवश्यकताओं संबंधी समास्याओं का आंशिक रूप से समाधान करते हुए, वर्षा में 18% की वृद्धि में योगदान दे सकती है।
      • कैचमेंट-स्केल परियोजनाओं के हिस्से के रूप में क्लाउड सीडिंग करने से सूखा प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
    • व्यावहारिक अनुप्रयोग:
      • क्लाउड सीडिंग से सोलापुर जैसे क्षेत्रों को काफी फायदा हो सकता है जो पश्चिमी घाट के निम्न क्षेत्र वाले भाग में स्थित है और न्यूनतम वर्षा वाला स्थान है।
      • क्लाउड सीडिंग ऐसे क्षेत्रों में जल की कमी के मुद्दों को कम करने की क्षमता रखता है।
  • माइक्रोफिज़िक्स और मेघ विशेषताएँ:
    • दो वर्ष के अध्ययन का उद्देश्य वर्षा बढ़ाने के लिये उपयुक्त संवहनी मेघों की माइक्रोफिज़िक्स विशेषताओं को उजागर करना था।
      • यह भारत में क्लाउड सीडिंग की योजना बनाने और संचालन के लिये व्यापक प्रोटोकॉल तथा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • मेघ परिवर्तनशीलता:
    • सभी कपासी मेघ क्लाउड सीडिंग पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं; यदि सीडिंग सही तरीके से की जाए तो लगभग 20-25% तक वर्षा हो सकती है।
    • क्लाउड माइक्रोफिज़िक्स व्यापक रूप से भिन्न होता है, जिससे क्लाउड सीडिंग के विभिन्न परिणाम सामने आते हैं।

संवहन मेघ:

  • संवहन मेघ वे मेघ होते हैं जो तब बनते हैं जब गर्म, आर्द्र वायु शीत वायु के माध्यम से वायुमंडल में ऊपर उठती है।
    • गर्म वायु आसपास की वायु की तुलना में कम सघन होती है, इसलिये ऊपर उठती है। इस प्रक्रिया को संवहन कहा जाता है।
    • संवहन मेघों को संचयी मेघों के रूप में भी जाना जाता है। वे कपास की गेंदों के ढेर की तरह दिखते हैं।
  • संवहन मेघ दो प्रकार के होते हैं: कपासी मेघ(Cumulus Clouds) और कपासी पक्षाभ मेघ (Cumulonimbus Clouds)।
    • कपासी मेघ: ये रुई जैसे सफेद बादल होते हैं जिनका निचला भाग सपाट और उपर से गोलकार होता है। वे आमतौर पर उपर उठती गर्म हवा की धाराओं से बनते हैं तथा अक्सर धूप वाले दिनों में देखे जाते हैं। कपासी मेघ ही कपासी-वर्षी मेघ बन सकते हैं, जो आमतौर पर गर्जना करते हैं।
    • कपासी पक्षाभ मेघ: अधिक ऊँचाई पर स्थित ये मेघ छोटे, सफेद और रुई जैसे मेघ के टुकड़ों के रूप में दिखाई देते हैं। इनका पैटर्न अक्सर अनियमित अथवा छत्ते (Honeycomb) जैसा होता है।

क्लाउड सीडिंग:

  • परिचय:
    • क्लाउड सीडिंग, शुष्क बर्फ या सामान्यतः सिल्वर आयोडाइड एरोसोल के मेघों के ऊपरी हिस्से में छिड़काव की प्रक्रिया है ताकि वर्षण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके वर्षा कराई जा सके।
    • क्लाउड सीडिंग में छोटे कणों को बड़ी बारिश की बूँदों में बदलने के लिये रसायनों के साथ मेघों पर छिड़काव करने के लिये विमानों का उपयोग किया जाता है।    

  • क्लाउड सीडिंग की विधियाँ:
    • स्टेटिक क्लाउड सीडिंग:
      • इस विधि में बर्फ के नाभिक, जैसे सिल्वर आयोडाइड या शुष्क बर्फ को ठंडे मेघों में प्रविष्ट कराना शामिल है, जिनमें सुपरकूल तरल जल की बूँदें होती हैं।
      • बर्फ के नाभिक बर्फ के क्रिस्टल या बर्फ के टुकड़ों के निर्माण को गति दे सकते हैं, जो पहले तरल बूँदों का रूप ले सकते हैं और फिर वर्षा के रूप में गिर सकते हैं।
    • डायनेमिक क्लाउड सीडिंग: 
      • डायनेमिक क्लाउड सीडिंग ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं को बढ़ावा देकर वर्षा को प्रेरित करने की एक विधि है।
      • इस प्रक्रिया को स्टैटिक क्लाउड सीडिंग की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है क्योंकि यह ठीक से काम करने वाली घटनाओं के अनुक्रम पर निर्भर करता है।
    • हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग: 
      • इस विधि में उष्म मेघों के आधार में फ्लेयर्स या विस्फोटकों के माध्यम से हाइग्रोस्कोपिक पदार्थों के बारीक कणों, जैसे नमक का छिड़काव करना शामिल है।
      • ये कण मेघ संघनन नाभिक के रूप में कार्य करते हैं और मेघ के बूंदों की संख्या एवं आकार को बढ़ा सकते हैं, जिससे मेघों की परावर्तनशीलता एवं स्थिरता को बढ़ावा  मिलता है।
  • अनुप्रयोग:
    • शीतकालीन हिमपात और पर्वतीय हिमखण्डों को बढ़ाने के लिये क्लाउड सीडिंग की जाती है, जो आसपास के क्षेत्रों में समुदायों के लिये प्राकृतिक जल आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है।
    • ओलावृष्टि को रोकने, कोहरे को समाप्त करने, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में वर्षा कराने तथा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भी क्लाउड सीडिंग की जा सकती है।
  • चुनौतियाँ:
    • क्लाउड सीडिंग के लिये नमी युक्त मेघों की उपस्थिति की आवश्यकता होती है, जो हमेशा उपलब्ध या पूर्वानुमानित नहीं होते हैं।
    • क्लाउड सीडिंग ऐसे समय में नहीं हो सकती है जब अतिरिक्त वर्षा समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है, जैसे उच्च बाढ़ जोखिम या व्यस्त अवकाश यात्रा अवधि के दौरान।
    • क्लाउड सीडिंग का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे प्राकृतिक जल चक्र में परिवर्तन, मृदा एवं जल को रसायनों से दूषित करना या स्थानीय जलवायु को प्रभावित करना।
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