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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • 31 Oct 2017
  • 4 min read

संदर्भ 

हाल ही में ‘द लांसेट मेडिकल जनरल’ द्वारा प्रकाशित एक नए शोध में यह उल्लेख किया गया है कि विश्व के तापमान में निरंतर हो रही वृद्धि के परिणामस्वरूप ग्रामीण श्रम की उत्पादकता में वर्ष 2000 से वर्तमान समय तक 5.3% की गिरावट दर्ज़ की गई है। ध्यातव्य है कि वर्ष 2016 में जलवायु परिवर्तन के कारण ही विश्वभर में 9,20,000 व्यक्तियों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा था। विडंबना यह है कि इन 9,20,000 व्यक्तियों में से 4,18,000 व्यक्ति केवल भारत में हैं।

प्रमुख बिंदु

  • जलवायु परिवर्तन ने अनेक प्रकार से लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। लांसेट आयोग का यह शोध वर्ष 2015 में ‘स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन’ पर लांसेट आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ‘द लांसेट काउंटडाउन : ट्रैकिंग प्रोग्रेस ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ (The Lancet Countdown: Tracking Progress on Health and Climate Change)  पर आधारित है।
  • इसमें यह निष्कर्ष दिया गया है कि मानवजनित कार्यों के कारण जलवायु परिवर्तन होगा जिससे विगत 50 वर्षों में मानव स्वास्थ्य में देशों द्वारा जो भी उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं, वे खतरे में पड़ जाएंगी।
  • आज जलवायु परिवर्तन विश्व समुदाय को प्रभावित कर रहा है। इससे सबसे अधिक प्रभावित वे लोग होते हैं, जो इसके लिये सबसे कम ज़िम्मेदार हैं। इसके अतिरिक्त इससे समाज के सर्वाधिक संवेदनशील वर्गों के लोग भी प्रभावित होते हैं।
  • चीन, बांग्लादेश, भारत और इंडोनेशिया ऐसे देश हैं, जहाँ वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं।
  • यदि उपयुक्त कदम नहीं उठाये जाते तो बर्फ की चादरों के पिघलने से समुद्र के स्तर में वृद्धि होगी। अतः आगामी 90 वर्षों के भीतर विश्व के 1 बिलियन से अधिक लोगों को देशांतरण की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
  • विश्व भर के शहरों में से करीब 87% शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदूषण के संबंध में जारी किये गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।
  • वर्ष 2000 से अब तक मौसम संबंधी घटनाओं में 46% की वैश्विक वृद्धि हुई है।  जलवायु संबंधी चरम मौसमी घटनाओं के कारण वर्ष 2016 में कुल 129 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ था।
  • इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि आज जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इसमें यह भी दर्शाया गया है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का शीघ्र समाधान करके ही वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
  • लांसेट रिपोर्ट द्वारा जारी किये गए ये परिणाम काफी चुनौतीपूर्ण हैं, परन्तु हमारे पास अभी भी यह अवसर है कि हम आपातकालीन चिकित्सा का उपयोग लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिये करें। इसके साथ ही हरित गृह गैसों के प्रभाव को कम करने के लिये शीघ्र ही सख्त कदम उठाने होंगे। इससे स्वास्थ्य तथा आर्थिक दोनों लाभ होगें। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो विश्वभर के लगभग सभी देशों और यहाँ तक कि जीव जन्तुओं को भी नुकसान पहुँच सकता है।
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