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सामाजिक न्याय

जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा

  • 16 Sep 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा, पश्चिमी विक्षोभ, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO), हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD)

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और खाद्य सुरक्षा

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत को वर्ष 2023 में कई गंभीर मौसमी और जलवायवीय परिघटनाओं का सामना करना पड़ा, जो इसकी वर्षा प्रणाली की जटिलता को दर्शाता है तथा इसका भारत की खाद्य सुरक्षा पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

मौसम और जलवायवीय परिघटनाएँ:

  • पश्चिमी विक्षोभ: 
    • पश्चिमी हिमालय और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में यूरोपीय समुद्रों से परंपरागत रूप से सर्दियों एवं वसंत ऋतु में नमी लाने का श्रेय पश्चिमी विक्षोभ को जाता है।
    • वर्ष 2023 में पश्चिमी विक्षोभ ग्रीष्म ऋतु के अंत तक जारी रहा है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में बदलाव और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया। इस असामान्य स्थित ने वर्षा पैटर्न पर पड़े प्रभाव को अधिक चिंतनीय बना दिया है।
    • जलवायु संबद्ध तापन/वार्मिंग के चलते पश्चिमी विक्षोभ के कारण शीत ऋतु के दौरान होने वाली वर्षा में कमी संभावित है तथा शेष समय में यह अधिक वर्षा व उससे संबद्ध घटनाओं का कारण बन सकती है।
  • अल नीनो और हिंद महासागर द्विध्रुव:
    • ENSO में अल नीनो चरण में तीव्रता आने से दक्षिण पश्चिम मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
      • हालाँकि अपनी जटिलता के कारण अल नीनो की सभी घटनाओं का मानसून पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है, यह अल नीनो और मानसून के बीच संबंधों में बदलाव का सूचक है।
      • हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) दक्षिण-पश्चिम मानसून पर अल नीनो के प्रतिकूल प्रभाव को संतुलित कर सकता है।
      • डायनामिक रिग्रेशन मॉडल से संकेत मिलते हैं कि ENSO और IOD का संयुक्त प्रभाव दक्षिण-पश्चिम मानसून में 65% अंतर-वार्षिक परिवर्तनशीलता के लिये उत्तरदायी है।
      • कुछ अध्ययनों के अनुसार, पूर्वोत्तर मानसून में 43% भारी वर्षा का कारण अल नीनो था।

जलवायवीय घटनाओं का कृषि और जल संसाधनों पर प्रभाव:

  • ग्रीन वाटर पर अल नीनो का प्रभाव:
    • कृषि कार्य दो प्रकार के जल पर निर्भर है- वर्षा के कारण मृदा में व्याप्त नमी से प्राप्त ग्रीन वाटर और सिंचाई के लिये नदियों, झीलों, जलाशयों तथा भूजल से प्राप्त ब्लू वाटर।  खाद्य सुरक्षा के लिये ये दोनों जल महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अल नीनो जैसी जलवायु घटनाओं का वर्षा आधारित कृषि पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे अंततः बुआई, पौधों की वृद्धि तथा मृदा की नमी प्रभावित हो सकती है।
    • सिंचाई हेतु बुनियादी ढाँचे में निवेश के बावजूद भारत का लगभग आधा कृषि योग्य क्षेत्र ग्रीन वाटर पर निर्भर है, जो खाद्य सुरक्षा के लिये वर्षा आधारित कृषि के महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • सर्दियों में बोई जाने वाली रबी फसलों की उत्पादकता और समग्र जल सुरक्षा मानसून एवं पश्चिमी विक्षोभ से प्राप्त ग्रीन वाटर के योगदान से निर्धारित होती है, ये ब्लू वाटर के भंडार और भूजल के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • फसल की सुभेद्यता पर अल नीनो का प्रभाव: 
    • सिंचित क्षेत्रों में धान, सोयाबीन, अरहर दाल, मूँगफली और मक्का जैसी फसलों की ग्रीन वाटर पर निर्भरता उन्हें जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। उदाहरण के लिये 2015-2016 अल नीनो वर्ष के दौरान सोयाबीन के उत्पादन में 28% की गिरावट देखी गई।

मानसूनी वर्षा में गिरावट का भारत में उभरते जलवायु हॉटस्पॉट पर प्रभाव:

  • मध्य भारत में जल संकट: 
    • मध्य भारत के कुछ क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहे हैं, जिसका जल, भोजन और पर्यावरण सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
    • महानगरीय क्षेत्रों में जल की कमी और निरंतर जल संकट विभिन्न समस्याएँ पैदा करता है।
  • मानसूनी वर्षा में कमी: 
    • 1950 के दशक से ही संभवतः समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण होने वाले भूमि-समुद्र तापमान में बदलाव की वजह से मानसूनी वर्षा में गिरावट देखी गई है।
    • हालाँकि बारिश और हीट स्ट्रेस की घटनाओं की बढ़ती तीव्रता अंततः मौसमी जटिलता में वृद्धि करती है।
  • मॉडल संबंधी अनिश्चितताएँ: 
    • वैश्विक जलवायु मॉडल प्रेक्षित वर्षा प्रवृत्तियों का अनुकरण का प्रयास करते हैं, जिससे भविष्य के अनुमानों में अनिश्चितताएँ पैदा होती हैं। जलवायु वैज्ञानिक इन मॉडलों को बेहतर बनाने के लिये लगातार प्रयास कर रहे हैं।

अनुकूलन और शमन रणनीतियाँ:

  • जल की कम खपत वाली फसलों को अपनाना:
    • कदन्न (मोटा अनाज/श्री अन्न/ मिलेट्स) जैसी जल की कम खपत वाली फसलों की ओर संक्रमण से जल-गहन फसलों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी जिसके परिणामस्वरूप अल नीनो जैसी घटनाओं के प्रति खाद्य प्रणाली के लचीलेपन में वृद्धि हो सकती है।
    • इस तरह की फसलों को अपनाने से 30% तक ब्लू वाटर की बचत हो सकती है, लेकिन बचाए गए जल की नई मांगों पर अंकुश लगाने के लिये नई नीतियों की आवश्यकता है।
  • वैकल्पिक फसल रणनीतियाँ:
    • किसानों को कम अवधि में उगने वाली फसलें की खेती करने और कृषि पद्धतियों में विविधता लाने के लिये प्रोत्साहित करना।
  • बेहतर पूर्वानुमान: 
    • सूचित निर्णय लेने के लिये अल नीनो जैसी जलवायु घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना।
  • जल संग्रहण प्रबंधन: 
    • बाढ़ के जोखिमों और पारिस्थितिकी हानि को कम करने के लिये बाँधों एवं जलाशयों का प्रभावी प्रबंधन आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ऐसा संदेह है कि ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में आई बाढ़ का कारण ला नीना था। ला नीना, अल नीनो से किस प्रकार भिन्न है? (2011)

  1. ला नीना में विषुवत रेखीय हिंद महासागर का तापमान आमतौर पर कम होता है, जबकि अल नीनो में विषुवत रेखीय प्रशांत महासागर का तापमान असामान्य रूप से अधिक हो जाता है। 
  2. अल नीनो का भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है लेकिन ला नीना का मानसूनी जलवायु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (D)


प्रश्न. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2oC से अधिक नहीं बढ़ना चाहिये। यदि विश्व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 3oC के परे बढ़ जाता है, तो विश्व पर उसका संभावित असर क्या होगा? (2014)

  1. स्थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत की ओर प्रवृत्त होगा।
  2. विस्तृत प्रवाल मर्त्यता घटित होगी।
  3. सभी भूमंडलीय आर्द्रभूमियाँ स्थायी रूप से लुप्त हो जाएंगी।
  4. अनाजों की खेती विश्व में कहीं भी संभव नहीं होगी।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से फसलों के किस युग्म को जल गहन माना जाता है?

(a) गेहूँ और चावल
(b) गेहूँ और गन्ना
(c) गन्ना और चावल
(d) गेहूँ और चना

उत्तर: C


मेन्स:

प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017)

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