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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन दे रहा है रेलवे के माध्यम से सिल्क रोड परियोजना को आकार

  • 06 Apr 2017
  • 6 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि चीन की महान दीवार के समीप स्थित बैडलिंग (Badaling) अनुभाग में एक भूमिगत रेलवे स्टेशन का कार्य निर्माणाधीन अवस्था में है| यह 174 किलोमीटर का उच्च गति वाला एक रेलवे स्टेशन है (जिसका प्रारंभ बीजिंग के उत्तरी स्टेशन से होता है)| इस रेलवे स्टेशन का कार्य वर्ष 2022 तक पूर्ण होने की संभावना व्यक्त की जा रही है| इसका मुख्य कारण यह है कि वर्ष 2022 में चीन शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेज़बानी करने वाला है|

प्रमुख बिंदु

  • इस उच्च गति युक्त स्टेशन के माध्यम से फीडर लाइनों द्वारा पर्यटकों और खेल प्रंशसकों को ज़हाँगजीकोऊ (Zhangjiakou) तक ले जाया जाएगा| ध्यातव्य है कि ज़हाँगजीकोऊ चीन में खेलों का एक बहुत महत्त्वपूर्ण एवं बड़ा स्थल है|
  • उल्लेखनीय है कि यह चीन का पहला भूमिगत उच्च गति युक्त रेलवे स्टेशन है| 
  • ध्यातव्य है कि चीन की महान दीवार के समीप बनने वाले इस रेलवे स्टेशन एवं इससे होकर गुजरने वाली रेलों से होने वाले कम्पनों से दीवार को कोई खतरा न पहुँचे, इस बात को मद्देनज़र रखते हुए ज़मीन से नीचे 300 मीटर की गहराई तक खुदाई की जा रही है|
  • भारतीय परिदृश्य में यहाँ सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बैडलिंग में हो रहा इस रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य उस सामरिक प्रोजेक्ट का ही एक भाग है जिसे बेल्ट और सड़क पहल (BRI) के साथ समन्वित किया गया है|
  • गौरतलब है कि यह चीन का एक विशाल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है जो कि अधिकांशतः प्राचीन रेशम मार्ग से लगा हुआ है| जैसा की हम सभी जानते हैं कि रेशम मार्ग पूर्व में एशिया को यूरोप से जोड़ता था| वर्तमान में चीन पुन: इसे निर्मित करने की कार्ययोजना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है|

परियोजना के पीछे का उद्देश्य

  • वस्तुतः यह 174 किलोमीटर का अनुभाग चीन के उत्तरी पश्चिमी उच्च गति युक्त कॉरिडोर का एक भाग है जो बीजिंग को लंज्हाओ (Lanzhou) से जोड़ेगा| लंज्हाओ चीन के उत्तर-मध्य में पीली नदी (Yellow river) से लगा हुआ एक शहर है|
  • गौर करने वाली बात यह है कि इस परियोजना के क्रियान्वयन से पहले ही लंज्हाओ को शिनजियांग क्षेत्र की राजधानी उरुमकी (Urumqi) के साथ एक उच्च गति वाली परियोजना के माध्यम से जोड़ा जा चुका है| उरुमकी मध्य और दक्षिण एशिया में प्रवेश करने के लिये चीन का मुख्य प्रवेशद्वार है|
  • ऐसे में बीजिंग-लंज्हाओ वाले उच्च गति युक्त स्टेशन का निर्माण कार्य पूर्ण होते ही चीन की राजधानी बीजिंग से शिनजियांग के प्रशासनिक केंद्र तक की यात्रा 17 घंटे में पूर्ण करना बहुत आसान हो जाएगा|

ऊर्जा सुरक्षा

  • उल्लेखनीय है कि मध्य एशिया के प्रवेशद्वार के अतिरिक्त शिनजियांग चीन की ऊर्जा सुरक्षा के लिये भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है|
  • ध्यातव्य है कि पश्चिम-पूर्व गैस पाइपलाइन की एक श्रृंखला को मध्य एशिया से होते हुए चीन की औद्योगिक भूमि को ऊर्जा प्रदान करने के लिये ले जाया जाएगा|

सीआरईसी का कार्य क्षेत्र

  • सीआरईसी दक्षिण भारत में बी.आर.आई. (Belt and Road Initiative) का विस्तार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है| ध्यातव्य है कि यह वही कंपनी है जो बांग्लादेश में पद्मा ब्रिज रेल लिंक प्रोजेक्ट पर भी कार्य कर रही है|
  • इस कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, 3.14 बिलियन डॉलर की उक्त परियोजना (Padma Bridge Rail Link project) के अंतर्गत 168.8 किलोमीटर के रेलवे का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें पद्मा नदी पर 6 किलोमीटर की लंबाई वाले एक पुल का भी निर्माण किया जाएगा|

अन्य महत्त्वपूर्ण पक्ष

  • चीन द्वारा इस परियोजना को हाथ में लेने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि चीन पद्मा परियोजना को बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारे के रूप में देखता है जो कि बी.आर.आई. का ही एक दूसरा हिस्सा है|
  • एक संभावना के अनुसार, चीन बी.सी.आई.एम. (बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार) आर्थिक गलियारे के तहत चीन के कुनमिंग (Kunming) शहर की भारत के कोलकाता तक जोड़ने की योजना बना रहा है|
  • उल्लेखनीय है कि 2800 किलोमीटर का यह आर्थिक गलियारा चीन के यूनान प्रान्त (जिसकी राजधानी कुनमिंग है) में प्रवेश करने से पूर्व पश्चिम बंगाल, असम, बांग्लादेश, मणिपुर और म्यांमार से होकर गुजरेगा|
  • इतना ही नहीं इस मार्ग में चीन द्वारा औद्योगिक पार्कों, साइबर सिटी, सॉफ्ट पॉवर केंद्रों और पर्यटन केंद्रों को भी स्थापित करने की भी अपेक्षा की जा रही है|
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