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केंद्र ने जारी किया मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून

  • 23 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में कृषि मंत्रालय ने मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट, 2018 जारी कर दिया। इसमें किसानों के हितों के संरक्षण पर पर जोर दिया गया है। एक्ट में माना गया है कि जब दो पार्टियाँ कॉन्ट्रैक्ट में शामिल होती हैं, तो किसान का पक्ष कमज़ोर होता है। अतः उसके हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अति आवश्यक है।

प्रमुख बिंदु 

  • एक्ट में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अलावा मूल्य श्रृंखला के अंतर्गत आने वाले उत्पादन-पूर्व, उत्पादन, और उत्पादन के बाद के सेवा अनुबंधों को भी शामिल किया गया है।
  • एक्ट में कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत आने वाले उत्पाद को फसल / पशुधन बीमा के तहत कवर किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एपीएमसी अधिनियम के दायरे से बाहर होगी।
  • एक्ट में कहा गया है कि किसान की भूमि या परिसर में कोई भी स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता है और प्रायोजक के नाम पर भूमि से संबंधित कोई भी अधिकार हस्तांतरित नहीं हो सकता है।
  • एक्ट के अनुसार, छोटे और सीमांत किसानों को संगठित करने के लिये किसान उत्पादक संगठनों  (एफपीओ) / किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) को प्रोत्साहन प्रदान किया गया है।
  • एफपीओ और एफपीसी को यदि किसानों द्वारा अधिकृत किया जाए, तो ये भी कॉन्ट्रेक्टिंग पार्टियाँ बन सकती हैं।
  • गाँव और पंचायत स्तर पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग सुविधा समूह (सीएफएफजी) उपलब्ध कराया जाएगा।
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की अवधारणा कृषि की एक प्रणाली को संदर्भित करती है, जिसमें कृषि-प्रसंस्करण / निर्यात या व्यापार इकाइयाँ किसी कृषि उत्पाद की निश्चित मात्रा की पूर्व-निर्धारित मूल्य पर खरीदारी हेतु किसानों के साथ एक अनुबंध (Contract) करती हैं।
  • कपास, गन्ना, तंबाकू, चाय, कॉफी, रबर जैसी वाणिज्यिक फसलों की खेती में पूर्व समय से ही  अनौपचारिक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तत्त्व मौजूद हैं।
  • 2017-18 के बजट में मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट के निर्माण की घोषणा की गई थी।

इस संबंध में मौजूदा नियामक संरचना क्या है?  

  • वर्तमान में कुछ राज्यों में अनुबंध खेती के लिये कृषि उत्पाद विपणन समिति (Agricultural Produce Marketing Committee -APMC) के द्वारा पंजीकरण किये जाने की आवश्यकता होती है।  
  • इसका अर्थ यह है कि अनुबंध समझौतों को एपीएमसी के साथ दर्ज किया जाता है जो इन अनुबंधों से उत्पन्न होने वाले विवादों को हल करने का काम करती है। 
  • इसके अलावा, अनुबंध खेती करने के लिये एपीएमसी को बाज़ार शुल्क और लेवी का भुगतान किया जाता है। 
  • मॉडल एपीएमसी अधिनियम, 2003 के तहत राज्यों को अनुबंध खेती से संबंधित कानूनों को लागू करने संबंधी अधिकार प्रदत्त किये जाते हैं। 
  • इस अधिनियम के परिणामस्वरूप 20 राज्यों द्वारा अपने एपीएमसी अधिनियमों में अनुबंध खेती हेतु संशोधन किये गए हैं, इतना ही नहीं, पंजाब में तो अनुबंध खेती पर अलग से एक कानून का निर्माण किया गया है।
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