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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ई-कॉमर्स क्षेत्र के विस्तार हेतु भारत सरकार के प्रयास

  • 26 Oct 2017
  • 5 min read

संदर्भ 

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार देश के बाहर (जिसमें अफ्रीका और दक्षिण एशिया शामिल हैं) के बाज़ारों की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालने के उद्द्देश्य से ई- वाणिज्य क्षेत्र का विस्तार करने हेतु एक नई नीति पर कार्य कर रही है। विदित हो कि इस पहल की शुरुआत ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत ई-कॉमर्स का विस्तार करने हेतु एक नीतिगत ढाँचे को तैयार कर रहा है। इसके निम्नलिखित दो पहलू होंगे-

♦ भारत के अन्दर ही ई-कॉमर्स के विस्तार को बढ़ावा देना।  
♦ ई-कॉमर्स का विस्तार देश से बाहर करना।   तात्पर्य यह है कि भारत की ई-कॉमर्स अर्थव्यवस्था सीमापारीय होनी चाहिये तथा इसे विदेशी बाज़ारों से भी पूंजी का सृजन करना चाहिये।

  • दरअसल, वर्तमान में वाणिज्य मंत्रालय दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, सार्क देशों (जैसे अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका) तथा ब्रिक्स सहयोगियों (ब्राज़ील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका ) के बाज़ारों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर रहा है।
  • वर्तमान में भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार 30 बिलियन डॉलर का है और सरकार यह अपेक्षा रखती है कि वर्ष 2024-25 तक यह लगभग 150 बिलियन डॉलर का हो जाएगा।
  • मंत्रालय के अनुसार, देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था की शुरुआत वर्ष 2024-25 तक लगभग 30 मिलियन लोगों के लिये रोज़गार का सृजन करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • जहाँ टेलीकॉम, आईटी/आईटीईएस क्षेत्र 8.9 मिलियन, 8.8 मिलियन और 6.5 मिलियन रोज़गारों के साथ भारत के तीन प्रमुख रोज़गार प्रदाता क्षेत्रों में शामिल होंगे, वहीं ई-कॉमर्स क्षेत्र भी 6 मिलियन लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराएगा। इस प्रकार यह रोज़गारों के सृजन में बड़ी भूमिका निभाएगा।
  • भारत सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये इंटरनेट ऑफ थिंग्स के अलावा भारत को डाटा विश्लेषण, क्लाउड कंप्यूटिंग और वित्तीय प्रौद्योगिकी का केंद्र बनने के लिये भी एक रणनीति तैयार कर रही है। इसके अतिरिक्त, डाटा विश्लेषण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये 5 लाख संसाधनों को विकसित  करने हेतु एक ढाँचा तैयार किया जा रहा है जिसे इस वर्ष के अंत में स्वीकृति भी दे दी जाएगी।

डाटा संरक्षण अधिनियम

  • डाटा संरक्षण अधिनियम का प्रारूप दिसंबर 2017 तक बनकर तैयार हो जाएगा। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था (जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है) के लिये एक नीतिगत ढाँचा उपलब्ध कराएगा।
  • सरकार मार्च 2018 तक मोबाइल उपकरणों और मोबाइल एप्लीकेशनों के लिये भी एक सुरक्षा ढाँचा तैयार करेगी।

ई-कॉमर्स

  • वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी और उन्नत कंप्यूटर नेटवर्कों के माध्यम से ई-कॉमर्स  का उपयोग कर व्यापारिक गतिविधियों को बेहतर बनाया जा सकता है। ई-कॉमर्स इलेक्ट्रॉनिक चैनलों जैसे-इंटरनेट द्वारा की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खरीद और बिक्री को दर्शाता है।
  • ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक में की गई थी। इंटरनेट की व्यापक उपलब्धता से 1990 और 2000 के आरंभिक दशक में ऑनलाइन विक्रेताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  • किसी भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अथवा उपभोक्ता आधारित खरीद बाज़ार के समान ही ई-कॉमर्स क्षेत्र का भी निरंतर विस्तार हो रहा है। चूँकि आज मोबाइल उपकरण काफी लोकप्रिय हो गए हैं, अतः मोबाइल वाणिज्य भी एक प्रकार का बाज़ार ही बन गया है।  
  • ई- कॉमर्स के बाज़ार का बदलता स्वरूप कारोबारों को उनकी प्रासंगिकता में सुधार करने तथा उनके बाज़ार का विस्तार ऑनलाइन जगत तक करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
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