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भारतीय अर्थव्यवस्था

GST पर आपदा उपकर

  • 23 May 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

वस्तु एवं सेवा कर, आपदा उपकर

मेन्स के लिये

GST क्षतिपूर्ति से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से निपटने के लिये केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) पर आपदा उपकर (Calamity Cess) लगाने पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि वित्त मंत्री के समक्ष GST पर 5 प्रतिशत वाली स्लैब के अतिरिक्त अन्य सभी स्लैबों से अतिरिक्त धन जुटाने के लिये आपदा उपकर का प्रस्ताव रखा गया है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A(4)(F) के अनुसार, GST परिषद किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान उपकर लागू करने की सिफारिश कर सकती है।
  • इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार राज्यों को GST का मुआवजा देने के लिये बाज़ार ऋण लेने पर भी विचार कर रही है। साथ ही मुआवज़े की समय सीमा के विस्तार पर भी विचार कर रही है।

आलोचना

  • हालाँकि विभिन्न विश्लेषक केंद्र सरकार के इस विचार को उचित नहीं मान रहे हैं, क्योंकि देश के उद्योग पहले से ही गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।
  • इस प्रकार के उपकर से उपभोक्ताओं पर काफी प्रभाव पड़ेगा। इन सभी विषयों पर विचार करने के लिये कुछ समय में GST परिषद की बैठक बुलाई जाएगी।
    • GST परिषद केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली एक संवैधानिक संस्था है और इसमें सभी राज्यों के वित्त/राजस्व और वित्त राज्य मंत्री शामिल होते हैं। यह GST से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिशें/सुझाव देती है।

केरल का उदाहरण

वर्ष 2018 में केरल में मानसून के समय आई बाढ़ के बाद वित्तीय संसाधन जुटाने के लिये केरल सरकार ने अगस्त, 2019 में दो वर्ष की अवधि के लिये पहली बार आपदा राहत उपकर (Disaster Relief Cess) अधिरोपित करने की घोषणा की थी। इस प्रकार केरल वह एकमात्र राज्य है जिसने इस प्रकार का उपकर लागू किया है। उल्लेखनीय है कि GST परिषद की सिफारिशों के अनुसार ही, GST कानून में संशोधन किये गए थे और केरल सरकार को 1 प्रतिशत उपकर लगाने की अनुमति दी गई थी।

GST क्षतिपूर्ति

  • 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद 1 जुलाई, 2017 से GST संपूर्ण देश में लागू हो गया। इसमें बड़ी संख्या में केंद्र और राज्य स्तर पर लगने वाले अप्रत्यक्ष कर एक ही कर में विलीन हो गए।
  • केंद्र ने GST के लागू होने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक GST कार्यान्वयन के कारण कर राजस्व में आने वाली कमी के लिये राज्यों को क्षतिपूर्ति देने का वादा किया था। केंद्र सरकार के इस वादे के चलते बड़ी संख्या में अनिच्छुक राज्य नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर हस्ताक्षर करने के लिये सहमत हो गए थे।
  • GST अधिनियम के तहत वर्ष 2022 यानी GST कार्यान्वयन के बाद पहले पाँच वर्षों तक GST कर संग्रह में 14 प्रतिशत से कम वृद्धि (आधार वर्ष 2015-16) दर्शाने वाले राज्यों के लिये क्षतिपूर्ति की गारंटी दी गई है। केंद्र द्वारा राज्यों को प्रत्येक दो महीने में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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