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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कैबिनेट ने दी 10 स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों को मंज़ूरी

  • 18 May 2017
  • 6 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि केंद्र सरकार 10 स्वदेशी ‘दाबित भारी जल रिएक्टरों’ (pressurised heavy water nuclear reactors) के निर्माण के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे चुकी है| इनकी कुल क्षमता 7,000 मेगावाट है|

प्रमुख बिंदु

  • इनमें से प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता 700 मेगावाट होगी| वस्तुतः देश में पहले से ही 6,780 मेगावाट की क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र कार्यरत हैं और लगभग 6,700 मेगावाट की क्षमता वाले संयंत्रों का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिन्हें वर्ष 2021-22 तक स्थापित कर दिया जाएगा|
  • दरअसल, यह निर्णय इसलिये लिया गया क्योंकि वर्तमान में भारत परमाणु प्रोजेक्टों के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की समस्या का सामना कर रहा है| 
  • ये दस संयंत्र घरेलू विनिर्माणकर्र्ताओं  को 70,000 करोड़ रुपए का कारोबार मुहैया कराएंगे तथा 33,400 रोज़गारों का सृजन करेंगे| हालाँकि, इनके पूर्ण होने की समय सीमा अभी निर्धारित नहीं की गई है| 
  • सरकार द्वारा दी गई इस स्वीकृति से भारत की तकनीकी योग्यताओं को बढ़ाने के लिये भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमताओं पर सरकार द्वारा किये गए विश्वास का पता चलता है| 
  • भारत के परमाणु ऊर्जा निगम के अनुसार, वर्ष 2016-17 में भारत ने 37,674 मिलियन इकाई परमाणु ऊर्जा का उत्पादन किया था| वर्तमान में राजस्थान और गुजरात में दो बड़े प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,400 मेगावाट है| इन दोनों संयंत्रों (जिनमें से प्रत्येक 700 मेगावाट की दो इकाइयों से मिलकर बना है) का परीक्षण किया जा रहा है|
  • ये दस संयंत्र भारत के 700 मेगावाट दाबित भारी जल रिएक्टर के नवीनतम डिज़ाइन का हिस्सा होंगे|
  • इनके अलावा, कैबिनेट ने एक कोयला लिंकेज नीति को भी स्वीकृति प्रदान की है| इसे भारत में कोयले के पारदर्शितापूर्ण दोहन और वितरण (Harnessing and Allocating Koyala Transparently in India- Shakti) के नाम से भी जाना जाता है| इस नीति के अंतर्गत कोयले के संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति की जाएगी| वैसे, इसे पहले से ही ‘आश्वासन पत्र’(letters of assurance) प्राप्त हो चुके हैं होंगे|
  • भविष्य में कोयला लिंकेज, केंद्र और राज्य की उत्पादन कंपनियों को ऊर्जा मंत्रालय की अनुशंसाओं पर ही दिये जाएंगे|
  • ऐसे संयंत्र जिनके पास ‘ऊर्जा खरीद ज्ञापन’ होगा परन्तु ‘ईंधन आपूर्ति ज्ञापन’ नहीं होगा, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बिजली की आपूर्ति करते समय कितनी छूट देंगे| छूट से प्राप्त धन वितरण कंपनियों को दिया जाएगा|
  • स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों को ऊर्जा खरीद के बिना कोयले की आपूर्ति करने के लिये भविष्य में कोयला का वितरण नीलामी के आधार पर किया जाएगा, जहाँ कोयला लिंकेज के लिये नीलामी बोली कोल इंडिया द्वारा निर्धारित किये गए मूल्यों के आधार पर लगाई जाएगी| इस प्रकार सफलतापूर्वक बोली लगाने वालों को ही आश्वासन पत्र दिया जाएगा|
  • उल्लेखनीय है कि भारत के पास कोयले का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है, परन्तु यहाँ अभी भी 83,100 मेगावाट के कई संयंत्र ऐसे हैं जो विदेशी कोयले पर निर्भर हैं|
  • पूर्व की सरकारों ने घरेलू क्षमता को बढ़ाने के स्थान पर ऐसे संयंत्रों को स्थापित किया था| अतः भारत को आज भी कोयले का आयात करना पड़ता है, क्योंकि इन संयंत्रों में केवल विदेशी कोयले का ही उपयोग किया जा सकता है|
  • नई नीति के तहत क्रियान्वयन हेतु रखे गए संयंत्र और पहले से ही स्थापित संयंत्र अथवा भविष्य में स्थापित किये जाने वाले संयंत्रों में से सभी को कोयले की आपूर्ति की जाएगी|

क्या है दाबित भारी जल रिएक्टर?

  • यह एक ऊर्जा रिएक्टर है|
  • इसमें मंदक तथा शीतलक के रूप में भारी जल (ड्यूटीरियम ऑक्साइड) का प्रयोग किया जाता है|
  • इसमें ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम का प्रयोग किया जाता है|
  • जल के तापमान को शीघ्र ही अधिकतम करने के लिये इसमें जल को सामान्य दाब के स्थान पर उच्च दाब पर रखा जाता है|
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