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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जापान के साथ प्राकृतिक गैस कार्गो-स्वैप समझौते को कैबिनेट की मंज़ूरी

  • 13 Oct 2017
  • 6 min read

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने ‘गैस एक्सचेंज’ (gas exchange) का सृजन करने के उद्देश्य से व्यापक द्विपक्षीय समझौते के एक भाग के रूप में जापान के साथ एक ‘कार्गो-स्वैपिंग’ व्यवस्था (cargo-swapping arrangement) को मंजूरी दे दी है।  विदित हो कि इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक गैस आयात के लिये भारत की रसद लागतों (logistical costs)  में कमी आएगी।  

प्रमुख बिंदु

  • दरअसल, पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा भी जापान के साथ एक अन्य समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा है।  
  • विश्व का बड़ा गैस आयातक होने के कारण गैस आपूर्ति के लिये जापान ने कतर के साथ समझौता किया है, जबकि भारत ने इसी प्रकार का समझौता ऑस्ट्रेलिया के साथ किया है। 
  • गैस एक्सचेंज के ही एक भाग के तौर पर भारत सरकार के पास एक उपाय यह है कि वह इन गैस कॉन्ट्रैक्टों की स्वैपिंग को अनुमति दे, जिससे भारत की परिवहन लागतों में कमी आएगी।  वास्तव में यह एक नया दृष्टिकोण है। 
  • वस्तुतः जिस प्रकार पूर्व की तुलना में वर्तमान में तरल प्राकृतिक गैस के नए-नए स्रोत उभर रहे हैं, इससे खरीददारों को अनावश्यक परिवहन लागतें वहन नहीं करनी पड़ेंगी। परन्तु जिस मूल्य पर एलपीजी को खरीदा जाएगा उसमें कोई बदलाव नहीं आएगा। 

भारत-जापान संबंध 

  • भारत और जापान के संबंध हमेशा से काफी मज़बूत और स्थिर रहे हैं। जापान की संस्कृति पर भारत के  बौद्ध धर्म का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। स्वतंत्रता से लेकर कर अब तक इन दोनों देशों के बीच संबंध काफी मधुर रहे हैं।  
  • जापानी प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे के आर्क ऑफ फ्रीडम सिद्धांत के अनुसार, यह जापान के हित में है कि वह भारत के साथ अच्छे संबंध रखे। भारत द्वारा भी चीन के साथ उलझते रिश्तों के मद्देनजर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जापान को काफी महत्त्व दिया है। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर किसी द्विपक्षीय विदेश यात्रा के लिये सर्वप्रथम जापान का ही चुनाव किया था। 
  • जापान की कई कंपनियों जैसे- सोनी, टोयोटा और होंडा ने अपनी उत्पादन इकाइयाँ भारत में स्थापित की हैं और भारत के आर्थिक विकास में योगदान दिया है। इस क्रम में सबसे अभूतपूर्व योगदान जापान की मोटर वाहन निर्माता कंपनी सुज़ुकी का है, जो भारत की कंपनी मारुति सुज़ुकी के साथ मिलकार उत्पादन करती है और भारत की सबसे बड़ी मोटर कार निर्माता कंपनी है।
  • होंडा कुछ समय पूर्व तक ही हीरो होंडा (अब हीरो मोटोकॉर्प व होंडा मोटर्स) के रूप में हीरो कंपनी के पार्टनर के रूप में कार्य करती थी, जो तब दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल विक्रेता कंपनी थी। जापान ने भारत में अवसंरचना विकास के कई प्रोजेक्टों में वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।  जापान के सहयोग से ही दिल्ली मेट्रो का भी निर्माण किया गया है।  
  • जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे का भारत दौरा सांकेतिक और व्यावहारिक रूप से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।  यह यात्रा न सिर्फ भारत के साथ जापान के रिश्तों को गहन बनाती है, बल्कि यह एशिया में चीन की ताकत को संतुलित करने का एक प्रभावी तरीका भी है। 
  • भारत और जापान के रिश्तों को बेहतर बनाना नरेंद्र मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक हिस्सा है, जिसका लक्ष्य एशिया प्रशांत के देशों के साथ भारत के रिश्तों को मज़बूत करना है।   अतः शिंजो अबे और की दिलचस्पी पारस्परिक व्यापार को बढ़ाने की है, जो 2014 में 15 अरब डॉलर थी।  जापान के निर्यात में भारत का हिस्सा सिर्फ 1.2 प्रतिशत है जबकि चीन को जापान का 18.3 प्रतिशत निर्यात होता है।  जापान ने आने वाले पाँच वर्षों में भारत में करीब 35 अरब डॉलर निवेश करने का निर्णय लिया है। 
  • भारत और जापान के सामरिक हित एक दूसरे से मिलते हैं, जिसका असर उनके रिश्तों पर दिख रहा है।  जापान भारत में आर्थिक तौर पर सक्रियता बढ़ा रहा है और वैश्विक मुद्दों पर भी दोनों देशों के विचारों में समानता आ रही है।  परन्तु इनके संबंधों की कुछ सीमाएँ भी हैं, क्योंकि भारत जापान के लिये अमेरिका का विकल्प नहीं हो सकता और न ही जापान भारत को वह सब कुछ दे सकता है, जो भारत चाहता है।   लेकिन निकट भविष्य में भी इनके आम रिश्तों पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जाएगा।
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