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सामाजिक न्याय

भारत में विदेशी कैदी

  • 14 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भारतीय जेलों में बंद विदेशी कैदियों को संबंधित देशों के दूतावास के साथ संचार के लिये त्वरित माध्यम स्थापित करने का आदेश दिया है।

  • हालिया आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली की जेलों में बंद 75 प्रतिशत विदेशी कैदियों (Foreign Nationals Prisoners-FNPs) को गिरफ्तारी के बाद अपने दूतावास से संपर्क स्थापित करने के लिये मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

विदेशी कैदी 

(Foreign National Prisoners-FNPs):

  • विदेशी कैदी (FNPs) का अभिप्राय उन कैदियों से है जिनके पास उस देश का पासपोर्ट नहीं होता जिसमें वे कैद हैं।
  • भारतीय जेल संबंधी आँकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 6,185 FNPs हैं।
  • हालाँकि कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (Commonwealth Human Rights Initiative-CHRI) द्वारा ‘स्ट्रेंजर्स टू जस्टिस’ (Strangers to Justice) शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 22 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में कुल FNPs की संख्या तकरीबन 3,908 के आस-पास है।
  • यद्यपि भारत की जेलों में बंद विदेशी कैदी भारतीय संविधान में निहित न्यूनतम गारंटी के हक़दार हैं, परंतु फिर भी उनको कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज़ों और धर्म में अंतर के कारण वे अक्सर कठिनाइयों का सामना करते हैं।
    • 90 प्रतिशत FNPs ने यह माना है कि उन्हें विदेशी होने के कारण जमानत हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा है, क्योंकि प्रशासन का मानना है कि अगर वे जमानत पर बाहर निकलते हैं तो उनका पता लगाने में मुश्किलें आ सकती हैं।
    • भारत में सिर्फ 5.7 प्रतिशत विदेशी कैदियों (3,908 में से 222) को ही कांसुलर एक्सेस (Consular Access) की सुविधा मिल पाती है।
  • भारतीय कानून प्रणाली खासकर जमानत के विषय में भारतीय कैदियों और विदेशी कैदियों के बीच कोई अंतर नहीं करती है। 

सुझाव:

  • यदि FNPs को जमानत नहीं दी जाती है तो यह व्यवस्था की जानी चाहिये कि उनके मामले की जल्द-से-जल्द सुनवाई हो।
  • जैसे ही किसी विदेशी नागरिक को किसी बड़े अपराध में गिरफ्तार किया जाता है, संबंधित राज्य सरकार के माध्यम से विदेश मंत्रालय को इसकी सूचना तुरंत दी जानी चाहिये।
  • विदेश मंत्रालय वियना कन्वेंशन के तहत अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन हेतु ऐसे विदेशी कैदियों के साथ बातचीत करने के लिये उनके वाणिज्य दूतावासों से अनुरोध कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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