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भारतीय अर्थव्यवस्था

खपत और पूंजीगत व्यय में वृद्धि हेतु योजनाओं की घोषणा

  • 13 Oct 2020
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

अवकाश यात्रा रियायत, आत्मनिर्भर भारत योजना 

 मेन्स के लिये:

आर्थिक क्षेत्र पर COVID-19 का प्रभाव, COVID-19 से निपटने हेतु सरकार के प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा COVID-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से निपटने और उपभोक्ता मांग तथा पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री के अनुसार, हाल के कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था में आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है परंतु उपभोक्ता मांग में अभी भी भारी गिरावट बनी हुई है।
  • केंद्र सरकार द्वारा इन योजनाओं के माध्यम से मार्च 2021 के अंत तक 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के त्वरित व्यय का अनुमान लगाया गया है। 
  • केंद्र सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को दो भागों में विभाजित किया गया है- उपभोक्ता व्यय और पूंजीगत व्यय।

अवकाश यात्रा रियायत नकद बाउचर योजना: 

  • अवकाश यात्रा रियायत (Leave Travel Concession- LTC):
    • गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चार वर्ष के ब्लॉक के लिये (Block of Four Years) LTC का लाभ मिलता है, जिसके तहत वे दो बार अपने गृह नगर या एक बार गृह नगर की और एक  बार भारत में किसी अन्य स्थान की यात्रा कर सकते हैं।

    • इस दौरान कर्मचारियों को उनके वेतनमान के अनुसार, हवाई या रेल किराए की प्रतिपूर्ति की जाती है और साथ ही उन्हें 10 दिनों के अवकाश का भुगतान (वेतन + डीए) भी किया जाता है।
    • अवकाश यात्रा रियायत नकद बाउचर योजना के तहत सरकार द्वारा केंद्र सरकार के कर्मचारियों को (वर्ष 2018-21 के ब्लॉक के लिये) बिना यात्रा किये LTC पर मिलने वाली कर छूट का लाभ प्रदान किया जाएगा।
    • हालाँकि इस योजना का लाभ लेने के लिये कर्मचारियों को LTC किराए का तीन गुना ऐसी वस्तुओं को खरीदने के लिये खर्च करना होगा जिन पर 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी (GST) लागू होती है।
    • कर्मचारियों द्वारा इस खरीदारी के लिये डिजिटल माध्यम से किया गया भुगतान ही मान्य होगा, साथ ही इस योजना का लाभ लेने के लिये कर्मचारियों को जीएसटी पंजीकृत विक्रेता से ही सामान खरीदना होगा। 

विशेष त्योहार अग्रिम योजना

(Special Festival Advance Scheme): 

  • गौरतलब है कि छठे वेतन आयोग तक एक त्योहार अग्रिम योजना लागू थी, जिसके तहत प्रति गैर-राजपत्रित अधिकारी को अधिकतम 4,500 रुपए अग्रिम भुगतान के रूप में दिये जाने की व्यवस्था थी, जिसे सातवें वेतन आयोग द्वारा समाप्त कर दिया गया था।
  • केंद्र सरकार ने वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए इस योजना को पुन शुरू (मात्र एक बार के लिये) किया है।
  • हालाँकि यह योजना केवल गैर-राजपत्रित अधिकारियों तक सीमित नहीं होगी, इसके तहत सभी केंद्रीय कर्मचारियों (बिना रैंक के भेदभाव के) को 10,000 रुपए का अग्रिम भुगतान प्रदान किया जाएगा, जो 31 मार्च, 2021 तक वैध होगा।  
  • इसके तहत सभी लाभार्थियों को किसी भी त्योहार में खर्च करने के लिये एक ब्याज मुक्त अग्रिम के रूप में एक ‘रूपे कार्ड’ (RuPay card) प्रदान किया जाएगा। 
  • लाभार्थियों को इस कार्ड में प्राप्त राशि को अपनी इच्छानुसार कहीं भी खर्च करने की छूट (जीएसटी पंजीकृत विक्रेता की बाध्यता के बगैर) होगी, परंतु वे इससे किसी अन्य डेबिट कार्ड की तरह नकद राशि नहीं निकाल सकेंगे।
  • लाभार्थियों को इस अग्रिम भुगतान को 10 किश्तों में लौटाने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
  • केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत 4000 करोड़ रुपए जारी किये जाने का अनुमान है।
  • यदि राज्य सरकारें भी इसी प्रकार का अग्रिम प्रदान किया जाता है, तो इसके तहत अतिरिक्त 8,000 करोड़ रुपए का वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है।

अवसंरचना और संपत्ति निर्माण पर पूंजीगत व्यय: 

  • केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को 50 वर्ष की अवधि के लिये 1200 करोड़ रुपए की ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
  • यह योजना तीन भागों में क्रियान्वित की जाएगी।
  • पहला भाग:  
    • पहले चरण के तहत पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों को 1,600 करोड़ रुपए (प्रत्येक के लिये 200 करोड़ रुपए) और उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश को 450-450 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे। 
  • दूसरा भाग: 
    • इस योजना के दूसरे भाग के तहत बचे हुए बाकी सभी राज्यों के लिये  7,500 करोड़ रुपए जारी किये जाएंगे। 
    • राज्यों के बीच इस राशि को 15 वें वित्त आयोग (15th Finance Commission) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुरूप विभाजित किया जाएगा। 
      • इसके तहत राज्यों को पहले निर्धारित राशि का 50% हिस्सा ही प्रदान किया जाएगा और निर्धारित राशि अगला 50% पहली किश्त के उपयोग कर लेने के बाद जारी किया जाएगा।    
      • गौरतलब है कि यह योजना 31 मार्च, 2021 तक ही वैध होगी ऐसे में राज्यों की इसी समय-सीमा के अंदर अपने हिस्से की कुल राशि को खर्च करना होगा। 
  • तीसरा भाग: 
    • इस योजना के तीसरे भाग के तहत 2000 करोड़ रुपए ऐसे राज्यों के लिये निर्धारित किये गए हैं जो केंद्र सरकार द्वारा मई 2020 में घोषित आत्मनिर्भर भारत राहत पैकेज के तहत निर्धारित 4 में 3 सुधारों (जैसे-एक देश एक राशन कार्ड) को लागू करने में सफल रहे हैं।
    • केंद्रीय वित्त मंत्री के अनुसार, राज्यों द्वारा इस राशि का प्रयोग नई अथवा पहले से चल रही योजनाओं के साथ वर्तमान में किसी बकाया भुगतान के लिये किया जा सकेगा।

केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा:

  • केंद्र सरकार द्वारा देश में अवसंरचना विकास के लिये 25,000 करोड़ रुपए   (वितीय वर्ष 2020-21 के बजट के तहत घोषित 4,13,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त) खर्च किये जाने की घोषणा की गई है।
  • इस राशि का उपयोग सड़क, शहरी विकास, जल आपूर्ति, रक्षा बुनियादी ढाँचा आदि के लिये किया जाएगा।

लाभ:

  • केंद्र सरकार के अनुसार, इन योजनाओं के माध्यम से 31 मार्च, 2021 तक मांग में 73,000 करोड़ रुपए की वृद्धि का अनुमान है, जिसमें 36,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त उपभोक्ता मांग और 37,000 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय शामिल है।
  • यदि निजी क्षेत्र के संस्थान भी LTC नकद बाउचर योजना में शामिल होते हैं तो इससे 28,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वृद्धि का अनुमान है।    

सरकार की आय में वृद्धि:

  • COVID-19 महामारी के कारण चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में सरकार को GST के रूप में प्राप्त होने वाली आय में भारी गिरावट देखने को मिली है। 
  • LTC नकद बाउचर के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा खपत में वृद्धि से चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में सरकार के जीएसटी संग्रह में वृद्धि होगी। 
  • यदि निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी इस योजना में शामिल होते हैं, तो इससे खपत में वृद्धि होगी और फलस्वरूप जीएसटी संग्रह  भी बढ़ेगा। 

चुनौतियाँ:   

  • इन योजनाओं के माध्यम से सरकार का उद्देश्य उन क्षेत्रों में खपत को बढ़ावा देना हैं जहाँ COVID-19 के कारण लॉकडाउन के दौरान मांग में भारी गिरावट हुई है, परंतु कई तरह की सीमाओं (12% GST, 31 मार्च तक का समय आदि) के निर्धारण के कारण ग्राहकों की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है। 
  • सरकार द्वारा अवसंरचना परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय से निश्चित ही लाभ होगा परंतु चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में हुई भारी गिरावट (लगभग 23%) और आने वाले दिनों में इस गिरावट के जारी रहने के अनुमान के बीच सरकार द्वारा घोषित राशि कोई बड़ा परिवर्तन  लाने के लिये बहुत ही कम है। 
    • गौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वितीय वर्ष 2020-21 के लिये देश की जीडीपी में 9.5% की गिरावट का अनुमान जारी किया गया है परंतु  अतिरिक्त राजकोषीय खर्च के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा घोषित राशि जीडीपी की मात्र 0.2%  है।
  • पर्यटन और आतिथ्य COVID-19 के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था, आगामी त्योहारों के दौरान इस क्षेत्र में कुछ सुधार देखे जाने की उम्मीद थी, परंतु सरकार द्वारा LTC नकद बाउचर  के तहत LTC के लाभ को अन्य क्षेत्रों में खर्च करने की सुविधा देने से पर्यटन और आतिथ्य को भारी क्षति होने का अनुमान है।

आगे की राह:

  • पिछले कुछ हफ्तों के दौरान COVID-19 के नए मामलों में गिरावट और लॉकडाउन में राहत से आर्थिक गतिविधियों को पुनः शुरू करने का प्रयास किया गया है। आगामी त्योहारों के दौरान सरकार के प्रयासों के माध्यम से खपत में वृद्धि के साथ-साथ सरकार की आय में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
  • सरकार की इन योजनाओं का अधिकांश लाभ सरकारी नौकरियों और संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों तक ही सीमित रहेगा, ऐसे में असंगठित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिये विशेष प्रयासों पर ध्यान देना होगा।     

स्रोत: द हिंदू

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