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जैव विविधता और पर्यावरण

ब्लैक सॉफ्टशेल कछुआ

  • 22 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये 

ब्लैक सॉफ्टशेल कछुआ, पीकॉक सॉफ्ट-शेल्ड कछुआ 

मेन्स के लिये

हिंद महासागर समुद्री कछुआ समझौता, टर्टल सर्वाइवल अलायंस-इंडिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम वन विभाग ने दो गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं और वर्ष 2030 तक कम-से-कम 1,000 ब्लैक सॉफ्टशेल कछुओं (Black Softshell Turtles) को पालने के लिये एक विज़न दस्तावेज़ (Vision Document) अपनाया है।

Softshell-Turtle

प्रमुख बिंदु 

ब्लैक सॉफ्टशेल कछुए के बारे में:

  • वैज्ञानिक नाम: निल्सोनिया नाइग्रिकन्स (Nilssonia Nigricans)
  • विशेषताएँ:
    • वे लगभग भारतीय पीकॉक सॉफ्ट-शेल्ड कछुआ (Peacock Soft-shelled Turtle) (निल्सोनिया हर्म) के समान दिखते हैं, जिसे IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • पर्यावास:
    • भारत में ताज़े जल के कछुओं की 29 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • वे पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में मंदिरों के तालाबों में पाए जाते हैं। इसकी वितरण सीमा में ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियाँ भी शामिल हैं।
  • संरक्षण की स्थिति:
  • संकट:
    • कछुए के मांस और अंडे का सेवन, रेत खनन (Silt Mining), आर्द्रभूमि का अतिक्रमण एवं बाढ़ के पैटर्न में बदलाव।

भारतीय जल क्षेत्र के समुद्री कछुए:

  • भारतीय जल में कछुए की पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं अर्थात् ओलिव रिडले, ग्रीन टर्टल्स, लॉगरहेड, हॉक्सबिल, लेदरबैक।
    • ओलिव रिडले, लेदरबैक और लॉगरहेड को IUCN रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज़ (IUCN Red List of Threatened Species) में 'सुभेद्य' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
    • हॉक्सबिल कछुए को 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered)' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और ग्रीन टर्टल को IUCN की खतरनाक प्रजातियों की रेड लिस्ट में 'लुप्तप्राय' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
      • वे भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, अनुसूची I के तहत संरक्षित हैं।

कछुआ संरक्षण:

  • राष्ट्रीय समुद्री कछुआ कार्य योजना:
    • इसमें न केवल संरक्षण के लिये अंतर-क्षेत्रीय कार्रवाई को बढ़ावा देने के तरीके और साधन शामिल हैं बल्कि ये समुद्री स्तनधारियों के फँसे होने, उलझने, चोट लगने या मृत्यु दर के मामलों तथा समुद्री कछुओं की प्रतिक्रिया पर सरकार, नागरिक समाज एवं सभी संबंधित हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय का मार्गदर्शन भी करते हैं। 
  • हिंद महासागर समुद्री कछुआ समझौता (IOSEA):
    • भारत संयुक्त राष्ट्र समर्थित पहल, प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (Convention on Migratory Species- CMS) के हिंद महासागर समुद्री कछुआ समझौते (Indian Ocean Sea Turtle Agreement- IOSEA) का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • यह एक ढाँचा तैयार करता है जिसके माध्यम से हिंद महासागर एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के राज्यों के साथ ही अन्य संबंधित राज्य, घटती समुद्री कछुओं की आबादी को बचाने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं जिसके लिये वे ज़िम्मेदारी साझा करते हैं।
  • कूर्मा एप:
    • यह एक डिजिटल डेटाबेस के रूप में कार्य करता है जिसमें भारत के ताज़े जल के कछुओं सहित कछुओं की 29 प्रजातियों को शामिल किया गया है।
    • इस एप को ‘टर्टल सर्वाइवल अलायंस-इंडिया’ (Turtle Survival Alliance-India) और ‘वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया’ (Wildlife Conservation Society-India) के सहयोग से ‘इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क’ (Indian Turtle Conservation Action Network- ITCAN) द्वारा विकसित किया गया है।
  • विश्व कछुआ दिवस प्रतिवर्ष 23 मई को मनाया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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