इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बायोएथेनॉल सम्मिश्रण: चुनौतियाँ और समाधान

  • 18 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बायोएथेनॉल सम्मिश्रण, 1G और 2G जैव ईंधन संयंत्र, वाटर फुटप्रिंट

मेन्स के लिये:

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

सरकार ने 'इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम' (Ethanol Blending Programme- EBP) के तहत वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत बायो इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है। जिसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • 'इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम' को ‘राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति’- 2018 के अनुरूप लॉन्च किया गया था।
  • वर्तमान में पेट्रोल में बायो इथेनॉल का सम्मिश्रण लगभग 5% है।

इथेनॉल (Ethanol):

  • यह एक जल रहित एथिल अल्कोहल है, जिसका रासायनिक सूत्र C2H5OH होता है।
  • यह गन्ना, मक्का, गेहूं आदि से प्राप्त किया किया जा सकता है, जिसमें स्टार्च की उच्च मात्रा होती है।
  • भारत में इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से किण्वन प्रक्रिया द्वारा गन्ना के शीरा (Molasses) से किया जाता है।
  • इथेनॉल को अलग-अलग प्रकार के मिश्रण उत्पाद बनाने के लिये गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है।
  • इथेनॉल में ऑक्सीजन के अणु होते हैं अत: इथेनॉल के पेट्रोल के सम्मिश्रण से ईंधन का अधिक पूर्ण दहन संभव हो पाता है। जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी आती है।

इथेनॉल सम्मिश्रण की आवश्यकता:

  • भारत आयातित कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। यह अनुमान है कि 5% इथेनॉल सम्मिश्रण के परिणामस्वरूप लगभग 1.8 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात कम हो जाएगा।
  • इथेनॉल सामग्री के रूप में चीनी उद्योग के उप-उत्पाद का प्रयोग किया जाता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन में शुद्ध कमी (Net Reduction) होने की उम्मीद है।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol Blending Programme- EBP):

  • पृष्ठभूमि:

    • 5% इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति के लिये 'पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय' द्वारा ‘इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल’ (Ethanol Blended Petrol- EBP) कार्यक्रम को जनवरी, 2003 में प्रारंभ किया गया था।
    • तेल विपणन कंपनियाँ (OMCs), सरकार द्वारा तय की गई पारिश्रमिक कीमतों पर घरेलू स्रोतों से इथेनॉल की खरीद करती हैं।
    • वर्तमान में कार्यक्रम का संपूर्ण भारत (अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपो को छोड़कर) में विस्तार कर दिया गया है।
  • 1G और 2G जैव ईंधन संयंत्र:

    • 1G बायो-इथेनॉल संयंत्र मे चीनी के उत्पादन से उत्पन्न उप-उत्पादों यथा- गन्ने के रस और गुड़ का उपयोग किया जाता है, जबकि 2G संयंत्र बायोएथेनॉल का उत्पादन करने के लिये अधिशेष बायोमास और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करते हैं।
    • वर्तमान में तीन OMCs; इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, 2G बायो-इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं।

इथेनॉल सम्मिश्रण में चुनौतियाँ:

  • आपूर्ति का अभाव:

    • वर्तमान में भारतीय तेल विपणन कंपनियों (OMCs) का घरेलू बायो-इथेनॉल उत्पादन पेट्रोल में सम्मिश्रण के लिये मांग की पूर्ति के लिये पर्याप्त नहीं है।
    • चीनी मिलें; जो OMCs को जैव-इथेनॉल के उत्पादन में कच्ची सामग्री के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता हैं, कुल मांग का केवल 57.6% आपूर्ति करने में सक्षम हैं।
  • कीमत निर्धारण:

    • 2G संयंत्रों में जैव-इथेनॉल के उत्पादन के लिये आवश्यक कृषि अपशिष्ट प्राप्त करने की कीमत वर्तमान में देश में निजी निवेशकों के लिये बहुत अधिक है।
    • केंद्र सरकार द्वारा गन्ना और बायो-इथेनॉल दोनों की कीमतें निर्धारित की जाती हैं अत: भविष्य में बायोइथेनॉल की कीमत की अनिश्चितता को लेकर निवेशक चिंतित हैं।
  • वाटर फुटप्रिंट (Water Footprint):

    • वाटर फुटप्रिंट, एक लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिये आवश्यक जल की मात्रा होती है।
    • इथेनॉल के उत्पादन के लिये आवश्यक जल की आपूर्ति वर्षा जल के माध्यम से नहीं हो पाती है।

आगे की राह:

  • बायोइथेनॉल की कीमतों के निर्धारण में अधिक पारदर्शिता प्रदान की जानी चाहिये, इसके लिये एक कीमत निर्धारण प्रक्रिया की घोषणा की जानी चाहिये जिसके आधार पर बायोइथेनॉल की कीमत तय की जाएगी।
  • 1G, 2G, 3G तथा 4G बायोएथेनॉल संयंत्र में प्रत्येक के लिये इथेनॉल उत्पादन के लिये निश्चित लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये इससे निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
  • किसान से कृषि अपशिष्ट को एकत्रित करने लिये राज्य सरकारों को डिपो (अपशिष्ट संग्रहण केंद्र) स्थापित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

  • बायोएथेनॉल न केवल ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, बल्कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने तथा कृषि अपशिष्ट के व्यावसायीकरण द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने में मदद भी मदद करेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2