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जैव विविधता और पर्यावरण

मॉरीशस में तेल रिसाव

  • 18 Aug 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तेल रिसाव, ब्लू बे मरीन पार्क, रामसर कन्वेंशन,अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ

मेन्स के लिये:

तेल रिसाव का जलीय जीवों एवं पर्यावरण पर प्रभाव, तेल रिसाव की घटनाओं को रोकने हेतु प्रयास

चर्चा में क्यों?

मॉरीशस के दक्षिण-पूर्व में स्थित ब्लू बे मरीन पार्क (Blue Bay Marine Park) के पास एक जापानी थोक-मालवाहक जहाज़ ( Bulk-Carrier Ship) एमवी वाकाशियो (MV Wakashio) जो ईंधन तेल (Fuel Oil) ले जा रहा था, दो भागों में विभक्त हो गया। इस जहाज़ में पहले ही तेल रिसाव (Oil Spill) हो रहा था जिसके कारण हिंद महासागर में 1000 टन से अधिक तेल फैल गया ।

प्रमुख बिंदु:

  • यह जहाज़ मॉरीशस के पास पोइंटे डेसी (Pointe d'esny) के पास टूट गया है तथा यह क्षेत्र पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है।
  • प्रभाव: तेल के फैलने से मॉरीशस के समुद्र तट की पारिस्थितिकी और हिंद महासागर में समुद्री जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया है।
    • तेल के रिसाव ने पहले से ही लुप्तप्राय प्रवाल भित्तियों, उथले पानी में समुद्री घास, मैन्ग्रोव, मछलियों और अन्य जलीय जीवों को खतरे में डाल दिया है।
  • कुछ प्रमुख वन्यजीव जिनके अस्तित्त्व पर खतरा बना हुआ है उनमें शामिल हैं: विशालकाय कछुए (Giant Tortoises), लुप्तप्राय हरे कछुए (Endangered Green Turtle), और गंभीर रूप से लुप्तप्राय गुलाबी कबूतर (Critically Endangered Pink Pigeon)
    • गुलाबी कबूतर (Nesoenas mayeri) मॉरीशस के मैस्करीन द्वीप (Mascarene island) की कबूतर की एक स्थानिक (Endemic) प्रजाति है।

दायित्त्व:

  • इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन सिविल फॉर बंकर आयल पोलुशन,2001 ( International Convention on Civil Liability for Bunker Oil Pollution, 2001,) के अनुसार तेल रिसाव से हुए नुकसान के लिये जहाज़ों के मालिक ज़िम्मेदार होते हैं।
    • ​यह कन्वेंशन, जिसे बंकर कन्वेंशन (BUNKER convention) के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 2008 में लागू हुआ तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization- IMO) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
    • इस कन्वेंशन को यह सुनिश्चित करने के लिये अपनाया गया था कि जहाजों के बंकरों में ईंधन के रूप में ले जाने पर तेल के रिसाव से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये लोगों को पर्याप्त, त्वरित और प्रभावी मुआवज़ा दिया जाए।

ब्लू बे मरीन पार्क:

  • रामसर कन्वेंशन ( Ramsar Convention) द्वारा इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के आद्रभूमि (Wetland of International Importance) के रूप में नामित किया गया है।
  • प्रवाल भित्तियों, मैन्ग्रोव, समुद्री घास के मैदानों और मैक्रो शैवाल की उपस्थिति इसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र बनाती है।

तेल रिसाव:

  • परिभाषा: तेल रिसाव पर्यावरण में कच्चे तेल, गैसोलीन, ईंधन, या अन्य तेल उत्पादों के अनियंत्रित रिसाव को संदर्भित करता है। तेल का फैलना भूमि, वायु, या पानी को प्रदूषित कर सकता है, हालाँकि इस शब्द का उपयोग ज्यादातर समुद्र में तेल रिसाव के लिये किया जाता है।
  • कारण: मुख्य रूप से महाद्वीपीय चट्टानों पर गहन पेट्रोलियम अन्वेषण एवं उत्पादन तथा जहाज़ों में बड़ी मात्रा में तेल के परिवहन के परिणामस्वरूप तेल रिसाव एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन गया है।

पर्यावरणीय प्रभाव:

  • समुद्र की सतह पर तेल जलीय जीवन के कई रूपों के लिये हानिकारक है क्योंकि यह सतह पर पर्याप्त मात्रा में सूर्य के प्रकाश को प्रवेश करने से रोकता है जिसके कारण जल के घुलित ऑक्सीजन के स्तर में कमी आती है।
  • क्रूड ऑयल पक्षियों के फर एवं पंखों के वॉटरप्रूफिंग (Waterproofing) गुणों को बर्बाद कर देता हैऔर इस प्रकार तेल से लिपटे पक्षी एवं समुद्री स्तनधारी हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान में सामान्य स्तर के तापमान से अधिक कमी होना) के कारण मर सकते हैं।
  • इसके अलावा, जानवरों द्वारा तेल का अंतर्ग्रहण उनके लिये विषाक्त हो सकता है जो उनके निवास स्थान और प्रजनन दर को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • सामन्यत: खारे पानी के दलदल एवं मैंग्रोव, तेल रिसाव की समस्या से ग्रसित होते हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, इन घटनाओं (तेल रिसाव) से केवल 10% से कम तेल रिसाव को सफलतापूर्वक साफ किया जाता है।

आर्थिक प्रभाव:

  • यदि समुद्र तट एवं आबादी वाले तटबंधों को दूषित कर दिया जाता है, तो पर्यटन और वाणिज्य बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
  • पावर प्लांट और अन्य कार्य जो समुद्र के पानी पर निर्भर हैं, तेल रिसाव से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।

तेल रिसाव की सफाई:

  • कंटेंनमेंट बूम्स: फ्लोटिंग बैरियर्स, जिन्हें बूम कहा जाता है, का उपयोग तेल के प्रसार को प्रतिबंधित करने और तेल को प्राप्त करने, हटाने या फैलाने की अनुमति देने के लिये किया जाता है।
  • स्किमर्स (Skimmers): इसका उपयोग पानी की सतह से तेल के भौतिक रूप को अलग करने के लिये किया जाता है।
  • सोरबेंट्स (Sorbents): विभिन्न सॉर्बेंट्स जिनमें पुआल, ज्वालामुखीय राख, और पॉलिएस्टर-व्युत्पन्न प्लास्टिक की छीलन शामिल होती है, के द्वारा पानी से तेल को अवशोषित करते हैं।
  • डिसपर्सिंग एजेंट (Dispersing agents): ये ऐसे रसायन होते हैं जो तरल पदार्थों जैसे तेल को छोटी बूंदों में तोड़ने का कार्य करते हैं तथा समुद्र में इसके प्राकृतिक फैलाव को तीव्र करते हैं।
  • जैविक एजेंट (Biological agents): इनमें पोषक तत्व, एंजाइम, या सूक्ष्मजीव जैसे कि अल्केनिवोरैक्स बैक्टीरिया (Alcanivorax bacteria) या मिथाइलोसेला सिलवेस्ट्रिस (Methylocella Silvestris) शामिल होते हैं तथा ये तेल के प्राकृतिक जैव-अपघटन की दर को तीव्र करते हैं।

तेल रिसाव की अन्य घटनाएँ:

  • हाल ही में, रूस के क्रास्नोयार्स्क क्षेत्र ( Krasnoyarsk Region) में एक बिजली संयंत्र के ईंधन में रिसाव के कारण आपातकाल की स्थिति घोषित की गई इस तेल रिसाव में 20,000 टन डीज़ल तेल अंबरनया नदी (Ambarnaya River) में बह/फैल गया था।
  • वर्ष 2010 में, मैक्सिको की खाड़ी से दूर गहरे पानी में लगभग 400,000 टन तेल का रिसाव देखा गया, जिसके परिणामस्वरूप हज़ारों जलीय प्रजातियों की मृत्यु हो गई जिनमें प्लैंकटन (Plankton) से लेकर डॉल्फ़िन ( Dolphins) तक शामिल थीं।
  • वर्ष 1978 में, एक बड़े कच्चे तेल के जहाज़ से फ्राँस, के तट पर तेल का रिसाव हो गया जिसके कारण समुद्र में लगभग 70 मिलियन गैलन तेल का रिसाव हुआ, इस रिसाव के कारण लाखों अकशेरूकीय एवं अनुमानित 20,000 पक्षी मारे गए।

स्रोत: द हिंदू

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