इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सामान्य से कम रह सकता है मॉनसून

  • 29 Mar 2017
  • 4 min read

समाचारों में क्यों ?

विदित हो कि मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल देश में मॉनसून सामान्य से कम रह सकता है। स्काईमेट के अनुसार इस साल मॉनसून के दौरान देश भर में लंबी अवधि के औसत (long period average-LPA) की 95 फीसदी तक बारिश होने का अनुमान है। गौर करने वाली बात है कि मॉनसूनी बारिश कम रहने से भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति पर असर पड़ सकता है और वह दरों में यथास्थिति बनाए रख सकता है।

पूर्वानुमान से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

उल्लेखनीय है कि एलपीए 1951 के बाद 50 वर्षों के दौरान देश भर में हुई औसत बारिश है। यदि स्काईमेट की भविष्यवाणी सच साबित होती है तो देश में पिछले चार साल में यह तीसरा ऐसा साल होगा जब सामान्य से कम बारिश होगी। एलपीए की 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है जबकि 90 से 95 फीसदी को सामान्य से कम माना जाता है।

स्काईमेट ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की जून में मज़बूत शुरुआत होगी लेकिन आगे चलकर इस पर अल-नीनो का असर दिख सकता है। हालाँकि बारिश में मामूली कमी से खरीफ फसल पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन यह दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान बारिश के वितरण पर निर्भर करेगा। मॉनसून में कम बारिश से कृषि क्षेत्र की वृद्घि दर 4 फीसदी से कम हो सकती है। पिछले पाँच वर्षों के दौरान मॉनसून की भविष्यवाणी के मामले में स्काईमेट का अनुमान कमोबेश सटीक रहा है। हालाँकि 2015 में इसका अनुमान गलत साबित हुआ था।

क्या है अल-नीनो ?

अल-नीनो का स्पेनी भाषा में अर्थ होता है 'छोटा बालक'। अल-नीनो का दूसरा मतलब 'शिशु क्राइस्ट' भी बताया जाता है। यह अल-नीनो का ही प्रभाव था कि 2015 में भारत में मानसून सामान्य से 15 फीसदी कम रहा और इस वज़ह से भारत में कृषि खासी प्रभावित रही और खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी थीं।

दरअसल, प्रशांत महासागर में बीते कुछ वर्षों से समुद्र की सतह गर्म होती जा रही है, जिससे हवाओं का रास्ता और रफ्तार बदल जाता है। यही कारण है मौसम का चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। मौसम के बदलाव की वज़ह से कई जगह सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आ जाती है। इसका असर दुनिया भर में महसूस किया जा रहा है। विदित हो कि बहुत से जानकारों का यह मानना है कि प्रशांत महासागर के सतह का तापमान बढ़ने का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है।

अल–नीनो एक वैश्विक प्रभाव वाली घटना है और इसका प्रभाव क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। स्थानीय तौर पर प्रशांत क्षेत्र में मतस्य उत्पादन से लेकर दुनिया भर के अधिकांश मध्य अक्षांशीय हिस्सों में बाढ़, सूखा, वनाग्नि, तूफान या वर्षा आदि के रूप में इसका असर सामने आता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2