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भूगोल

असम गैस रिसाव की दुर्घटना

  • 09 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

असम के तेल उत्पादन क्षेत्र, पारंपरिक प्राकृतिक गैस, शेल गैस, कोल-बेड मिथेन, संबंधित प्राकृतिक गैस

मेन्स के लिये:

भारत में पेट्रोलियम भंडार 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम के तिनसुकिया ज़िले में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड’ (Oil India Limited- OIL) के बागान (Baghjan) गैस कुएँ में तेल रिसाव के बाद गैस रिसाव को रोकने के लिये सिंगापुर की एक फर्म को बुलाया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • दुर्घटना के बाद आसपास के गाँवों के लोगों की निकासी की गई परंतु अनेक प्रकार की मत्स्य प्रजातियों तथा लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन की मृत्यु हो गई है।
  • सामान्यत: इस कुएँ से प्रतिदिन 2,700 पाउंड प्रति वर्ग इंच (PSI) दाब के साथ 80,000 मानक घन मीटर प्रतिदिन (SCMD) गैस का उत्पादन किया जाता है। परंतु वर्तमान में गैस रिसाव दर 4,200 पाउंड प्रति वर्ग इंच (PSI) के दाब के साथ 90,000 मानक घन मीटर (SCMD) गैस प्रतिदिन  है। 

दुर्घटना का कारण:

  • कुएँ में गैस के दबाव को यदि समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो कुएँ में अचानक आघात से विस्फोट हो सकता है।
  • दुर्घटना के पीछे कई संभावित कारण जैसे- निरीक्षण की कमी, खराब रखरखाव, तकनीकी कारण आदि हो सकते हैं।

गैस रिसाव के नियंत्रण में समस्या:

  • गैस रिसाव को नियंत्रण करना मुश्किल है क्योंकि गैस रिसाव का दबाव बहुत अधिक है। दूसरा गैस भंडार में नियंत्रण कार्य के दौरान किसी भी समय आग लगने की संभावना रहती है।
  • इस प्रकार के गैस रिसाव में स्वत: दबाव कम होने में कई महीनों का समय लगता है अत: गैस के कुओं में पानी को पंप करना एक कारगर तरीका हो सकता है ताकि गैस में आग न लगे।

गैस रिसाव का प्रभाव:

  • लगभग 2,500 से 3,000 लोगों की निकासी करके राहत शिविरों में भेजा गया है। गैस रिसाव से ‘नदी डॉल्फिन’ तथा अनेक प्रकार की मछलियों की मृत्यु हो गई। स्थानीय लोगों ने आँखों में जलन, सिरदर्द आदि जैसे लक्षणों की शिकायत की है।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि पास में मगुरी-मोटापुंग वेटलैंड (Maguri-Motapung Wetland) है, जिसे एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया (Important Bird Area- IBA) गया है। लगभग 900 मीटर की हवाई दूरी पर डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान है। राष्ट्रीय उद्यान में वनस्पतियों तथा वन्य जीवों की कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

प्राकृतिक गैस (Natural Gas):

  • प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोत है। प्राकृतिक गैस में कई अलग-अलग यौगिक होते हैं। प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा घटक मीथेन है। मीथेन के अलावा प्राकृतिक गैस में कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प आदि भी पाए जाते हैं।
  • इसका उपयोग उर्वरक, प्लास्टिक तथा अन्य व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण कार्बनिक रसायनों के निर्माण, ताप विद्युत गृहों में किया जाता है। 

परंपरागत  प्राकृतिक गैस

(Conventional Natural Gas- CNG):

  • जब प्राकृतिक गैस बड़े चट्टानीय रिक्त स्थान के बीच पाई जाती है तो इसे परंपरागत प्राकृतिक गैस कहा जाता है। 

शेल गैस (Shale Gas):

  • जब प्रकृतिक गैस लघु चट्टानीय भागों, शेल, बलुआ पत्थर तथा अन्य प्रकार की अवसादी चट्टान के बीच छोटे छिद्रों (स्थानों) में पाई जाती है तो इसे शेल गैस (Shale Gas) के रूप में जाना जाता है।

संबंधित प्राकृतिक गैस (Associated Natural Gas): 

  • कच्चे तेल के भंडारों के साथ पाई जाने वाली प्राकृतिक गैस को ‘संबंधित प्राकृतिक गैस’ कहा जाता है। 

कोल-बेड मिथेन (Coal-Bed Methane- CBM)

  • जबकि कोयले के भंडार के साथ पाई जाने वाली प्राकृतिक गैस को कोल-बेड मिथेन कहा जाता है।

Schematic-geology

असम के तेल उत्पादन क्षेत्र:

  • अपरिष्कृत पेट्रोलियम टर्शियरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। वर्ष 1956 तक असम में डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था। असम में डिगबोई, नहरकटिया तथा मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं। तमिलनाडु का पूर्वी तट, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र में अन्य महत्त्वपूर्ण पेट्रोलियम भंडार पाए जाते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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