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मैप डेटा के लिये स्थानीय बाज़ार तलाशेगी एंट्रिक्स

  • 27 Sep 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्प स्थानीय कंपनियों को राजमार्ग बनाने और कार फर्मों को शहरों के नक्शे मुहैया कराने के लिये मैप डेटा की बिक्री की संभवानाएँ तलाश रही है।
  • वर्तमान में हैदराबाद स्थित ‘नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी’ धरती के अवलोकन करने वाले उपग्रहों के भारतीय दस्ते से मिली जानकारी का विश्लेषण करती है और वह भारतीय ग्राहकों को मैप डेटा मुहैया करा रही है।
  • गौरतलब है कि एंट्रिक्स इसरो की कारोबारी इकाई है, जो मुख्यतः उपग्रह  के स्पेक्ट्रम निजी क्षेत्र की कंपनियों को किराए पर देने तथा सैटेलाइट इमेजरी को बेचने का काम करती है।

मैप डेटा की बिक्री की संभवानाएं क्यों?

  • हाल के वर्षों में निजी उपग्रह कंपनियों का वैश्विक विस्तार हुआ है, जिन्होंने धरती के अवलोकन के लिये उपग्रह स्थापित किये हैं और उसे लाभदायक कारोबारी मॉडल बनाया है। इसकी वज़ह से एंट्रिक्स भी विचार कर रही है कि भारत में इस तरह की संभवानाएँ तलाशी जाएँ।
  • दिलचस्प है कि एंट्रिक्स ने अपने आईआरएस-2 उपग्रह के मैप डेटा की बिक्री से वाणिज्यिक कारोबार 1992 में शुरू किया था। अमेरिकी और जीआईएस कंपनियों के आने व निजी उपग्रह के कारण इसकी बाज़ार हिस्सेदारी कम होती गई।
  • दरअसल, 'रिमोट सेंसिंग डेटा’ के लिये भारत का वाणिज्यिक बाज़ार अभी बहुत बड़ा नहीं है, किन्तु यह भविष्य में बड़ा बाज़ार बन सकता है। यही कारण है कि एंट्रिक्स एक वैश्विक सलाहकार नियुक्त करने पर विचार कर रही है, जो बाज़ार की संभावनाओं का अनुमान लगाने और उपभोक्ताओं को डेटा की बिक्री में मदद करेगा।

निष्कर्ष

  • भारत नागरिक रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के लिये बड़े बाजारों में से एक है, लेकिन यहाँ डिजिटल मैप डेटाबेस तैयार करने में बहुत कम खर्च किया गया है, जिससे कारोबार की संभवानाएँ तलाशी जा सकती थीं।
  • ‘मैप माई इंडिया’ नाम की एक कंपनी ने इसरो से मैपिंग डेटा लिया है, जिससे ऑटो, लॉजिस्टिक्स और रिटेल जैसी विशेष सेवाओं के लिये डिजिटल मैप बनाए जा सकें और इन कंपनियों को अपने ग्राहकों व वितरकों से जुड़ने में मदद मिल सके। लेकिन यह बहुत छोटे स्वरूप में है।
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