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रोगाणुरोधी प्रतिरोध

  • 21 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध

मेन्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध और संबंधित मुद्दे, इससे निपटने के लिये की गई पहल

चर्चा में क्यों?

ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (GRAM) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में AMR (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) के प्रत्यक्ष परिणाम के 1.27 मिलियन लोगों की मौत हुई।

  • AMR के कारण होने वाली मौतें अब दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है, जो एचआईवी/एड्स या मलेरिया से ज़्यादा हैं।
  • AMR से अधिकांश मौतें श्वसन संक्रमण, जैसे निमोनिया, और रक्त प्रवाह संक्रमण के कारण हुईं, जिससे सेप्सिस हो सकता है।
    • MRSA (मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टैफिलोकोकस ऑरियस) विशेष रूप से घातक था, जबकि ई. कोलाई और कई अन्य बैक्टीरिया भी दवा प्रतिरोध के उच्च स्तर से जुड़े थे।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी, आदि) द्वारा रोगाणुरोधी दवाओं (जैसे- एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेल्मिंटिक्स) के खिलाफ प्राप्त प्रतिरोध है जिसे संक्रमण के इलाज के लिये उपयोग किया जाता है।
    • नतीजतन, मानक उपचार अप्रभावी हो जाते हैं, संक्रमण बना रहता है और दूसरों में फैल सकता है।
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीवों को कभी-कभी "सुपरबग" कहा जाता है।
  • AMR के प्रसार का कारण:
    • दवा में रोगाणुरोधी दवाओं का दुरुपयोग और कृषि में अनुपयुक्त उपयोग।
    • फार्मास्यूटिकल निर्माण स्थलों के आसपास संदूषण जहाँ अनुपचारित अपशिष्ट पर्यावरण में बड़ी मात्रा में सक्रिय रोगाणुरोधी छोड़ते हैं।
  • भारत में AMR:
    • भारत में बड़ी आबादी के संयोजन के साथ बढ़ती हुई आय जो कि एंटीबायोटिक दवाओं की खरीद की सुविधा प्रदान करती है, संक्रामक रोगों का उच्च बोझ और एंटीबायोटिक दवाओं के लिये आसान ओवर-द-काउंटर (Over-the-Counter) पहुँच की सुविधा प्रदान करती है, प्रतिरोधी जीन की पीढ़ी को बढ़ावा देती है। 
    • बहु-दवा प्रतिरोध निर्धारक, नई दिल्ली मेटालो-बीटा-लैक्टामेज़-1 (एनडीएम -1), इस क्षेत्र में विश्व स्तर पर तेज़ी से  उभरा है।
      • अफ्रीका, यूरोप और एशिया के अन्य भाग भी दक्षिण एशिया से उत्पन्न होने वाले बहु-दवा प्रतिरोधी टाइफाइड से प्रभावित हुए हैं।
    • भारत में सूक्ष्मजीवों (जीवाणु और विषाणु सहित) के कारण सेप्सिस से प्रत्येक वर्ष 56,000 से अधिक नवजात बच्चों की मौत होती है जो पहली पंक्ति के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी हैं।
    • 10 अस्पतालों में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि जब कोविड-19 के मरीज़ अस्पतालों में दवा प्रतिरोधी संक्रमण की चपेट में आते हैं तो मृत्यु दर लगभग 50-60% होती है।
  • AMR (भारत में) को संबोधित करने के लिये किये गए उपाय:
    • AMR नियंत्रण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: इसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम के तहत राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में प्रयोगशालाओं की स्थापना करके AMR निगरानी नेटवर्क को मज़बूत किया गया है।
    • AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना: यह स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर केंद्रित है और अप्रैल 2017 में विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
    • AMR सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क (AMRSN): इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था ताकि देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के सबूत और प्रवृत्तियों तथा पैटर्न का अनुसरण किया जा सके।
    • AMR अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने AMR में चिकित्सा अनुसंधान को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से नई दवाओं को विकसित करने की पहल की है।
      • वर्ष 2017 में ICMR ने नॉर्वे रिसर्च काउंसिल (RCN) के साथ मिलकर रोगाणुरोधी प्रतिरोध में अनुसंधान के लिये एक संयुक्त आह्वान किया।
      • ICMR ने संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (BMBF) जर्मनी के साथ AMR पर शोध हेतु एक संयुक्त भारत-जर्मन पहल को शुरू किया है।
    • एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम: ICMR ने अस्पताल वार्डों और आईसीयू में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग तथा अति प्रयोग को नियंत्रित करने के लिये भारत में एक पायलट परियोजना पर एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप कार्यक्रम शुरू किया है।
      • DCGI ने अनुपयुक्त पाए गए 40 निश्चित खुराक संयोजन (Fixed Dose Combinations- FDCs) पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • वैश्विक उपाय:
    • विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (WAAW):
      • वर्ष 2015 से सालाना आयोजित किया जाने वाला, WAAW एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में जागरूकता को बढ़ाना और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के विकास और प्रसार को धीमा करने के लिये  आम जनता, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच सर्वोत्तम उपायों को प्रोत्साहित करना है।.
    • वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध और उपयोग निगरानी प्रणाली (ग्लास):
      • वर्ष 2015 में WHO ने  ज्ञान अंतराल को समाप्त करने और सभी स्तरों पर रणनीतियों को सूचित करने हेतु ग्लास (GLASS) को लॉन्च किया।
      • ग्लास की कल्पना मनुष्यों में AMR की निगरानी, रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग की निगरानी, खाद्य शृंखला और पर्यावरण में AMR डेटा को प्राप्त करने के लिये की गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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