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अंडमान में केले की एक और नई प्रजाति पाई गई

  • 08 Nov 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

वनस्पति विज्ञानियों द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक बार फिर से केले की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। हालाँकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है इस क्षेत्र में केले की कोई विशेष प्रकार की प्रजाति खोजी गई है। इस क्षेत्र विशेष में केले की ऐसी बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती है; जिनके विषय में अभी तक हमें कोई जानकारी ही प्राप्त नहीं है। इसका सबसे अहम् कारण यह है कि यह द्वीप समह एक जैव विविधता हॉस्टस्पॉट है, जहाँ जंगली केले की सात अलग-अलग प्रजातियाँ खोजी जा चुकी हैं।

केले की इस नई प्रजाति का नाम क्या है ?

  • हाल ही में नॉर्डिक जर्नल ऑफ बॉटनी (Nordic Journal of Botany) में प्रकाशित एक नवीनतम खोज में ‘मूसा परमजीतना’ (Musa paramjitiana) नामक जंगली केले की एक नई प्रजाति के विषय में जानकारी दी गई है।
  • इस प्रजाति को यह नाम भारत के बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Botanical Survey of India - BSI) के निदेशक परमजीत सिंह के सम्मान में दिया गया है। 

कहाँ खोजी गई?

  • जंगली केले की यह नई प्रजाति मानव निवास स्थान से 6 किलोमीटर दूर उत्तरी अंडमान के कृष्णापुरी वन (Krishnapuri forest) में पाई गई।

विशेषताएँ क्या-क्या हैं?

  • इस प्रजाति के पौधे नौ मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकते है। 
  • इसका फल स्वाद में खट्टा-मीठा होता है। यह फल स्थानीय जनजातियों के आहार का हिस्सा है।
  • यह दिखने में नाव के आकार का होता है तथा इसमें बहुत से बल्ब के आकार वाले बीज भी मौजूद होते हैं। 
  • उल्लेखनीय है कि इस प्रजाति की संरक्षण स्थिति को IUCN की रेड लिस्ट के आधार पर 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' घोषित किया गया है क्योंकि अभी तक इस प्रजाति को 6 से 18 पौधों में एक झुंड के रूप में इस द्वीप समूह पर केवल दो स्थानों पर ही देखा गया है।
  • इसके अतिरिक्त यह प्रजाति फल के रूप में भी और बीज के रूप में भी जातीय-औषधीय (ethno-medicinal) महत्त्व रखती है 
  • इतना ही नही इस पौधे की छद्म स्टेम (Pseudo-stem) और पत्तों का भी यहाँ के धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों के दौरान उपयोग किया जाता है।

इसके जर्मप्लाज़्म का संरक्षण करना 

  • वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, इस प्रकार की खोज केले की फसल में सुधार करने के संदर्भ में पौधों के प्रजनकों और बागवानी विशेषज्ञों के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराती है। 
  • अत: जंगली केले की सभी प्रकार की प्रजातियों के जर्मप्लाज़्म को तत्काल आधार पर संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि इनमें से अधिकतर प्रजातियाँ बहुत छोटे-छोटे निवास स्थानों और विलुप्ती के खतरे की स्थिति में पाई जाती हैं।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2014 में अंडमान द्वीप के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन में जंगली केले की एक अन्य प्रजाति ‘मूसा इंडेंडैनेंसिस’ (Musa indandamanensis) की खोज की गई थी।
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