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आदित्य नौका: स्वच्छ ऊर्जा के लिये वाईकॉम का नया सत्याग्रह

  • 04 Mar 2017
  • 8 min read

गौरतलब है कि केरल में कोट्टायम ज़िले के उत्‍तर-पूर्व में स्थित सत्‍याग्रह की धरती वाईकॉम ने 12 जनवरी, 2017 को एक बार फिर इतिहास रचा| ध्यातव्य है कि ‘आदित्‍य’ नाम से भारत की पहली सौर ऊर्जा संचालित नौका सेवा को वाईकॉम तथा थवंक्‍काडावू के बीच शुरू किया गया है, जो कोट्टायम और अलाप्‍पुझा ज़िलों को आपस में जोड़ने का कार्य करेगी| इस सौर ऊर्जा चालित नौका को केरल राज्‍य परिवहन विभाग द्वारा निर्मित किया गया है, जिसे केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा वित्‍तीय सहायता के रूप में सब्सिडी प्रदान की गई है|

प्रमुख बिंदु

  • सामान्‍य दिनों में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली यह नौका 5-6 घंटे की यात्रा करने में सक्षम है|
  • यह परियोजना केरल जैसे राज्‍य के लिये वास्‍तव में एक वरदान साबित होगी, जहाँ बड़ी मात्रा में जल परिवहन का इस्‍तेमाल किया जाता है|
  • उल्लेखनीय है कि 20वीं शताब्‍दी की शुरुआत के दौरान (1925 से 1930 के बीच) वाईकॉम को सत्‍याग्रह आयोजन स्‍थल के रूप में जाना जाता था, जिसका उद्देश्‍य समाज के सभी वर्गों को वाईकॉम मंदिर तक मुक्‍त आवाजाही प्रदान करना था|
  • विदित हो कि यह केरल के इतिहास में एक महान सामाजिक क्रांति थी|
  • 9 मार्च, 1925 को राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी द्वारा भी सत्‍याग्रह आन्दोलन के लिये वाईकॉम तक पहुँचने हेतु वाईकॉम नौका घाट का प्रयोग किया गया था|

‘आदित्य’ नौका का परिचय

  • ‘आदित्‍य‘ भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संचालित नौका है, जिसकी क्षमता 75 सीटों की है|
  • इस पोत को केरल के इंजीनियर सांदिथ थंडाशेरी द्वारा डिजाइन किया गया है, जो सौर ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं|
  • नौका के विकास और डिज़ाइन के लिये प्रमुख प्रौद्योगिकी एवं सहायता, एक फ्रांसीसी फर्म द्वारा प्रदान की गई है| 
  • ध्यातव्य है कि यह नौका 20 मीटर लंबी और 7 मीटर बीम के साथ 3.7 मीटर ऊँची है।
  • इसकी एक अन्‍य महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका निर्माण लकड़ी और इस्‍पात की जगह फाइबर से किया गया है|
  • नाव की छत पर 78 सोलर पैनल लगाए गए हैं| सोलर पैनल को 20 किलोवाट की 2 इलेक्ट्रिक मोटरों के साथ जोड़ा गया है|
  • इसके अतिरिक्त नाव में 700 किलोग्राम की लीथियम आईएन बैटरी लगाई गई है, जिसकी क्षमता 50 किलोवाट की है|
  • नौका के ढाँचे को इस तरह से विकसित किया गया है कि रफ्तार 7.5 नॉटिकल/घंटा तक पहुँच सकती है|
  • उल्लेखनीय है कि इसे भारत सरकार की जहाज़रानी सर्वेक्षक और केरल पोत सर्वेक्षक के तकनीकी समिति द्वारा सत्‍यापित किया गया है|
  • इसकी सामान्‍य संचालन गति 5.5 नॉटिकल/घंटा (10 किलोमीटर प्रति घंटा) है, जो वाईकॉम थवंक्‍काडावू के बीच की 2.5 किलोमीटर की दूरी को 15 मिनट में तय करने में सक्षम है|
  • इसकी अन्‍य प्रमुख विशेषताएँ यह है कि यह नौका, यात्रा के दौरान सामान्‍य डीजल से चलने वाले क्रूज के मुकाबले कम कंपन्‍न उत्पन्न करती है|
  • इसके अतिरिक्त यह नाव भारत सरकार के शिपिंग विभाग द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों पर भी खरी उतरती है और केरल में कहीं भी संचालन के लिये यह बेहद सुरक्षित है|

डीजल-चालित की तुलना में 

  • यदि इस नौका की इसी तरह की अन्य कार्यात्‍मक सुविधाओं और सुरक्षा मानकों से सु‍सज्जित डीजल - चालित पारंपरिक नाव से तुलना की जाए तो ज्ञात होता है कि डीजल-चालित नौका की लागत 1.58 करोड़ रुपए आती है, जबकि सौर ऊर्जा संचालित नौका की लागत 2.35 करोड़ रुपए आती है|
  • ध्यातव्य है कि एक कुशल पारंपरिक नाव पर प्रतिदिन 120 लीटर तेल (12 लीटर प्रतिघंटा) या 3500 लीटर प्रति माह और 42000 लीटर प्रति वर्ष डीजल खर्च होता है| यानी इन नौकाओं में ईंधन के रूप में डीजल के लिये तकरीबन 26.55 लाख रुपए (63.32 रुपए/ प्रति लीटर) तथा ल्‍यूब ऑयल एवं अन्‍य रखरखाव लागत सहित इसकी कुल परिचालन लागत 30.37 लाख रुपए प्रति वर्ष आती है|
  • जबकि, सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली नौका में 40 यूनिट बिजली यानी मात्र 422.13 रुपए प्रतिदिन का ही खर्च आता है, जो लगभग 12,596 रुपए प्रति माह तथा तकरीबन 1.5 लाख रुपए प्रतिवर्ष तक होता है|
  • इसके अतिरिक्त डीजल से संचालित होने वाली नौकाओं की भाँति न तो सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली नौकाओं से किसी भी प्रकार का शोरगुल होता है और न ही प्रदूषण, ही होता है|
  • पारंपरिक नौकाएँ वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाई-आक्साइड छोड़ती हैं, जो कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरनाक होती हैं|
  • इसके अलावा पिछले कुछ समय से जल में तेल का रिसाव होना एक आम घटना बनती जा रही है, वस्तुतः पारंपरिक नौकाएँ जल में तेल का रिसाव का कारण भी हैं, ऐसा होने से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ वायुमंडल को भी गंभीर हानि पहुँचती है|

लाभ

  • ध्यातव्य है कि अंतर्देशीय जल परिवहन को केरल में परिवहन का सबसे कुशल, सस्‍ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन माना जाता है|
  • वस्तुतः यह केरल में परिवहन का अभिन्न हिस्सा होने के साथ-साथ सबसे सस्ता साधन भी है। केरल की 44 में से 41 नदियाँ, कई झीलें, नहरें यात्रा और माल ढुलाई के लिये राज्य में स्थित जलमार्गों का एक अच्छा नेटवर्क प्रदान करते हैं|
  • यह परियोजना भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है|
  • वर्तमान में केरल राज्य के जल परिवहन विभाग के पास 49 नौकाएँ मौजूद हैं जो लकड़ी और स्टील से बनी हुई हैं| इन लकड़ी की नौकाओं की परिचालन लागत को कम करने के लिये जल परिवहन विभाग द्वारा हाल ही में इन नौकाओं का निर्माण फाइबर ग्लास से करने की संभावनाओं को तलाशा गया है|
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