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एक हज़ार पठार

  • 11 Apr 2017
  • 4 min read

सिंगोधा (Singodha) महाराष्ट्र एवं तेलंगाना राज्य की सीमा पर स्थित चारों ओर से तीव्र ढाल और सपाट शीर्ष वाली विचित्र पहाड़ियों से घिरा हुआ एक गाँव है| सूखाग्रस्त क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद भी इस गाँव के रेगिस्तान में न परिवर्तित होने का एकमात्र कारण मानसून और वर्ष के अन्य महीनों में इन गाँव के लोगों द्वारा की गई बेहतर सिंचाई एवं जल संचयन व्यवस्था है|

  • एक नाजुक अवसंरचना के घूमने वाली जो कि गांव के स्थानीय जल आपूर्ति प्रणाली का गठन करता है|
  • इस गाँव में एक बेहद पेचीदा भूलभुलैया जैसी नाजुक अवसंरचना है जो कि इस गाँव में वास करने वाली बंजारा जनजाति के लोगों को जल आपूर्ति प्रणाली का स्रोत है| 
  • वास्तविक रूप में यह बंजारा समुदाय के 350 से अधिक परिवारों के लिये सतही और गहरी बोरवेल सेवा का एक नेटवर्क है| 

महुआ प्रणाली

  • गौरतलब है कि इस क्षेत्र में बस्तीकरण के दौर से भी दो दशक पूर्व बनाया गया एक सूखा टैंक अब नष्ट हो चुका है| जो कि इस क्षेत्र की लापरवाह नौकरशाही और इस क्षेत्र से संबद्ध दुर्भावनापूर्ण योजनाओं का प्रमाण है|
  • इस संबंध में यह कहना गलत नहीं होगा कि पानी की अत्यधिक कमी वाले इस क्षेत्र में जल के हमेशा से एक उपयुक्त जल प्रबंधन की आवश्यकता थी, न कि सरकारी हस्तक्षेपों एवं लाग-लपेट की|
  • इस क्षेत्र के सूखे भू-भाग में नीम और महुआ के वृक्ष लगाए जाते हैं| इसका कारण यह है कि इन दोनों ही वृक्षों को जीवित रहने के लिये बहुत कम जल की आवश्यकता होती है|

बंजारा समुदाय 

  • बंजारा या खानाबदोश मानवों का एक ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर आजीवन जीवन यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरंतर भ्रमणशील रहता है|
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में इस समुदाय के लोगों की संख्या तकरीबन 3-4 करोड़ हैं| 
  • यह महाराष्ट्र राज्य का सबसे बड़ा खानाबदोश समुदाय है| वर्तमान में यह वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्य के राजनीतिक उपकरण का एक भाग बना चुका है|

जल की कमी वाला क्षेत्र

  • वस्तुतः ऐसे जल की कमी वाले क्षेत्र में जल-बलित सुरंग (water-stressed tunnel) का निर्माण करना आशा की एक किरण साबित हो सकता है; जिसमें पानी का भंडारण स्टॉक में करने की बजाय जल के परिसंचरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये|
  • यहाँ एक ओर बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है वह यह कि जब हम पानी के प्रबंधन के संबंध में मानसून आधारित संवेदनशील दृष्टिकोण से एक उपनदी या चैनल के निर्माण आधारित दृष्टिकोण की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते है तो हमें इसके हर पहलू के विषय में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है|
  • जब हम पानी को चक्रों के रूप में प्रबंधित करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं जिसके बुनियादी ढांचे में वन और सतह के कुएं भी शामिल होते हैं, तो हमें इस क्षेत्र में बहने वाली नहरों और माईनरों संबंधी जल के प्रबंधन के विषय में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। ताकि जल की एक भी बूंद को व्यर्थ में बहने से रोका जा सकें|
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