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एडिटोरियल

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास के बीच संबंध

  • 11 Aug 2017
  • 6 min read

संदर्भ
27 जून, 2017 को नीति आयोग ने राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का मसौदा जारी किया। इसका लक्ष्य देश को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना है। परंतु इस मसौदे में ऊर्जा विकल्पों के द्वारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की उपेक्षा की गई है।  

क्या है नीति आयोग के मसौदे में 

  • इस मसौदा नीति में एक महत्त्वपूर्ण पहलू जिसकी अनदेखी की गई है वह है सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ऊर्जा के विकास का प्रभाव।  
  • इस दस्तावेज़ में स्वास्थ्य से संबंधित 14 प्रकार के उल्लेख हैं, जिनमें से केवल पाँच घरेलू ईंधन के संदर्भ में सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित हैं। 

वायु प्रदूषण पर W.H.O. की रिपोर्ट  

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम का सर्वप्रमुख कारण है। 
  • यह वायु प्रदूषण ही है जिसके कारण वर्ष 2012 में लगभग 30 लाख लोगों की समय पूर्व मृत्यु हुई थी। जबकि बीमारी एवं अन्य तरह से प्रभावित होने वालों की संख्या और भी अधिक हो सकती है। 

बच्चे सर्वाधिक प्रभावित

  • पर्यावरणीय स्वास्थ्य शोधकर्त्ताओं के अनुसार, बच्चे वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं| अतः यदि जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन को कम करने संबंधी कोई नीति बनती है तो इसके प्राथमिक लाभार्थी भी बच्चे ही होंगे। 

स्वास्थ्य और विकास

  • किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध होता है। 
  • एक अनुमान के अनुसार, भारत और चीन में वायु प्रदूषण के कारण मानव जीवन तथा खराब स्वास्थ्य की अनुमानित लागत का मूल्य 3.5 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष से अधिक है।
  • इसी तरह, विश्व बैंक और स्वास्थ्य मैट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान के एक संयुक्त अध्ययन में पाया गया है कि 2013 में केवल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में होने वाली समय पूर्व मृत्यु की समस्त लागत 5 खरब डॉलर से अधिक थी। पूर्व और दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण से संबंधित कल्याण हानि जीडीपी की लगभग 7.5% के बराबर थी ।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की सभी नीतियों में स्वास्थ्य ढाँचे ( Health in All Policies ) को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारत में वायु प्रदूषण के मुद्दे को हल करने एवं बहु-क्षेत्रीय प्रतिबद्धता प्राप्त करने के उद्देश्य से एक स्टीयरिंग कमेटी की स्थापना की है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017, में भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि देश में लोगों के स्वास्थ्य के कल्याण के लिये वायु प्रदूषण को कम करना अति महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि, राष्ट्रीय ऊर्जा नीति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उल्लिखित प्रतिबद्धता को न ही प्रतिबिंबित करती है और न ही इसका समर्थन। 

क्या होना चाहिये ? 

  • नीतिगत उद्देश्यों एवं आर्थिक विकास के मद्देनज़र, राष्ट्रीय ऊर्जा नीति जैसे विज़न दस्तावेज़ो को ऊर्जा उत्पादन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने और उनसे  संबंधित स्वास्थ्य लागतों को कम करने का प्रयास करना चाहिये।  
  • मौजूदा एवं भविष्य की ऊर्जा परियोजनाओं और प्रौद्योगिकियों के पूरे जीवन चक्र से स्वास्थ्य संबंधी खतरों और स्वास्थ्य लागतों की माप के लिये ऊर्जा नीति में एक स्वास्थ्य प्रभाव निर्धारण ढाँचा को शामिल करना चाहिये।   
  • उदाहरण के लिये, वर्तमान नीति व्यवस्था के तहत कोयले के कारण वायु प्रदूषण में पारा एवं सूक्ष्म कणों में वृद्धि से और परमाणु ऊर्जा में वृद्धि की संभावना के साथ विकिरण के जोखिम पर अथवा फोटोवोल्टिक पैनल के निर्माण के दौरान सिलिका और कैडमियम के एक्सपोजर से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिये कोई तरीका नहीं है। 
  • धारणीय ऊर्जा के स्वास्थ्य सूचकों पर प्रभाव पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक विशेषज्ञ परामर्श से प्राप्त प्रारंभिक निष्कर्ष भारत में भी उसी तरह के अभ्यास को आरंभ करने के लिये अच्छी रूपरेखा प्रदान करते हैं।
  • यह कुछ कोर और विस्तारित संकेतक देता है जो किसी राष्ट्र की ऊर्जा नीति की प्रगति की निगरानी में सहायता कर सकते हैं।
  • मुख्य संकेतक स्वास्थ्य इक्विटी से संबंधित मुद्दों को संबोधित करते हैं जहाँ स्वास्थ्य प्रभाव का आकलन ऊर्जा नीति के डिज़ाइन और कार्यान्वयन का एक अभिन्न अंग बन जाता है।

निष्कर्ष
किसी राष्ट्र की ऊर्जा नीति का समाज और स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर हो सकता है। अतः यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि ऊर्जा सुरक्षा की ओर निर्देशित सभी नीतियाँ सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों के साथ संगत हों।

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