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भारतीय अर्थव्यवस्था

एक देश-एक राशन कार्ड

  • 20 Aug 2019
  • 15 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस आलेख में ‘एक देश एक राशन कार्ड’ योजना पर चर्चा की गई है तथा प्रवासियों पर इस योजना के प्रभावों को भी बताया गया है। आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने ‘एक देश-एक राशन कार्ड' (One Nation One Ration Card - ONORC) प्रणाली की ओर आगे बढ़ने की घोषणा की। इस प्रणाली के आरंभ होने पर लाभार्थी देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं। प्रवासियों के लिये यह ONORC प्रणाली अत्यंत उपयोगी साबित होगी। इस योजना के लाभों को जानने के लिये मूल्य श्रृंखला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System- PDS) के कार्यकरण को समझना महत्त्वपूर्ण है।

विशेषताएँ

  • गरीब प्रवासी मज़दूर इस योजना के अंतर्गत देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से राशन प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि इसके लिये राशन कार्ड का आधार से लिंक होना आवश्यक है।
  • प्रवासी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे, इसमें 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल तथा 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेंहूँ शामिल है।
  • इस स्कीम को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्यों से वंचित न रहे।
  • यह स्कीम 77 प्रतिशत राशन की दुकानों (FPS) में क्रियान्वित की जा सकती है, जहाँ पहले से ही PoS मशीन (Point of Shale) उपलब्ध है, साथ ही यह स्कीम उन 85 प्रतिशत लाभार्थियों को भी कवर करेगी जो NFSA के अंतर्गत आते हैं एवं उनके राशन कार्ड आधार से लिंक हैं।
  • शेष लाभार्थियों के मामले में सभी राज्यों को राशन की दुकानों में PoS मशीनों का उपयोग करने और योजना को लागू करने हेतु एक वर्ष का अतिरिक्त समय दिया गया है।

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्‍यादेश एक ऐतिहासिक पहल है जिसके ज़रिये जनता को पोषक खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास ज़ोर गरीब-से-गरीब व्‍यक्ति, महिलाओं और बच्‍चों की ज़रूरतें पूरी करने पर है।
  • इस विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र की भी व्‍यवस्‍था है। अगर कोई जनसेवक या अधिकृत व्‍यक्ति इसका अनुपालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ शिकायत कर सुनवाई का प्रवधान किया गया है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल देने की व्यवस्था है। इस कानून के तहत व्यवस्था की गई है कि लाभार्थियों को उनके लिये निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया।
  • समाज के अति निर्धन वर्ग के हर परिवार को हर महीने अंत्‍योदय अन्‍न योजना में इस कानून के तहत सब्सिडी दरों पर यानी तीन रुपए, दो रुपए, एक रुपए प्रति किलोग्राम क्रमशः चावल, गेहूँ और मोटा अनाज मिल रहा है।
  • पूरे देश में यह कानून लागू होने के बाद 81.34 करोड़ लोगों को 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गेहूँ और 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल दिया जा रहा है।

प्रवासियों को लाभ

  • ONORC प्रणाली प्रवासियों के प्रति उत्तरदायित्व से संबंधित है। लाभार्थियों की पहचान करने के कार्य में भारी लागत आती है और इसमें समावेशन तथा अपवर्जन की कई त्रुटियाँ मौजूद रहती है। यदि कोई प्रवासी परिवार अपना निवास स्थान बदलता है तो पुनः पात्र बनने के लिये उसे अत्यधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता। चूँकि एक प्रवासी के रूप में उसकी सौदेबाजी की शक्ति कम होती है, इसीलिये प्रवासी परिवारों के लिये मुश्किलें सामान्यतः अत्यधिक होती हैं। ONORC प्रणाली फर्ज़ी राशन कार्ड की समस्या और पात्रता संबंधी सर्वेक्षण लागत में वृद्धि को समाप्त कर उन्हें लाभान्वित करेगी।
  • चूँकि भारत में आंशिक प्रवासन एक सामान्य परिदृश्य बन चुका है, यदि ONORC के तहत प्रत्येक सदस्य के हिस्से का राशन किसी भी स्थान से प्राप्त करने का प्रावधान कर दिया जाए तो यह परिवारों को और अधिक लाभ पहुँचा सकता है। इससे प्रवासी सदस्य अन्यत्र भी अनाज ग्रहण कर सकेंगे, जबकि उनका परिवार अपने ग्राम में अपने हिस्से का राशन प्राप्त कर सकता है।
  • राशन का वितरण स्थानीय स्तर पर उचित मूल्य की दुकानों (Fair Price Shop- FPS) द्वारा किया जाता है। एक अध्ययन में तीन राज्यों - बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों ने डीलरों द्वारा भेदभाव की शिकायत की। यह भेदभाव विशेष रूप से महिलाओं के विरुद्ध और गुणवत्तायुक्त सेवाएँ प्रदान करने के संदर्भ में नज़र आता है। ONORC लाभार्थियों को अपने पसंद के ड़ीलर को चुनने का अवसर देगा। यदि कोई ड़ीलर बुरा व्यवहार करता है या राशन के आवंटन में गड़बड़ी करता है तो लाभार्थी तुरंत किसी अन्य FPS की सेवा ले सकता है।
  • ONORC महिलाओं एवं अन्य वंचित समूहों के लिये विशेष लाभप्रद होगा क्योंकि PDS तक पहुँच में सामाजिक पहचान (जाति, वर्ग और लिंग) तथा अन्य प्रासंगिक कारक (शक्ति संबंध आदि) प्रभावकारी बाधा पहुँचाते रहे हैं। अध्ययन से प्रतीत होता है कि स्थानीय जातिगत भेदभाव और सामाजिक संबंधों की जटिलता सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुँच में प्रमुख निर्धारक कारक होते हैं। सार्वभौमिक अधिकार के बावजूद राशन कार्ड के ऊपर नियंत्रण महिलाओं, निम्न जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के विरुद्ध भेदभाव का एक मज़बूत साधन बन जाता है।
  • इसके अतिरिक्त कमजोर समूहों के लिये सेवाओं की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से निम्न प्रकृति की होती है जहाँ सूचना की कमी, खराब अनाज एवं मिलावट, लंबी प्रतीक्षा अवधि आदि के रूप में भेदभाव के विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं और कई बार अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित भी किया जाता है। इसके साथ ही इन परिवारों के अधिकारों का हनन किया जाता है जैसे उन्हें निर्धारित मात्रा व गुणवत्ता का अनाज न मिलना या अधिक मूल्य चुकाना आदि।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से सुधार लाने की आवश्यकता है। ‘'एक देश-एक राशन कार्ड'’ योजना सौदेबाजी की शक्ति को ड़ीलर से लाभार्थी की ओर मोड़ सकती है। ONORC लाभार्थियों को उन PDS दुकानों को चुनने का अवसर देगा जो बेहतर सेवा सुनिश्चित करते हैं।

चुनौतियाँ

'एक देश-एक राशन कार्ड' से प्रमुख रूप से आशिंक प्रवासियों को लाभ होगा, इसमें मुख्य रूप से वर्ष की विशेष अवधि (मौसमी प्रवास) में होने वाला प्रवास शामिल है। ONORC राशन तक लोगों की पहुँच तथा प्राप्ति को सुगम बनाएगा। किंतु इस योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें संबोधित करना आवश्यक है-

  • सबसे बड़ी समस्या ऐसे गरीब परिवारों के डेटा से संबंधित है, जो अंतःराज्यीय एवं अंतर-राज्यीय प्रवास करते हैं।
  • विभिन्न राज्यों में सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये उस राज्य का निवासी होना एक पूर्व शर्त होती है। यदि इस योजना को लागू करना है तो उपर्युक्त नीति में संशोधन की आवश्यकता होगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के रूप में परिभाषित करता है। इसलिये, गरीब प्रवासी परिवारों के लिये एकीकृत बाल विकास सेवाओं, मिड-डे मील, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं को उपेक्षित नहीं किया जा सकता है, अनाज की उपलब्धता के साथ ही गरीब प्रवासियों को उपर्युक्त सेवाएँ भी उपलब्ध कराना आवश्यक है।
  • ONORC आधार कार्ड तथा राशन कार्ड के डिजिटलीकरण पर आधारित है। इसमें एक समस्या है कि यदि कोई व्यक्ति अकेले अथवा कुछ सदस्यों के बिना प्रवास करता है तो हो सकता है कि वे इस स्कीम का लाभ प्राप्त करने में सक्षम न हों। ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) में इस प्रकार का प्रावधान किया गया है कि आंशिक प्रवासी परिवारों (परिवार के कुछ सदस्य प्रवासी) को भी लाभ प्राप्त हो सके। सरकार RSBY योजना के उपर्युक्त प्रावधान को PDS में भी लागू करने पर विचार कर सकती है।
  • कामगार प्रवासियों को सुगम खाद्य आपूर्ति में आधार तथा बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण भी एक बाधा उत्पन्न कर सकती है।

सुझाव

  • निश्चय ही राज्य हस्तांतरण के माध्यम से खाद्य तक पहुँच के लिये शक्ति संबंध में बदलाव और संरचनात्मक विशेषताओं में परिवर्तन की आवश्यकता होगी, जिनमें असमान सामाजिक संबंधों को चुनौती देना, उन पर पुनर्विचार करना और उन्हें रूपांतरित करना शामिल है।
  • इसके साथ ही उबर/ओला जैसी प्रणालियों के अनुभवों के आधार पर PDS को एक रेटिंग प्रणाली से संयुक्त किया जा सकता है जहाँ निगरानी और नियंत्रण के माध्यम से सरकार इसे बेहतर बना सकती है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले डीलरों को पुरस्कृत किया जा सकता है। लेकिन इस प्रणाली की सफलता के लिये आवश्यक है कि एप-आधारित कैब की तरह ही एक एकीकृत संरचना मौजूद हो।
  • ONORC के साथ ही डिजिटलीकरण का विस्तार प्रणाली को और अधिक लाभप्रद और स्व-संशोधनकारी बनाएगा।
  • 'एक देश-एक राशन कार्ड' में परिणामों में सुधार लाने की क्षमता है, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिये, साथ ही किसी भी वितरण तंत्र की तरह प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये संपूर्ण मूल्य श्रृंखला पर गहन निगरानी रखने और इसे अवसंरचनात्मक समर्थन देने की आवश्यकता है।
  • PDS दुकानों पर पॉइंट ऑफ़ सेल (PoS) प्रणाली की उपलब्धता और इसके कार्यकरण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लाभार्थियों के हक से कोई समझौता न हो।

निष्कर्ष

भारत को आज़ादी की विरासत में कई चुनौतियाँ प्राप्त हुई थीं, इनमें से एक प्रमुख समस्या भूखी एवं गरीब आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की थी। इसको ध्यान में रखकर 60 के दशक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को लागू किया गया ताकि सस्ते दामों पर लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके। इस क्षेत्र में विभिन्न बदलावों की कड़ी के रूप में वर्ष 1997 में लक्षित PDS (Targeted-PDS) कार्यक्रम को लॉन्च किया गया। लेकिन इतने वर्षों में विकास एवं अन्य कारकों ने देश में प्रवास की गति को तीव्र किया है, साथ ही यह प्रवास मुख्य रूप से गरीबों द्वारा काम की तलाश में किया जाता रहा है जिसके ऐसे परिवारों एवं लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हो गई। इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार ने 'एक देश-एक राशन कार्ड' योजना को क्रियान्वित करने की नीति को सार्वजनिक किया है। हालाँकि इस कार्यक्रम में कुछ चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। यदि इस कार्यक्रम को कुशल रणनीति से लागू किया जाता है तो निश्चय ही यह समाज के सबसे गरीब एवं हाशिये पर स्थित वर्ग के पोषण स्तर को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रश्न: 'एक देश-एक राशन कार्ड' योजना समाज के हाशिये पर स्थित वर्ग के पोषण स्तर में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। चर्चा कीजिये।

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