लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



एडिटोरियल

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्रिक्स का महत्त्व

  • 15 Nov 2019
  • 19 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस में लेख ब्रिक्स और उसके हालिया सम्मेलन की चर्चा की गई है। साथ ही भारत और ब्रिक्स के पहलू का भी उल्लेख किया गया है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

हाल ही में आयोजित 11वें ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने निवेश के लिये भारत को विश्व की सर्वाधिक अनुकूल अर्थव्यवस्था की संज्ञा दी और ब्रिक्स कारोबारियों से भारत में निवेश करने का आग्रह किया। विदित है कि वर्ष 2019 का 11वाँ ब्रिक्स सम्मेलन 13-14 नवंबर, 2019 को ब्राज़ील की राजधानी ब्राज़िलिया में आयोजित किया गया। इस वर्ष ब्रिक्स सम्मेलन का विषय “अभिनव भविष्य के लिये आर्थिक वृद्धि” (Economic Growth for an Innovative Future) रखा गया था। उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स कुल पाँच देशों का एक समूह है जो विश्व की तकरीबन 50 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है।

11वाँ ब्रिक्स सम्मेलन और भारत

  • प्राथमिकताएँ:
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूती प्रदान करना
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सहयोग का विस्तार
    • अंतर्राष्ट्रीय अपराध मुख्यतः संगठित अपराध, मनी लोंड्रिंग और ड्रग ट्रैफिक के विरुद्ध सहयोग
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और ब्रिक्स व्यापार परिषद के बीच तालमेल हेतु प्रोत्साहन
  • सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अगले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पूर्व ब्रिक्स देशों के मध्य संयुक्त उद्यम के लिये कम-से-कम पाँच क्षेत्रों की पहचान करने का सुझाव दिया।
  • इसके अलावा भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्राज़ील, रूस और चीन के प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की।
    • भारत और ब्राज़ील: भारत और ब्राज़ील के प्रतिनिधियों के मध्य द्विपक्षीय वार्ता 13 नवंबर को हुई और इसी दौरान ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने 26 जनवरी, 2020 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत आने के आमंत्रण को भी स्वीकार किया। अपनी द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के मध्य रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रूप से बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की गई।
    • भारत और चीन: 11वें शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी द्विपक्षीय वार्ता की। चीन के राष्ट्रपति ने मामल्लपुरम में आयोजित दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिये भारत की प्रशंसा की और वर्ष 2020 में तीसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिये भारतीय प्रधानमंत्री को चीन आने का आमंत्रण भी दिया। इसके अलावा दोनों नेताओं ने वर्ष 2020 में भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ की तैयारियों की समीक्षा भी की।
    • भारत और रूस: सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के प्रतिनिधियों के बीच भी वार्ता का आयोजन किया गया। वार्ता के दौरान दोनों प्रतिनिधियों ने सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की व्लादिवोस्तोक की यात्रा के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने 2020 में रूसी प्रांतों और भारतीय राज्यों के बीच क्षेत्रीय स्तर पर व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिये एक द्विपक्षीय क्षेत्रीय मंच स्थापित करने का भी निर्णय लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में रूस के विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिये रूसी राष्ट्रपति के निमंत्रण को भी स्वीकार किया।

क्या है ब्रिक्स (BRICS)?

  • ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये प्रयोग होने वाला एक संक्षिप्त रूप है, जिसमें B-Brazil, R-Russia, I-India, C-China और S-South Africa से संबंधित है।
  • शुरुआती दौर में दक्षिण अफ्रीका इस समूह का हिस्सा नहीं था और यह केवल 4 देशों का समूह था जिसे ब्रिक (BRIC) कहा जाता था, उल्लेखनीय है कि पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
  • दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक (BRIC) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने चीन में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और  समूह ने संक्षिप्त रूप ब्रिक्स (BRICS) को अपनाया।

ब्रिक्स देशों में सहयोग क्षेत्र 

  • आर्थिक और वित्तीय सहयोग
    • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), जिसकी स्थापना वर्ष 2014 में फोर्टलेज़ा (ब्राज़ील) में आयोजित ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन की गई थी, ब्रिक्स देशों के मध्य आर्थिक और वित्तीय सहयोग का सबसे प्रमुख उदाहरण है। इसकी स्थापना ब्रिक्स एवं अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा एवं सतत् विकास परियोजनाओं के लिये कार्यान्वयन हेतु किया गया था। NDB का मुख्यालय चीन के शंघाई में है। वहीं इसका पहला क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में है।
    • इसके अलावा वैश्विक वित्तीय संकट की संभावनाओं के मद्देनज़र ब्रिक्स राष्ट्रों ने वर्ष 2014 में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ही ब्रिक्स आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था (CRA) बनाने पर सहमति जताई थी। CRA का उद्देश्य भुगतान संतुलन संकट की स्थिति को कम करने और वित्तीय स्थिरता को मज़बूती प्रदान करने में मदद के लिये मुद्रा विनिमय के माध्यम से सदस्यों को अल्पकालिक मौद्रिक सहायता देना है। CRA की प्रारंभिक क्षमता 100 बिलियन डॉलर है, जिसमें चीन के 41 बिलियन डॉलर, ब्राज़ील के 18 बिलियन डॉलर, रूस के 18 बिलियन डॉलर, भारत के 18 बिलियन डॉलर और दक्षिण अफ्रीका के 5 बिलियन डॉलर शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य सहयोग  
    • ब्रिक्स स्वास्थ्य सहयोग की शुरुआत वर्ष 2011 में ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की पहली बैठक के साथ हुई थी। स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग से सभी ब्रिक्स देशों के बीच सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- संक्रामक रोगों की घटना, चिकित्सा सेवाओं और दवाओं तक समान पहुँच की कमी आदि की पहचान संभव हो पाई है।
    • इस क्षेत्र में ब्रिक्स की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि तपेदिक अनुसंधान नेटवर्क (Tuberculosis Research Network) को भी माना जा सकता है। इस नेटवर्क का उद्देश्य तपेदिक (Tuberculosis) के खिलाफ लड़ाई पर संयुक्त अनुसंधान और विकास की पहल को बढ़ावा देना है।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग की शुरुआत वर्ष 2014 में इस विषय पर पहली मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ हुई थी। इस बैठक से अनुसंधान परियोजनाओं हेतु संसाधनों के आदान-प्रदान और उपलब्धता के संदर्भ में काफी महत्त्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हुए थे। इस क्षेत्र में सहयोग के लिये अब तक 11 कार्यदल स्थापित किये गए हैं, जो भिन्न-भिन्न क्षेत्रों जैसे- जल संसाधनों के प्रबंधन, जैव प्रौद्योगिकी और जैव-चिकित्सा आदि में कार्य कर रहे हैं।
  • सुरक्षा सहयोग 
    • सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) और सुरक्षा मुद्दों पर काम करने वाले समूहों की बैठकें सुरक्षा के क्षेत्र में ब्रिक्स वार्ता का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इन बैठकों में सभी सदस्य अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरों और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों जैसे- मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर हमले, मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार और आतंकवाद आदि के खतरों पर अपने दृष्टिकोण का आदान-प्रदान करते हैं। इसी वर्ष ब्रिक्स के आतंकवाद पर संयुक्त कार्यदल ने आतंकवादी वित्तपोषण, आतंकवादी उद्देश्यों के लिये इंटरनेट का प्रयोग और कट्टरता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर  पाँच उप-कार्यदलों के गठन करने का निर्णय लिया है।
  • व्यापार
    • ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल (BRICS Business Council) और बिज़नेस फोरम (Business Forum) इस समूह के अंदर व्यापार सहयोग के लिये मुख्य तंत्र हैं। बिज़नेस काउंसिल की स्थापना वर्ष 2013 में दक्षिण अफ्रीका में डरबन सम्मेलन के दौरान की गई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य पाँचों देशों के व्यापारिक समुदाय को एक साथ लाकर नए व्यावसायिक अवसरों की खोज करना है। वर्तमान में परिषद में कुल 9 कार्यदल मौजूद हैं, जो मुख्यतः अवसंरचना, विनिर्माण, ऊर्जा, कृषि व्यवसाय, वित्तीय सेवाएं, क्षेत्रीय विमानन, क्षमता स्तर का सामंजस्य और क्षमता विकास आदि से संबंधित हैं।

ब्रिक्स का महत्त्व

  • गौरतलब है कि एक समूह के रूप में ब्रिक्स दुनिया की 42 प्रतिशत आबादी वाली पाँच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।
  • वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार, इन पाँचों देशों का दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 23 प्रतिशत और विश्व व्यापार में लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा है।
  • वैश्विक विकास, व्यापार तथा निवेश में ब्रिक्स देशों का बड़ा योगदान है, जो इसे वैश्विक व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनाता है।
  • विश्व अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स के बढ़ते योगदान ने नई पहल के लिये कई अवसरों का निर्माण किया है जो टिकाऊ और समावेशी विकास में मददगार साबित हो सकते हैं।
  • ईरान डील और INF संधि से अमेरिका की वापसी ने वैश्विक शांति पर बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है। ब्रिक्स निष्पक्षता के सिद्धांत के आधार पर विवाद समाधान में सक्रिय रहकर विश्व शांति सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में भी ब्रिक्स की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

ब्रिक्स की चुनौतियाँ 

  • ब्रिक्स समूह के आलोचक यह दावा करते हैं कि ब्रिक्स राष्ट्रों की विविधता, समूह की व्यवहार्यता उसके हितों के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती है।
  • ब्रिक्स के सभी देश एक-दूसरे से कम और चीन के साथ ज़्यादा व्यापार करते हैं, इसलिये कई बार आरोप लगाए जाते रहे हैं कि इस मंच का प्रयोग अन्य देशों की अपेक्षा चीन के हितों को बढ़ावा देने के लिये ज़्यादा किया जा रहा है। ध्यातव्य है कि चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करना अन्य साझेदार देशों के लिये एक बड़ी चुनौती है।
  • अमेरिका के साथ दृष्टिकोण के विरोध के कारण कई वार्ताएँ विफल रही हैं, इससे ब्रिक्स देशों के आर्थिक विस्तार में बाधा उत्पन्न होती है।
  • कुछ सदस्यों के बीच राजनीतिक मतभेद के कारण सदस्य देशों के भीतर नीतिगत समन्वय का अभाव देखा गया है। उदाहरण के लिये भारत-चीन संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार तनाव देखा गया है।

ब्रिक्स की उपलब्धियाँ 

  • वर्ष 1996 से वर्ष 2008 के दौरान विश्व के निर्यात में BRIC देशों की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से बढ़कर 17 प्रतिशत हो गई थी, जो कि इस समूह के लिये एक बड़ी है।
  • कई जानकार NDB के गठन को भी ब्रिक्स की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं, क्योंकि वर्तमान में इस संस्थान को IMF और विश्व बैंक जैसे बड़े संस्थानों के स्तर का माना जाता है।
  • आर्थिक क्षमता और जनसांख्यिकी विकास, ब्रिक्स देशों को आगे बढाने में काफी मददगार साबित हुई है, जिससे ये देश वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने में सक्षम हुए हैं। भारत चीन और रूस इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

भारत और ब्रिक्स

  • ज्ञातव्य है कि इसकी स्थापना के साथ ही भारत ने उसमें एक महत्त्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका अदा की है। भारत सदैव ही वैश्विक आर्थिक विकास, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये ब्रिक्स के मंच को महत्त्व देता रहा है।
  • आर्थिक मोर्चे पर सहयोग हमेशा से ही BRICS के प्रति भारत की नीति का प्रमुख केंद्र रहा है। भारत ब्रिक्स को लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और एशियाई देशों के साथ बहुपक्षीय संबंध बनाने के लिये एक मंच के रूप में देखता है।
  • भारत ने चीन के साथ अपने सदियों पुराने जटिल संबंधों को सुलझाने के लिये एक मंच के रूप में BRICS का उपयोग करने की भी कोशिश की है।
  • साथ ही न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना में भी भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रिक्स की भारत के भोजन और ऊर्जा सुरक्षा संबंधी मुद्दों को संबोधित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

ब्रिक्स का कॉमन पेमेंट सिस्टम 

  • ब्रिक्स देशों के बीच एक कॉमन पेमेंट सिस्टम (Common Payment System) बनाने पर चर्चा की जा रही है।
  • गौरतलब है कि इस सिस्टम का प्रमुख उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर ब्रिक्स देशों की निर्भरता को कम करना और आपसी व्यापार में अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करना है।
  • इस सिस्टम के निर्मित होने पर ब्रिक्स की यह भुगतान प्रणाली सदस्य देशों के बीच राष्ट्रीय मुद्रा में भुगतान को प्रोत्साहन देगी और सभी देशों के बीच स्थायी भुगतान एवं निवेश को सुनिश्चित करेगी।
  • ब्रिक्स व्यापार परिषद ने भी ब्रिक्स ब्लॉक के भीतर आपसी निवेश के लिये समन्वय केंद्र बनाने हेतु रूस की पहल का समर्थन किया है।

ब्रिक्स और UN सुधार 

  • ब्रिक्स समूह के सदस्य देश सदैव ही संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े बहुपक्षीय संगठनों को मज़बूत करने और उनमें सुधार करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देते रहे हैं, ताकि विकासशील देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटा जा सके।
  • 11वें शिखर सम्मेलन के संयुक्त विवरण में भी कहा गया है कि “हम 2005 के विश्व शिखर सम्मेलन के दस्तावेज़ को दोहराते हैं एवं संयुक्त राष्ट्र को प्रभावी और कुशल बनाने के लिये तथा इसके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के उद्देश्य से इसमें व्यापक सुधार की आवश्यकता की पुष्टि करते हैं।”

प्रश्न: “पिछले एक दशक में ब्रिक्स के महत्त्व में निरंतर वृद्धि हुई है।” इस कथन के संदर्भ में भारत के लिये ब्रिक्स के महत्त्व की चर्चा कीजिये?   

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2