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एडिटोरियल

कृषि

कृषि पर्यटन

  • 16 May 2022
  • 15 min read

यह एडिटोरियल 14/05/2022 को ‘हिंदू बिजनेसलाइन’ में प्रकाशित “Making Agri-Tourism a Sustainable Business” लेख पर आधारित है। इसमें कृषि-पर्यटन के महत्त्व और इसे बढ़ावा देने के अवसरों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

संवहनीय व्यवसायों और विकास प्रतिमान में तीन कारक अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं—‘प्लेनेट’ यानी हमारी पृथ्वी, ‘पीपुल’ यानी लोग और ‘प्रॉफिट’ यानी कारोबारी मुनाफा। संवहनीयता के लिये कृषि और ग्रामीण पारितंत्र सेवाएँ, विशेष रूप से कृषि-पर्यटन (Agri-Tourism) अधिक मूल्यह्रास या मूल्य क्षरण के बिना ‘ग्रीनफील्ड’ (वाणिज्यिक विकास या दोहन के लिये अभी तक अप्रयुक्त या अविकसित स्थल/क्षेत्र) बनी हुई हैं।

  • कृषि-पर्यटन, जो पहले एक छोटा क्षेत्र रहा था, अब तेज़ी से विस्तार कर रहा है और इसे पर्यटन मंत्रालय की ओर से वृहत प्रोत्साहन मिल रहा है। कृषि-पर्यटन के फलने-फूलने के लिये एक सक्षम वातावरण की आवश्यकता है और यह पर्यटन उद्योग में कम से कम 15-20% हिस्सेदारी रखता है।

कृषि-पर्यटन क्या है ?

  • कृषि-पर्यटन को वाणिज्यिक उद्यम के एक प्रकार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कृषि उत्पादन और/या प्रसंस्करण को पर्यटन के साथ जोड़ता है, जहाँ आगंतुकों को मनोरंजन देने और/या शिक्षित करने के उद्देश्य से एक फार्म, रैंच या अन्य कृषि व्यवसाय स्थलों की ओर आकर्षित किया जाता है और इस प्रकार आय का सृजन किया जाता है।
    • कृषि-पर्यटन को पर्यटन और कृषि का चौराहा कहा जा सकता है।
  • यह एक गैर-शहरी आतिथ्य उत्पाद (Non-Urban Hospitality Product) है जो प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के साथ कृषि जीवन शैली, संस्कृति और विरासत की पूर्ति करता है। कृषि-पर्यटन ने पर्यटन उद्योग में पर्याप्त आकर्षण प्राप्त किया है।

कृषि-पर्यटन उद्योग का विकास दर परिदृश्य

  • कृषि-पर्यटन पर्यटन उद्योग का एक अलग और उभरता हुआ बाज़ार खंड है। वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर कृषि-पर्यटन बाज़ार का मूल्य46 बिलियन डॉलर था और वर्ष 2020-27 के बीच 13.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ वर्ष 2027 तक इसके 62.98 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाने की उम्मीद है।
  • भारत में कृषि-पर्यटन की नींव सर्वप्रथम महाराष्ट्र के बारामती में स्थित कृषि पर्यटन विकास निगम (Agri Tourism Development Corporation- ATDC) एटीडीसी) के गठन के साथ पड़ी थी।
    • ATDC की स्थापना वर्ष 2004 में कृषक समुदाय के एक उद्यमी पांडुरंग तवारे ने की थी।
  • वर्तमान में कृषि-पर्यटन से भारत का राजस्व 20% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।

कृषि-पर्यटन का महत्त्व क्यों बढ़ रहा है?

  • पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन: जलवायु परिवर्तन की तेज़ गति और पर्यटन प्रेरित प्रदूषण स्तर एवं ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन के परिणामस्वरूप पर्यटन आकर्षण के रूप में प्राकृतिक एवं ग्रामीण स्थलों की मांग बढ़ रही है और यह कृषि-पर्यटन जैसे पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन अनुभवों को मुख्यधारा व्यवसाय बना सकता है।
  • ग्रामीणपतनको संबोधित करने की क्षमता: बढ़ती हुई इनपुट लागत, अस्थिर रिटर्न, जलवायु प्रतिकूलता, भूमि विखंडन आदि के कारण भारतीय कृषि तनाव में है।
    • यद्यपि यह अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, किसान वैकल्पिक आजीविका और आय विविधीकरण की तलाश में अन्य उद्योगों की ओर पलायन कर रहे हैं।
    • कृषि-पर्यटन ग्रामीण पतन के ‘होलोइंग आउट इफ़ेक्ट’ (Hollowing Out Effect) को दूर कर सकता है और कृषि एवं पारिस्थितिकी तंत्र आधारित सेवाओं में किसानों के भरोसे को पुनर्बहाल कर सकता है।
  • किसानों को कई गुना लाभ: कृषि-पर्यटन किसानों के आय समर्थन में मदद करता है।
    • यह कृषि के प्रति किसानों के दृष्टिकोण या प्राथमिकताओं को बदलने के लिये एक प्रोत्साहक और एक अवरोधक दोनों के ही रूप में कार्य करता है।
    • यह किसानों को उस भूमि का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करता है जिसे अन्यथा परती या बंजर छोड़ दिया जाएगा।
      • इसके विपरीत, यह कृषि-पर्यटन में लगे किसान को उपलब्ध कृषि भूमि के एक हिस्से पर खेती करने से रोकता भी है और खेती के बजाय इसका उपयोग पर्यटन गतिविधियों के लिये करने हेतु प्रोत्साहित करता है।
  • समुदायों के लिये लाभ: सामुदायिक दृष्टिकोण से कृषि पर्यटन निम्नलिखित विषयों में एक साधन की तरह कार्य कर सकता है:
    • पर्यटकों के माध्यम से स्थानीय व्यवसायों और सेवाओं के लिये अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना;
    • निवासियों और आगंतुकों के लिये सामुदायिक सुविधाओं का उन्नयन/पुनरुद्धार करना;
    • पर्यटकों और निवासियों के लिये ग्रामीण भूदृश्य और प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा बढ़ाना;
    • स्थानीय परंपराओं, कला और शिल्प को संरक्षित एवं पुनर्जीवित करने में मदद करना;
    • अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-सांस्कृतिक संचार और समझ को बढ़ावा देना।
    • पर्यटन संचालकों के लिये लाभ: पर्यटन उद्योग के दृष्टिकोण से कृषि पर्यटन निम्नलिखित रूप में में योगदान कर सकता है:
    • आगंतुकों के लिये उपलब्ध पर्यटन उत्पादों और सेवाओं के मिश्रण में विविधता लाना;
    • आकर्षक ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पर्यटन प्रवाह की वृद्धि करना;
    • परंपरागत रूप से ऑफ-पीक व्यावसायिक अवधि के दौरान पर्यटन मौसम का विस्तार करना;
    • प्रमुख पर्यटन बाज़ारों में ग्रामीण क्षेत्रों की विशिष्ट स्थिति का निर्माण;
    • स्थानीय व्यवसायों के लिये अधिकाधिक बाह्य मुद्राओं का प्रवेश।

अंतर्निहित चुनौतियाँ

  • कृषि से संलग्न किसान कृषि गतिविधियों की अनदेखी कर सकते हैं यदि कृषि-पर्यटन की ओर उनका ध्यान बढ़ जाए और यह उनके लिये आय का अधिक आकर्षक स्रोत बन जाए।
  • पर्यटक उन कृषि-पर्यटन केंद्रों का दौरा करना पसंद करते हैं जो आकार में बड़े हों और जहाँ कई मनोरंजक एवं अन्य गतिविधियों का अवसर हो।
    • यह कृषि-पर्यटन के मूल उद्देश्य के विपरीत है जो छोटे एवं सीमांत किसानों के समर्थन का लक्ष्य रखता है। वे विभिन्न सुविधाओं और बड़े आकार वाले कृषि-पर्यटन केंद्र की पेशकश कर सकने में अक्षम होते हैं।
  • भाषाई चुनौतियों को पर्यटन क्षमता की वृद्धि में एक बाधा पाया गया है।
    • पर्यटकों के साथ बातचीत कर सकने के लिये लोगों में हिंदी, अंग्रेजी या यहाँ तक कि स्थानीय बोली में भी उचित प्रवाह की कमी पाई जाती है।
  • अपर्याप्त वित्तीय सहायता क्षेत्र की पर्यटन क्षमता को बाधित कर सकती है, जिससे लोगों को स्थानीय संस्कृति, परंपराओं, विरासत, कला-रूपों आदि को संरक्षित कर सकने में मदद मिलती।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन की पूरी अवधारणा ही बेहद देशी है। यद्यपि स्थानीय युवाओं द्वारा आरंभिक प्रयास किये गए हैं, फिर भी व्यावसायिकता की कमी है।
    • पर्यटन के दृष्टिकोण से उपयुक्त तरीके से पेश कर सकने के लिये उनके पास उचित प्रशिक्षण का अभाव है।
  • कुछ क्षेत्र कृषि-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की व्यापक संभावनाएँ रखते हैं। हालाँकि, व्यवसाय नियोजन कौशल की कमी इस राह एक और बड़ी बाधा है।

कृषि-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये क्या किया जा सकता है ?

  • नीतिगत ध्यान: कृषि-पर्यटन विकासशील देशों में अधिक नीतिगत ध्यान की आवश्यकता रखता है जहाँ अधिकांश आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।
    • अनिश्चित नकदी प्रवाह, आवर्ती ऋण जाल और अप्रत्याशित जलवायु जैसी सतत प्रतिकूलताओं के साथ कृषि-पर्यटन को किसानों के लिये आय-सृजन गतिविधि के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रत्यास्थता को सुदृढ़ किया जा सकता है।
  • भूमि संबंधी मामलों को संबोधित करना: कृषि-पर्यटन का समर्थन करने के लिये लघु/अपर्याप्त भूमि के मुद्दे को सरकार द्वारा संबोधित किया जाना महत्त्वपूर्ण है ।
    • पर्यटन बाज़ार की आवश्यकता पूर्ति का एक तरीका संकुल आधारित खेती या ‘एक ज़िला एक फसल’ सेवाओं के माध्यम से भूमि समेकन में निहित है।
  • राज्य एजेंसियों/निवेशकों की भूमिका: कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र आधारित सेवाओं के लिये व्यावसायिक वातावरण को सक्षम करने हेतु राज्य एजेंसियाँ कृषि कार्यों पर किसानों की आर्थिक निर्भरता और कृषि-पर्यटन गतिविधियों की कथित लोकप्रियता के बीच एक भूमिका निभा सकती हैं।
    • सामाजिक या प्रभाव निवेशक (Social or Impact Investors) व्यवसाय के चरण और कृषि-उद्यमियों द्वारा अपनाए गए व्यवसाय मॉडल के आधार पर कृषि-पर्यटन में निजी इक्विटी जुटा सकते हैं।
    • ATDC भारत में कृषि-पर्यटन परिदृश्य की व्यावसायिक क्षमता का दोहन करने के लिये स्टार्ट-अप को आकर्षित कर सकता है और निवेशकों को प्रभावित कर सकता है।
  • कृषि-पर्यटन के लिये अनुसंधान एवं विकास : कृषि-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ग्रामीण पर्यटन, पारिस्थितिकी-पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन, साहसिक पर्यटन और खाद्य-संबंधी अभियान (Culinary Adventures) के साथ वैचारिक अभिसरण की आवश्यकता है।
    • अनुसंधान किसी भी विषय में विकास के प्रमुख कारकों में से एक होता है क्योंकि यह छात्रों और इसके अभ्यास से संलग्न लोगों को उनकी रुचि के क्षेत्रों में शामिल होने और स्थानीय समुदायों के लाभ के लिये सभी संभावित समाधानों की खोज करने में मदद करता है।

किसान कृषि-पर्यटन को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं ?

कृषि-पर्यटन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये किसानों को चाहिये कि:

  • अख़बारों, टीवी आदि के माध्यम से अपने पर्यटन केन्द्र का व्यापक प्रचार-प्रसार करें तथा विद्यालयों, महाविद्यालयों, गैर-सरकारी संगठनों, क्लबों, संघों, संगठनों आदि से संपर्क विकसित करें।
  • कृषि-पर्यटकों के स्वागत और आतिथ्य के लिये अपने कर्मचारियों या परिवार के सदस्यों को प्रशिक्षित करें।
  • ग्राहकों की मांगों और उनकी अपेक्षाओं को समझें और तदनुसार उनकी सेवा करें।
  • वाणिज्यिक आधार पर सुविधाओं/सेवाओं के लिये इष्टतम किराया और शुल्क वसूलें।
  • विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये एक वेबसाइट विकसित करें और समय-समय पर इसे अपडेट करें। सेवाओं के बारे में उनके फीडबैक लें और आगे के विकास एवं संशोधन हेतु उनसे सुझाव आमंत्रित करें।
  • विभिन्न प्रकार के पर्यटकों और उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप विभिन्न कृषि-पर्यटन पैकेज का विकास करें।
  • छोटे किसान सहकारी समिति के आधार पर अपने कृषि-पर्यटन केंद्रों का विकास कर सकते हैं।

अभ्यास प्रश्न: “कृषि एक पेशे या व्यवसाय से अधिक भारत की संस्कृति है। मौजूदा कृषि अभ्यासों में कृषि-पर्यटन जैसे अतिरिक्त आय सृजक गतिविधियों को जोड़ने से निश्चित रूप से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान की वृद्धि होगी और किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। चर्चा कीजिये।

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