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डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

विश्व सामाजिक संरक्षण रिपोर्ट: आईएलओ

  • 02 Sep 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017, सामाजिक सुरक्षा कोड 2020, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन

मेन्स के लिये:

सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा, सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने हेतु भारत सरकार की पहलें 

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 'वर्ल्ड सोशल प्रोटेक्शन रिपोर्ट 2020-22' से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर 4.1 बिलियन लोगों को किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नही है।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की प्रतिक्रिया असमान रूप से अप्रत्याशित थी। इस प्रकार कोविड -19 ने सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के महत्त्व को रेखांकित किया है।
  • ILO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है। यह 187 सदस्य राज्यों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को श्रम मानकों को स्थापित करने, नीतियों को विकसित करने तथा सभी महिलाओं एवं पुरुषों के लिये अच्छे काम को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु एक साथ लाती है।

प्रमुख बिंदु 

  • सामाजिक सुरक्षा (अवधारणा):
    • यह नुकसान में कमी या रोकने, व्यक्ति और उसके आश्रितों के लिये एक बुनियादी न्यूनतम आय का आश्वासन देने तथा किसी भी अनिश्चितता से व्यक्ति की रक्षा करने हेतु डिज़ाइन किया गया एक व्यापक दृष्टिकोण है।
    • सामाजिक सुरक्षा में विशेष रूप से वृद्धावस्था, बेरोज़गारी, बीमारी, विकलांगता, कार्य के दौरान चोट, मातृत्व अवकाश , स्वास्थ्य देखभाल तथा आय सुरक्षा उपायों तक पहुंँच के साथ-साथ बच्चों वाले परिवारों हेतु अतिरिक्त सहायता शामिल है।
  • रिपोर्ट की मुख्य बातें:
    • सामाजिक संरक्षण के साथ वैश्विक जनसंख्या: वर्ष 2020 में वैश्विक आबादी के केवल 46.9% (सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आने वाले) लोगों को एक ही प्रकार की सुरक्षा का लाभ प्राप्त हुआ है।
    • कोविड -19 महामारी के दौरान उत्पन्न चुनौतियाँ: आर्थिक असुरक्षा का उच्च स्तर, लगातार बढ़ती गरीबी और असमानता, लोगों के मध्य बढ़ती व्यापक अनौपचारिकता एवं नाजुक सामाजिक अनुबंध जैसी व्यापक चुनौतियों को कोविड -19 ने बढ़ा दिया है।
    • बढ़ती असमानताएँ: सामाजिक सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय असमानताएँ व्याप्त हैं, यूरोप और मध्य एशिया में इन असमानताओं की उच्चतम दर है जहाँ 84% लोगों को एक ही प्रकार का सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त है।
      • अमेरिका 64.3% के साथ वैश्विक औसत से ऊपर है, जबकि एशिया और प्रशांत में 44%, अरब राज्य में 40% तथा अफ्रीका में  17.4% का कवरेज अंतराल (Coverage Gaps) देखा गया है।
    • सामाजिक सुरक्षा व्यय में असमानता: देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 12.9% सामाजिक सुरक्षा (स्वास्थ्य को छोड़कर) पर खर्च करते हैं, लेकिन यह आंँकड़ा चौंका देने वाला है।
      • उच्च आय वाले देश औसतन 16.4%, उच्च-मध्यम आय वाले देश 8%, निम्न-मध्यम आय वाले देश 2.5% और निम्न-आय वाले देश 1.1% सामाजिक सुरक्षा पर खर्च करते हैं।
    • महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों के लिये सीमित सुरक्षा: विश्व स्तर पर अधिकांश बच्चों के पास अभी भी कोई प्रभावी सामाजिक सुरक्षा कवरेज नहीं है और चार बच्चों में से केवल एक (26.4%) को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त होता है।   
      • दुनिया भर में नवजात शिशुओं वाली सिर्फ 45% महिलाओं को नकद मातृत्व लाभ प्राप्त होता है।
      • दुनिया भर में गंभीर रूप से विकलांग तीन में से केवल एक व्यक्ति को ही विकलांगता लाभ मिलता है।
    • सीमित बेरोज़गारी संरक्षण: दुनिया भर में केवल 18.6% बेरोज़गार श्रमिकों के पास बेरोज़गारी के लिये प्रभावी कवरेज है और इस प्रकार वास्तव में कुछ सीमित लोग ही बेरोज़गारी लाभ प्राप्त कर पाते हैं।
      • यह सामाजिक सुरक्षा का सबसे कम विकसित हिस्सा है।
    • स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में बाधाएँ: यद्यपि जनसंख्या कवरेज बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, किंतु स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में बाधाएँ अभी भी बनी हुई हैं:
      • स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक भुगतान, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और स्वीकार्यता, लंबे समय तक प्रतीक्षा समय, अवसर लागत आदि।
  • सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

आगे की राह

  • इस बात को स्वीकार करने की आवश्यकता है कि प्रभावी और व्यापक सामाजिक सुरक्षा न केवल सामाजिक न्याय के लिये बल्कि एक स्थायी भविष्य के निर्माण हेतु भी आवश्यक है।
  • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की स्थापना और सभी के लिये सामाजिक सुरक्षा संबंधी मानव अधिकारों को साकार करना सामाजिक न्याय प्राप्ति हेतु मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की आधारशिला है।
  • सामूहिक वित्तपोषण, जोखिम-पूलिंग और अधिकार-आधारित पात्रता सभी के लिये स्वास्थ्य देखभाल तक प्रभावी पहुँच का समर्थन करने हेतु महत्त्वपूर्ण शर्तें हैं।
  • स्वास्थ्य के प्रमुख निर्धारकों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये चिकित्सा देखभाल एवं आय सुरक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने संबंधी तंत्र के बीच मज़बूत संबंध और बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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