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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आम बजट में महिलाओं के लिये क्या?

  • 04 Feb 2017
  • 4 min read

सन्दर्भ 

  • इस वर्ष आम बजट के पेश किये जाने के पहले से ही यह माना जा रहा था कि वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने पिटारे से देश की महिलाओं के लिये खास तोहफे निकालेंगे।
  • जहाँ महिलाओं को उम्मीद थी कि सरकार इस बार आम ज़रूरत की चीज़ों के दाम न बढ़ाकर उन्हें राहत देगी, तो वहीं जानकार मान रहे थे कि इस बार के बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास जैसे अहम सामाजिक क्षेत्रों पर खर्च बढ़ सकता है।
  • सरकार ने आशा के अनुरूप कदम भी बढ़ाए हैं लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा किया गया आवंटन निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये पर्याप्त नहीं होगा।

महिला सरोकारों के लिये आवंटन

  • महिलाओं को सस्ते लोन दिये जाएंगे, इसके लिये नेशनल हाउसिंग बैंक को 20 हज़ार करोड़ की धनराशि उपलब्ध जाएगी। साथ ही, सस्ती कीमतों पर घर भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • महिलाओं के कौशल विकास के लिये 1.84 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • महिला सशक्तीकरण केंद्र स्थापित किये जाएंगे। महिला सशक्तीकरण के लिये 500 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • गर्भवती महिलाओं के बैंक खाते में 6000 रुपए ट्रांसफर किये जाएंगे। 
  • महिला और बाल विकास के लिये 1,13,326 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जो पिछले बजट में 90,769.80 करोड़ रुपए था।

क्या रहा उम्मीद के विपरीत?

  • विदित हो कि मातृत्व लाभ प्राप्त करने वाली महिलाओं की संख्या 53 लाख बताई जा रही है। लाभार्थियों की इतनी बड़ी संख्या के मद्देनज़र बजटीय आवंटन में वृद्धि को पर्याप्त नहीं बताया जा रहा है।
  • असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं की यौन उत्पीड़न से रक्षा के लिये कोई आवंटन नहीं किया गया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
  • कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास निर्माण और वृद्ध महिलाओं के लिये विशेष पेंशन जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों के संबंध में भी कोई आवंटन नहीं किया गया है।
  • विशेषज्ञों द्वारा यह भी संदेह व्यक्त किया गया है कि महिला एवं बाल विकास पर उल्लेखनीय व्यय के बावजूद हो सकता है कि भारत के उत्तर-पूर्वी भाग से महिलाओं एवं बच्चियों के होने वाले अवैध मानव व्यापार को रोकने में सफलता न मिले।
  • शिक्षा, संसाधन और रोज़गार के अभाव में भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की महिलाएँ आसानी से मानव तस्करों के चंगुल में फँस जाती हैं। कल्याणकारी योजनाओं के लिये आवंटन में बढ़ोत्तरी सुधार की एक लम्बी प्रक्रिया है। तत्कालीन तौर पर इस समस्या के निदान के लिये इस बजट में कुछ भी नहीं किया गया है।
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