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सामाजिक न्याय

सुपोषित माँ अभियान

  • 04 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सुपोषित माँ अभियान

मेन्स के लिये:

भारत में महिलाओं के पोषण से संबंधित कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

1 मार्च 2020 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने राजस्थान के कोटा से एक राष्ट्रीय अभियान ‘सुपोषित माँ अभियान’ (Suposhit Maa Abhiyan) प्रारंभ किया है।

मुख्य बिंदु:

  • यह योजना राजस्थान के कोटा में लॉन्च की गई है जो कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का संसदीय क्षेत्र भी है।

सुपोषित माँ अभियान के बारे में:

  • इस अभियान की योजना के अनुसार, 1000 महिलाओं को 1 महीने के लिये पोषक तत्त्वों से भरपूर भोजन दिया जाएगा साथ ही जच्चे-बच्चे की स्वास्थ्य चिकित्सा जाँच, रक्त, दवा, प्रसव सहित अन्य बातों का ध्यान रखा जाएगा।
  • यह अभियान गर्भवती माताओं और लड़कियों की पोषण सहायता से संबंधित है इस अभियान के माध्यम से न केवल गर्भवती महिलाओं की देखभाल की जाएगी बल्कि नवजात शिशु भी इस योजना का हिस्सा होंगे।
  • इस अभियान के पहले चरण में लगभग 1000 गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा।
  • सुपोषित माँ अभियान में एक परिवार से एक गर्भवती महिला को शामिल किया जाएगा।
  • सुपोषित माँ अभियान के तहत नवजात बच्चे के स्वास्थ्य की भी विशेष देखरेख की जाएगी।
  • अभियान के पहले चरण में 1,000 गर्भवती महिलाओं में से प्रत्येक को 17 किग्रा. संतुलित आहार की एक किट प्रदान की जाएगी।
  • इस किट में गेहूँ, चना, मक्का और बाजरे का आटा, गुड़, दलिया, दाल, बड़ी सोयाबीन, घी, मूँगफली, भुने हुए चने, खजूर और चावल शामिल होंगे।

उद्देश्य तथा लाभ:

  • सुपोषित माँ अभियान हमारी भावी पीढ़ियों को स्वस्थ बनाए रखने का एक विशेष अभियान है।
  • सुपोषित माँ अभियान” देश में किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के लिये लाभकारी सिद्ध होगा।
  • इसका लक्ष्य गर्भवती महिलाओं, माताओं और बच्चों का पर्याप्त पोषण और उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित करना है।

वर्तमान में किये जा रहे अन्य प्रयास:

पोषण अभियान:

  • पोषण अभियान (पूर्ववर्ती राष्ट्रीय पोषण मिशन) के तहत 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी ज़िलों को चरणबद्ध तरीके से कवर किया गया है। यह वर्ष 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिये एक एकीकृत बहुमंत्रालयी मिशन है।
  • समान लक्ष्य प्राप्ति के लिये एकीकृत योजनाओं की विद्यमान कमी को दूर करने हेतु पोषण अभियान प्रारंभ किया गया जिसमें सभी तंत्रों और घटकों को समग्रता से शामिल किया जा रहा है।
  • पोषण अभियान का प्रमुख उद्देश्य आंँगनवाड़ी सेवाओं के उपयोग और गुणवत्ता में सुधार करके भारत के चिह्नित ज़िलों में स्टंटिंग को कम करना है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद माताओं एवं उनके बच्चों हेतु समग्र विकास तथा पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रीय पोषण मिशन 2022 के लक्ष्य:

  • जन्म के समय कम वज़न (Low Birth Weight) में वर्ष 2017 से 2022 तक प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की कमी लाना।
  • स्टंटिंग को वर्ष 2022 तक कम करके 25% के स्तर तक लाना।
  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा 15-49 वर्ष की महिलाओं में विद्यमान एनीमिया के स्तर में वर्ष 2017 से 2022 तक 3 प्रतिशत की वार्षिक कमी लाना।

उपरोक्त प्रयासों के अतिरिक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ जैसे वैश्विक संस्थान सतत् विकास लक्ष्य- 2030 के अंतर्गत कुपोषण एवं इससे संबंधित समस्याओं से निपटने के लिये अनेक कदम उठा रहे हैं। इसके तहत निम्नलिखित लक्ष्यों को शामिल किया गया है:

  • जन्म के समय कम वज़न की समस्या हेतु इसमें वर्ष 2012 के स्तर से वर्ष 2030 तक 30% तथा चाइल्ड वेस्टिंग में वर्ष 2030 तक 3% की कमी लाना।
  • चाइल्ड स्टंटिंग को वर्ष 2012 के स्तर से वर्ष 2030 तक 50% कम करना।
  • 5-49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया के स्तर को वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2030 तक 50% कम करना।
  • पहले 6 महीनों में अनन्य स्तनपान के प्रचलन को वर्ष 2030 तक 70% करना।

आगे की राह:

  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिये पर्याप्त आवश्यक पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। पोषक तत्वों की पर्याप्तता माँ की शारीरिक कमज़ोरी और गर्भावस्था के तनाव से निपटने के लिये तथा गर्भ में पल रहे बच्चे को आवश्यक पोषण प्रदान करने हेतु ज़रूरी है।
  • अच्छी बात यह है कि गर्भवती महिलाओं की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सरकार द्वारा कई अभियान चलाए जा रहे हैं। इससे गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों की पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड

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