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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस के एयर-वैरिएंट का सफल परीक्षण

  • 23 Nov 2017
  • 4 min read

संदर्भ 

भारत ने सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्राह्मोस का सुखोई फाइटर विमान से परीक्षण कर इसके तीनों संस्करणों (थल, जल और वायु) के सफल परीक्षण की बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसके बाद अब भारतीय वायुसेना भी शत्रु के ठिकानों को लगभग 400 किलोमीटर दूर से ही निशाना बना सकती है।

इस परीक्षण के मायने 

  • सुखोई और ब्रह्मोस के इस मेल को अत्यंत घातक कहा जा रहा है, क्योंकि सुखोई जैसे लड़ाकू विमान से इसे दागे जाने पर दूरी और ऊँचाई दोनों ही स्तरों पर इसकी रेंज और मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। 
  • हवा से सतह पर दागी जाने वाली क्रूज़ मिसाइल की तकनीक न ही पाकिस्तान के पास है और न ही चीन के पास है। हालाँकि संभावना है कि भविष्य में चीन ऐसी तकनीक विकसित कर सकता है।  
  • भविष्य में इसे औपचारिक रूप से वायु सेना में शामिल किये जाने से भारतीय वायु सेना विश्व की एकमात्र ऐसी वायुसेना बन जाएगी जिसके युद्धक बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल होगी।
  • फिलहाल इस परीक्षण की सफलता ने भारत की सामरिक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 

ब्रह्मोस मिसाइल तथा इसकी विशेषताएँ 

  • ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ने तैयार किया है। 
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
  • इसकी वास्तविक रेंज 290 किलोमीटर है, परंतु इसे लड़ाकू विमान से दागे जाने पर यह लगभग 400 किलोमीटर हो जाती है। इसे भविष्य में 600 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है।
  • यह 300 किलोग्राम भार तक युद्धक सामग्री ले जा सकती है। 
  • यह एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है। इसकी गति 2.8 मैक है, जो विश्व में किसी भी मिसाइल से ज़्यादा है। अर्थात् इसकी मारक क्षमता ध्वनि की गति से भी तीन गुना अधिक है।
  • यह मिसाइल भूमिगत परमाणु बंकरों, समुद्री क्षेत्र के ऊपर उड़ रहे शत्रु विमानों को दूर से ही सफलतापूर्वक भेद सकती है। 
  • इसकी लक्ष्य भेदन क्षमता अचूक है, इसलिये इसे ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) मिसाइल भी कहा जाता है। यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।
  • इसे पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट, हवा और ज़मीन से दागा जा सकता है।

भारत हाल ही में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का हिस्सा बन चुका है, जिसके कारण मिसाईलों की रेंज पर आरोपित सीमा अब समाप्त हो चुकी है। अतः भारत ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर रेंज वाले संस्करण का परीक्षण करने पर भी विचार कर रहा है। 

इस मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण विकसित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसकी गति लगभग 5 मैक होगी।

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