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जैव विविधता और पर्यावरण

नाइट्रस ऑक्साइड का बढ़ता स्तर

  • 19 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

N2O, GAINS, CO2, CH4, ग्रीनहाउस गैस

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार, नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) के स्तर में वर्ष 2000-2005 और वर्ष 2010-2015 के बीच 10% वृद्धि हुई।

निष्कर्ष:

  • यह शोध यूरोप और अमेरिका के कई संस्थानों जैसे-इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (International Institute for Applied Systems Analysis- IIASA) और नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर एयर रिसर्च (Norwegian Institute for Air Research- NILU) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया।
  • इसके स्तर में वृद्धि का निरपेक्ष मूल्य (Absolute Value) 1.6 TgN प्रतिवर्ष रहा।
  • इस शोध द्वारा जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) के N2O स्तरों के अनुमान में विसंगति को भी चिह्नित किया गया। वर्तमान शोध में अनुमान कारक 2.2 (+/- 0.6) % व्यक्त किया गया, यह IPCC द्वारा अनुमानित 1.375% से अधिक है।
  • IIASA ने ग्रीनहाउस गैस और वायु प्रदूषण इंटरैक्शन और सिनर्जी (Greenhouse Gas and Air Pollution Interactions and Synergies- GAINS) मॉडल के डेटा का प्रयोग किया।

GAINS:

  • GAINS कम-से-कम लागत पर वायु प्रदूषकों और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने तथा मानव स्वास्थ्य, पारिस्थितिक तंत्र एवं जलवायु परिवर्तन पर उनके नकारात्मक प्रभावों को कमी के लिये पारगमन रणनीतियों का आकलन करने हेतु ऑनलाइन उपकरण है।
  • इसकी मेज़बानी वाशिंगटन स्थित विश्व संसाधन संस्थान (World Resource Institute) द्वारा की जाती है।
  • शोधपत्र में वर्ष 1998 से 2016 तक तीन वैश्विक वायुमंडलीय व्युत्क्रम फ्रेमवर्क (Global Atmospheric Inversion Framework) से प्राप्त N2O उत्सर्जन अनुमानों को एक साथ स्पष्ट किया गया, इस डेटा के लिये वैश्विक नेटवर्क से N2O अवलोकन डेटा का भी प्रयोग किया गया।

नाइट्रस ऑक्साइड के बारे में?

  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मीथेन (CH4) के बाद N2O तीसरी सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है। इसमें CO2 की तुलना में 300 गुना अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता होती है।

नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर बढ़ने का कारण:

  • वैश्विक स्तर पर उर्वरकों और खाद (Manure) का उपयोग की सीमा से अधिक प्रयोग, नाइट्रस ऑक्साइड के बढ़ते स्तर के लिये सबसे अधिक उत्तरदायी है।
  • नाइट्रोजन-फिक्सिंग फसलों {जैसे तिपतिया (Clover) घास, सोयाबीन, अल्फाल्फा, ल्यूपिन (Lupins), मूँगफली} की व्यापक खेती।
  • जीवाश्म और जैव ईंधन का दहन।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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