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शासन व्यवस्था

मिशन कर्मयोगी के लिये विशेष प्रयोजन वाहन

  • 24 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

मिशन कर्मयोगी के लिये विशेष प्रयोजन वाहन, सिविल सेवा क्षमता विकास के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम- मिशन कर्मयोगी 

मेन्स के लिये 

iGOT कर्मयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अपने महत्त्वाकांक्षी "मिशन कर्मयोगी (Mission Karmayogi)" के माध्यम से प्रमुख नौकरशाही सुधार लाने में सरकार की मदद करने के लिये एक तीन सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • केंद्र ने हाल ही में देश में सभी सिविल सेवाओं की भूमिका हेतु क्षमता विकास के लिये नियम आधारित प्रशिक्षण द्वारा परिवर्तनकारी बदलाव लाने हेतु 'सिविल सेवा क्षमता विकास के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम- मिशन कर्मयोगी (National Programme for Civil Services Capacity Building – Mission Karmayogi)' को मंज़ूरी दी है।
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी सेवाओं के लिये नागरिक अनुभव को बढ़ाना और सक्षम कार्यबल की उपलब्धता में सुधार करना है।
  • इस सक्षमता संचालित मिशन को प्रभावी ढंग से चलाने के लिये एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) अर्थात् 'कर्मयोगी भारत' को एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा।
    • इसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत 100% सरकारी स्वामित्व वाली इकाई के रूप में स्थापित किया जाएगा।
    • SPV एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है और यह बुनियादी ढाँचे को डिज़ाइन करने, कार्यान्वयन, विकास और प्रबंधन, योग्यता मूल्यांकन सेवाओं का प्रबंधन तथा वितरण करने एवं टेलीमेट्री डेटा का शासनिक प्रबंधन और निगरानी व मूल्यांकन के प्रावधान सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार होगा।
  • टास्क फोर्स अपने विज़न, मिशन और कार्यों को संरेखित करते हुए SPV की संगठनात्मक संरचना पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।

मिशन कर्मयोगी के बारे में:

  • लक्ष्य और उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ भविष्य के लिये सिविल सेवा का निर्माण करना है, जो न्यू इंडिया की दृष्टि से जुड़ा हुआ है।
    • इसका उद्देश्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी तथा प्रौद्योगिकी समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिये तैयार करना है।
  • मिशन का कारण:
    • वर्तमान में नौकरशाही को नियम अभिविन्यास, राजनीतिक हस्तक्षेप जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • सिविल सेवाओं की यथास्थिति को बदलने और लंबे समय से लंबित सिविल सेवा सुधारों को लागू करने के लिये।
  • योजना की विशेषताएँ:
    • टेक-एडेड (Tech-Aided): क्षमता निर्माण प्रशिक्षण iGOT कर्मयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दिया जाएगा जिसमें वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से तैयार की गई सामग्री होगी।
    • कवरेज: लगभग 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को शामिल करने के लिये वर्ष 2020-2021 से लेकर 2024-25 तक (5 वर्षों की अवधि के दौरान) 510.86 करोड़ रुपए का व्यय किया जाएगा।
    • नियमों से भूमिकाओं में बदलाव: यह कार्यक्रम "नियम-आधारित से भूमिका-आधारित (Rules-Based to Roles-Based)" मानव संसाधन प्रबंधन (Human Resource Management- HRM) का समर्थन करेगा ताकि पद की आवश्यकताओं के अनुरूप एक अधिकारी की दक्षता का मिलान करके कार्य आवंटन किया जा सके।
    • एकीकृत पहल: अंततः सेवा मामलों जैसे- परिवीक्षा अवधि के बाद पुष्टि, तैनाती, कार्य असाइनमेंट और रिक्तियों की अधिसूचना सभी को प्रस्तावित ढाँचे में एकीकृत किया जाएगा।

अन्य नौकरशाही सुधार:

  • सरकार ने संयुक्त सचिव (JS) के स्तर पर नियुक्तियों के संबंध में शीर्ष नौकरशाही कैडर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के आधिपत्य को समाप्त कर दिया है।
    • इसके बजाय भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय लेखा और लेखा परीक्षा सेवा तथा भारतीय आर्थिक सेवा जैसे अन्य संवर्गों से भी पदों पर नियुक्तियाँ की गई हैं।
  • इसी तरह केंद्र सरकार ने भी निजी क्षेत्र के कर्मियों के पार्श्व प्रेरण को प्रोत्साहित किया है।

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

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