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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

SpaceX का अंतरिक्ष कैप्सूल ISS पहुंचा

  • 01 Jun 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ड्रैगन क्रू कैप्सूल 

मेन्स के लिये:

वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन’ (National Aeronautical and Space Administration- NASA) ने निजी कंपनी SpaceX के रॉकेट से दो अंतरिक्ष यात्रियों को 'अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन' (International Space Station- ISS) भेजा है। इसी के साथ दुनिया में ‘वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा’ की शुरुआत हो गई है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • अंतरिक्ष यात्री डग हार्ले (Doug Hurley) और बॉब बेनकेन (Bob Behnken) SpaceX के रॉकेट Falcon 9 की मदद से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन‘ पहुँचे हैं।
  • यात्रियों को जिस क्रू कैप्सूल के माध्यम से ले जाया गया है उसे ‘क्रू ड्रैगन’ (Crew Dragon) नाम दिया गया है। 

अंतरिक्ष यान की यात्रा:

  • SpaceX का फाल्कन- 9 दो चरणों वाला रॉकेट है जिसने ‘फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर’ (Florida's Kennedy Space Center) से यात्रा प्रारंभ की।
  • SpaceX के कैप्सूल को ISS के साथ 'डॉकिंग प्रक्रिया' को पूरा करने में 28,000 किमी. प्रति घंटे की गति से 19 घंटे का समय लगा। 
    • डॉकिंग प्रक्रिया में दो अलग-अलग स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले वाहनों को एक साथ जोड़ा जाता है।
  • ISS पहुँचने के साथ ही यात्रा का प्रथम चरण पूरा हो गया है परंतु मिशन को तभी सफल घोषित किया जाएगा जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर सुरक्षित लौट आएंगे। 

अंतरिक्ष यात्रा का शरीर पर प्रभाव:

  • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की सीमा के ऊपर विकिरण के कारण कैंसर का खतरा बढ़ जाता है साथ में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और संज्ञानात्मक क्रियाएँ (पहचान संबंधी समस्याएँ) भी प्रभावित हो सकते हैं। 
  • एक लंबे समय तक एक छोटी सी जगह में लोगों के समूहों को रखा जाता है, तो उनके बीच व्यवहार संबंधी मुद्दे उभर आते हैं चाहे वे कितने भी प्रशिक्षित क्यों न हों। 
  • एक अंतरिक्ष यात्री को संचार में देरी, उपकरणों की विफलता या चिकित्सा- आपातकाल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  • मानक गुरुत्वाकर्षण में कमी या वृद्धि का हड्डियों, मांसपेशियों, हृदय प्रणाली सभी पर प्रभाव पड़ता है। 
  • रॉकेट में यात्रियों के लिये आवश्यक तापमान, दबाव, प्रकाश, ध्वनि आदि को मानव आवश्यकता के अनुसार अनुकूलित करना होता है

रूस पर अमेरिका की निर्भरता:

  • नासा द्वारा वर्ष 2011 में 'अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम’ (Space Shuttle Programme) समाप्त होने की घोषणा कर दी गई थी। इसके बाद से रूसी ‘सोयुज़’ एकमात्र ऐसे अंतरिक्ष यान हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को ISS में आवागमन की सुविधा देते हैं। NASA रूस के ‘सोयुज़ स्पेस शटल’ कार्यक्रम पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है।

निजी क्षेत्र का सहयोग:

  • नासा ने अपने 'वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम' (Commercial Crew Programme- CCP) के तहत निजी क्षेत्र की कंपनियों SpaceX और बोइंग (Boeing) के साथ अंतरिक्ष यान निर्माण के लिये समझौते किया था। अमेरिका द्वारा भविष्य में अंतरिक्ष यान का उपयोग करने के लिये लगभग 7 बिलियन डॉलर का अनुबंध किया गया था।
  • लेकिन बोइंग कंपनी, विगत वर्ष किये गए परीक्षण के असफल रहने के बाद SpaceX कंपनी से अलग हो गई।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अमेरिका ‘वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम’ के तहत ऐसी कंपनियों को निवेश के लिये आमंत्रित कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तथा पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष परिवहन सेवाएँ प्रदान कर सकें

मिशन की सफलता का महत्त्व: 

  • दोनों यात्रियों के प्रवास के दौरान व्यापक परीक्षण किये जाएंगे ताकि भविष्य में ISS की वाणिज्यिक यात्रा की दिशा में अमेरिका की दक्षता को प्रमाणित किया जा सके।
  • इससे अमेरिका की ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ आधारित मिशन के लिये रूस पर निर्भरता में कमी आएगी।
  • निजी क्षेत्र के प्रवेश से अन्य ग्रहों पर आधारित अमेरिका के अंतरिक्ष मिशनों को पूरा करने में मदद मिलेगी। 

रूस की प्रतिक्रिया:

  • रूस का मानना है कि एक बार 'क्रू ड्रैगन' की सेवा प्रारंभ होने के साथ ही अमेरिका-रूस सहयोग समाप्त नहीं होगा।
  • नासा अभी भी कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को सोयुज रॉकेट से अंतरिक्ष भेजने की योजना बना रहा है, जिसमें प्रत्येक सीट की कीमत लगभग 80 मिलियन डॉलर है।

नासा के अन्य अंतरिक्ष यात्रा कार्यक्रम:

  • अमेरिका वर्ष 1950 के दशक से मंगल ग्रह पर एक चालक दल मिशन भेजने की योजना बना रहा है। अनेक अध्ययनों के बावजूद अमेरिका द्वारा इस दिशा में परीक्षण नहीं किये गए। वर्तमान समय में वर्ष 2030 तक मंगल ग्रह पर मानव मिशन को भेजने की योजना है।
  • अमेरिका वर्ष 2024 तक आर्टेमिस मिशन (Artimis mission) के माध्यम से चंद्रमा पर पुन: मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है।

स्रोत: द हिंदू

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