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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

सौर अपशिष्ट

  • 14 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सौर अपशिष्ट और इसके उदाहरण, संबंधित पहल

मेन्स के लिये:

भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में सौर अपशिष्ट का प्रबंधन, सौर अपशिष्ट से उत्पन्न चुनौतियाँ, सुझाव, संबंधित पहल।

चर्चा में क्यों?

नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2030 तक भारत में 34,600 टन से अधिक संचयी सौर अपशिष्ट उत्पन्न कर सकता है।

  • भारत में सौर अपशिष्ट प्रबंधन नीति नहीं है, लेकिन महत्त्वाकांक्षी सौर ऊर्जा स्थापना लक्ष्य है।
  • एनएसईएफआई भारत के सभी सौर ऊर्जा हितधारकों का एक ‘अंब्रेला’ संगठन है। जो नीति समर्थन के क्षेत्र में काम करता है और भारत में सौर ऊर्जा विकास से जुड़े सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिये एक राष्ट्रीय मंच है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • सौर अपशिष्ट एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक कचरा है जो छोड़े गए सौर पैनलों द्वारा उत्पन्न होता है। उन्हें देश में कबाड़ के रूप में बेचा जाता है।
    • यह अगले दशक तक कम से कम चार-पाँच गुना बढ़ सकता है। सौर कचरे से निपटने के लिये भारत को अपना ध्यान व्यापक नियम बनाने पर केंद्रित करना चाहिये।
  • रिपोर्ट:
    • यह संभावना है कि इस दशक के अंत तक भारत को सौर कचरे की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और सौर अपशिष्ट जल्द ही कचरे का सबसे प्रचलित रूप बन जाएगा।
      • सोलर पैनल की लाइफ 20-25 वर्ष होती है इसलिये कचरे की समस्या भविष्य में चुनौती बन सकती है।
    • जबकि फोटोवोल्टिक वैश्विक बिजली का केवल 3% उत्पन्न करते हैं, वे दुनिया के 40% टेल्यूरियम, 15% चांदी व सेमीकंडक्टर-ग्रेड क्वार्ट्ज का एक बड़ा हिस्सा और कम लेकिन अभी भी महत्त्वपूर्ण मात्रा में इंडियम, जस्ता, टिन और गैलियम का उपभोग करते हैं।
    • सौर पैनलों से बरामद कच्चे माल का बाज़ार मूल्य वर्ष 2030 तक 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है।
    • पुनर्प्राप्त करने योग्य सामग्रियों का मूल्य वर्ष 2050 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर सकता है जो कि दो अरब सौर पैनलों के साथ 630 गीगावॉट बिजली प्रदान करने के लिये पर्याप्त होगा।

विश्व स्तर पर यह उम्मीद की जाती है कि सौर पैनलों के एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) अगले 10-20 वर्षों में सौर पैनल रीसाइक्लिंग के व्यवसाय में वृद्धि होगी।

  • सौर अपशिष्ट को संभालने वाले अन्य देश:
    • यूरोपीय संघ:
      • यूरोपीय संघ का अपशिष्ट विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (WEEE) निर्देश उन निर्माताओं या वितरकों पर कचरे के निपटान की ज़िम्मेदारी डालता है जो पहली बार ऐसे उपकरण पेश करते हैं या स्थापित करते हैं।
      • WEEE निर्देश के अनुसार, फोटोवोल्टिक (PV) निर्माता अपने जीवनचक्र के अंत में मॉड्यूल के संग्रह, प्रबंधन और उपचार के लिये पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं।
    • यूके:
      • यूके में एक उद्योग-प्रबंधित "टेक-बैक और रीसाइक्लिंग योजना" भी है, जहाँ सभी पीवी उत्पादकों को आवासीय सौर बाज़ार (व्यवसाय-से-उपभोक्ता) और गैर-आवासीय बाज़ार के लिये उपयोग किये जाने वाले उत्पादों से संबंधित डेटा को पंजीकृत करने और जमा करने की आवश्यकता होगी।
    • अमेरिका:
      • जबकि अमेरिका में कोई संघीय कानून या नियम नहीं हैं जो रीसाइक्लिंग के बारे में बात करते हो, किंतु कुछ राज्य ऐसे हैं, जिन्होंने एंड-ऑफ-लाइफ पीवी मॉड्यूल प्रबंधन को संबोधित करने हेतु नीतियों को सक्रिय रूप से परिभाषित किया है।
      • वाशिंगटन और कैलिफोर्निया ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ (EPR) नियमों के साथ आए हैं। वाशिंगटन को अब पीवी मॉड्यूल निर्माताओं को अंतिम उपयोगकर्त्ता को बिना किसी कीमत के राज्य के भीतर या राज्य में बेचे जाने वाले पीवी मॉड्यूल के टेक-बैक और पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण के वित्तपोषण की आवश्यकता है।
    • ऑस्ट्रेलिया:
      • ऑस्ट्रेलिया में संघीय सरकार ने चिंता को स्वीकार किया है और पीवी सिस्टम के लिये उद्योग के नेतृत्व वाली उत्पाद प्रबंधन योजना को विकसित करने तथा लागू करने हेतु राष्ट्रीय उत्पाद प्रबंधन निवेश कोष के हिस्से के रूप में 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की है।
    • जापान और दक्षिण कोरिया:
      • जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने पहले ही पीवी कचरे की समस्या के समाधान के लिये समर्पित कानून बनाने के अपने संकल्प का संकेत दिया है।
  • सिफारिशें:
    • मज़बूत ई-अपशिष्ट या अक्षय ऊर्जा अपशिष्ट कानून: सौर पैनल के जीवन के अंत के दौरान उत्तरदायित्त्व निर्धारित करने हेतु निर्माता और डेवलपर्स के लिये ‘विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व’ (EPR) लागू किया जा सकता है।
      • पीवी मॉड्यूल यूरोपीय संघ के WEEE नियमों में शामिल किये जाने वाले पहले नियम थे। इसमें अपशिष्ट प्रबंधन के वित्तपोषण के विकल्प शामिल हैं।
    • बुनियादी ढाँचा: पुनर्चक्रण की लागत को कम करने के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश की आवश्यकता है, अक्षय ऊर्जा कचरे को कुशलतापूर्वक संभालने के लिये ऊर्जा और अपशिष्ट क्षेत्र के बीच समन्वय और अधिक रीसाइक्लिंग संयंत्रों का निर्माण करना आवश्यक है।
    • पर्यावरण निपटान और पुनर्चक्रण: सौर अपशिष्ट पर्यावरण निपटान और पुनर्चक्रण परियोजना डेवलपर्स के साथ बिजली खरीद समझौते SECI / DISCOMS / में सरकार के मुद्दों का हिस्सा हो सकती है।
    • लैंडफिल पर प्रतिबंध: सौर पैनल अपशिष्ट पर्यावरण के लिये हानिकारक हैं क्योंकि इसमें ज़हरीली धातु और खनिज होते हैं जिनका जमीन में रिसकते हैं।
    • व्यापार प्रोत्साहन: पुनर्चक्रण उद्योग को भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये नए व्यापार मॉडल, प्रोत्साहन या हरित प्रमाणपत्र के मुद्दे शामिल किये जाने चाहिये।
    • अनुसंधान और विकास: डिज़ाइन में नवाचार का उनके द्वारा उत्पन्न कचरे के प्रकार पर प्रभाव पड़ सकता है; नवीकरणीय ऊर्जा अपशिष्ट के प्रभाव को कम करने में प्रौद्योगिकी प्रगति महत्त्वपूर्ण होगी। उदाहरण के लिये- नए पैनल निर्माण प्रक्रिया के दौरान कम सिलिकॉन का उपयोग कर कम अपशिष्ट उत्पन्न को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • संबंधित भारतीय पहल:

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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