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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मॉरीशस में सामाजिक आवास इकाई परियोजना

  • 21 Jan 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मॉरीशस, सागर मिशन, मॉरीशस में भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाएँ।

मेन्स के लिये:

भारत के लिये मॉरीशस का महत्त्व और संबंधित चुनौतियाँ, भारत-मॉरीशस संबंध।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री और मॉरीशस सरकार ने संयुक्त रूप से भारत के विकास समर्थन के हिस्से के रूप में मॉरीशस में भारतीय-सहायता प्राप्त सामाजिक आवास इकाई परियोजना का उद्घाटन किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • मई 2016 में भारत ने मॉरीशस को विशेष आर्थिक पैकेज (SEP) के रूप में 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया ताकि मॉरीशस द्वारा चिंहित पाँच प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को निष्पादित किया जा सके।
    • यह परियोजनाएँ है: मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना, सर्वोच्च न्यायालय बिल्डिंग, नया ईएनटी अस्पताल (New ENT Hospital), प्राथमिक स्कूली बच्चों को डिजिटल टैबलेट की आपूर्ति और सामाजिक आवास परियोजना।
    • सामाजिक आवास परियोजना के उद्घाटन के साथ ही एसईपी के तहत सभी हाई प्रोफाइल परियोजनाओं को लागू किया गया है।
  • दो अन्य परियोजनाओं की आधारशिला रखी:
    • अत्याधुनिक सिविल सर्विस कॉलेज का निर्माण:
      • मॉरीशस के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान वर्ष 2017 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत इसे 4.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान समर्थन के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।
      • एक बार निर्माण हो जाने के बाद यह मॉरीशस के सिविल सेवकों को विभिन्न प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों को शुरू करने के लिये पूरी तरह से सुसज्जित तथा कार्यात्मक सुविधा प्रदान करेगा।
      • यह भारत के साथ संस्थागत संबंधों को और मज़बूत करेगा।
        • भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में सिविल सर्विस कॉलेज परियोजना के महत्त्व को भी स्वीकार किया तथा मिशन कर्मयोगी की सीख साझा करने की पेशकश की।
    • 8 मेगावाट सोलर पीवी फार्म:
      • इसमें मॉरीशस के लगभग 10,000 घरों को विद्युतीकृत करने के लिये सालाना लगभग 14 GWh हरित ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु 25,000 PV सेल की स्थापना शामिल है।
      • यह 13,000 टन CO2 उत्सर्जन से मॉरीशस के सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों को कम करने में मदद करेगा।
    • दो प्रमुख द्विपक्षीय समझौतों का आदान-प्रदान:
      • मेट्रो एक्सप्रेस और अन्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये भारत द्वारा मॉरीशस को 190 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट के विस्तार हेतु समझौता।
      • लघु विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर समझौता ज्ञापन।

भारत-मॉरीशस संबंध

  • परिचय:
    • भारत और मॉरीशस के बीच संबंध वर्ष 1730 से पहले के हैं और राजनयिक संबंध वर्ष 1948 में मॉरीशस के स्वतंत्र राज्य बनने (1968) से पहले स्थापित किये गए थे।
    • भारत ने मॉरीशस को प्रवासी भारतीयों के नज़रिये से देखा है। यह शायद स्वाभाविक था, क्योंकि भारतीय मूल के समुदाय इस द्वीप में एक महत्त्वपूर्ण बहुमत का गठन करते हैं।
      • भारतीय मूल के लोग मॉरीशस की आबादी के लगभग 70% हैं।
    • यह प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में भारत का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है जो भारतीय डायस्पोरा से संबंधित मुद्दों के लिये एक मंच है।
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • भू-रणनीतिक: विगत कुछ वर्षों में भारत ने पश्चिमी हिंद महासागर के इस द्वीपीय देश को सामरिक दृष्टि से महत्त्व देना प्रारंभ किया है।
      • वर्ष 2015 में अपनी मॉरीशस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने महत्त्वाकांक्षी नीति सागर (Security and Growth for All-SAGAR) की शुरुआत की। यह पिछले कई दशकों में भारत द्वारा हिंद महासागर में किया गया एक महत्त्वपूर्ण प्रयास था।
      • 2015 में भारत और मॉरीशस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जो भारत को मॉरीशस द्वीपों पर सैन्य ठिकानों की स्थापना के मामले में बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की अनुमति देता है।
    • भू-आर्थिक: विशेष भौगोलिक अवस्थिति के कारण हिंद महासागर क्षेत्र में मॉरीशस का वाणिज्यिक एवं कनेक्टिविटी के लिहाज़ से विशेष महत्त्व है।
      • अफ्रीकी संघ, इंडियन ओशियन रिम एसोसिएशन और हिंद महासागर आयोग के सदस्य के तौर पर भी मॉरीशस की भौगोलिक अवस्थिति बहुत महत्त्वपूर्ण है।
      • SIDS (Small Island Developing States) के संस्थापक सदस्य के रूप में यह एक विशेष पड़ोसी राष्ट्र है।
      • भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है जो वर्ष 2007 से मॉरीशस में वस्तुओं और सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक बना हुआ है।
    • क्षेत्रीय केंद्र के रूप में: मॉरीशस में नए निवेश अफ्रीका से आते हैं, अतः मॉरीशस भारत की अपनी अफ्रीकी आर्थिक आउटरीच के लिये सबसे बड़ा केंद्र हो सकता है।
      • भारत तकनीकी नवाचार के एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में मॉरीशस के विकास में योगदान दे सकता है। अतः भारत को उच्च शिक्षा सुविधाओं के लिये मॉरीशस की मांगों पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिये।
      • मॉरीशस क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है।
    • द्वीप नीति का केंद्रबिंदु: अभी तक भारत दक्षिण पश्चिमी हिंद महासागर के वैनिला द्वीप (Vanilla islands) कहे जाने वाले देशों; जिनमें कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, मैयट, रीयूनियन और सेशेल्स शामिल हैं, का द्विपक्षीय रणनीतिक आधार पर सामना करने का प्रयास कर रहा है।
      • यदि भारत मॉरीशस के विकास में सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाता है तो आने वाले समय में मॉरीशस दिल्ली की द्वीपीय नीति का केंद्र बिंदु बन जाएगा।
      • यह दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में एक बैंकिंग गेटवे और पर्यटन के केंद्र के रूप में भारत की वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है।
    • चीन के संदर्भ में: चीन ने “स्ट्रिंग्स ऑफ पर्ल्स” की अपनी नीति के तहत ग्वादर (पाकिस्तान) से लेकर हम्बनटोटा (श्रीलंका), यौप्यु (म्यांँमार) तक हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण संबंध स्थापित किये हैं।
      • ऐसे में भारत को अपनी समुद्री क्षमताओं को मज़बूत करने में और क्षमता वृद्धि करने के लिये मॉरीशस, मालदीव, श्रीलंका और सेशल्स जैसे हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों की सहायता करनी चाहिये।
  • महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम:
    • वर्ष 2021 में, भारत तथा मॉरीशस के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (CECAP) पर हस्ताक्षर को मंज़ूरी दी गई।
    • भारत ने उन्नत हल्के हेलीकाप्टर एमके III के निर्यात के लिये मॉरीशस के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं। हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल मॉरीशस पुलिस बल द्वारा किया जाएगा।

आगे की राह

  • हालाँकि भारत और मॉरीशस दोनों ही देश औपनिवेशिक काल से एक-दूसरे के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़े हैं तथा हाल के वर्षों में दोनों के बीच एक विशेष साझेदारी है, भारत मॉरीशस के प्रभाव को हल्के में नहीं ले सकता है और इस महत्त्वपूर्ण द्वीपीय देश के साथ भारत को अपने संबंधों को ओर अधिक प्रगाढ़ करने की आवश्यकता है।
  • जैसा कि भारत दक्षिण पश्चिमी हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जिसमें मॉरीशस का स्वाभाविक रूप से एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है इसलिये, भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी (Neighbourhood First policy) में सुधार करना आवश्यक है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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