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‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की सफलता : एक अवलोकन

  • 07 Oct 2017
  • 5 min read

संदर्भ

हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Women and Child Development -WCD)  ने यह दावा किया है कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के अंतर्गत कवर किये गए देश के 161 ज़िलों में से 104 ज़िलों में ‘जन्म के समय लिंगानुपात’(sex ratio at birth-SRB) में वृद्धि दर्ज़ की गई है, जबकि शेष 57 ज़िलों में इसी लिंगानुपात में कमी देखी गई है। विदित हो कि इस योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य से की गई थी|

प्रमुख बिंदु

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस योजना के लिये एक नोडल मंत्रालय है, जो मानव संसाधन विकास और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से ‘बाल लिंगानुपात’(child sex ratio-CSR) तथा एस.आर.बी. में कमी लाने का प्रयास करता है।
  • ज़िला स्तर पर इस योजना का नेतृत्व कलेक्टर द्वारा किया जाता है।
  • अब यह मंत्रालय उन 57 ज़िलों पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है जहाँ एस.आर.बी. में कमी देखी गई थी।
  • 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय गर्ल चाइल्ड डे’(International Girl Child Day) के अवसर पर मंत्रालय ने अगले सप्ताह का ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ सप्ताह के रूप में पर्यवेक्षण करने की योजना बनाई है।
  • इस योजना के कारण खराब महिला-पुरुष लिंगानुपात (female-to-male sex ratio ) वाले राज्यों में भी सुधार देखा गया है । राजस्थान में 14 में से 10 ज़िलों, पंजाब के 20 में से 14 ज़िलों , उत्तर प्रदेश के 21 में से 15 ज़िलों तथा  महाराष्ट्र के 16 में से 9 ज़िलों के महिला-पुरुष लिंगानुपात में  वृद्धि दर्ज़ की गई है।
  • योजना के तहत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में मिज़ोरम का सैहा (Saiha), जम्मू और कश्मीर के निकोबार (Nicobar), शोपिया (Shopian) और बांदीपुरा (Bandipura) ज़िले तथा उत्तर प्रदेश का गाज़ियाबाद ज़िला शामिल है।
  • अधिकारियों के अनुसार, देश के पश्चिमी भाग के अधिकांश राज्य लिंगानुपात के मामले में पिछड़े हुए हैं। यद्यपि ये राज्य पूर्वी राज्यों  की तुलना में अधिक सम्पन्न हैं, तथापि यहाँ बेटे को वरीयता देने की परम्परा आज भी विद्यमान है।

जन्म के समय लिंगानुपात 

  • इसे प्रति 1,000 लड़कों पर जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या से परिभाषित किया जाता है। इसका पता एक वर्ष में जन्में बच्चे के पंजीकरण से लगाया जाता है। 
  • एस.आर.बी. में उच्च वृद्धि दर्शाने वाले ज़िलों में अरुणाचल प्रदेश का दिबांग वैली (Dibaang Valley), हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर (Hamirpur), आंध्र प्रदेश का कडप्पा (Kadappa), और जम्मू और कश्मीर का पुलवामा (Pulwama) ज़िला और लक्षद्वीप शामिल है। विदित हो कि इनमें से अनेक ज़िले छोटे हैं, जिनकी आबादी काफी कम है। तात्पर्य यह है कि महिला शिशु की जन्म दर में होने वाली थोड़ी सी वृद्धि से लिंगानुपात में काफी सुधार हो जाएगा।

बाल लिंगानुपात

  • इसे 0-6 आयुवर्ग के प्रति 1,000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है । इसके लिये प्रत्येक दस वर्षों में आँकड़े जारी किये जाते हैं। 
  • यदि हरियाणा के बाल लिंगानुपात की तुलना राष्ट्रीय औसत 918 से की जाए तो इसका लिंगानुपात कम यानी 834 ही है। 
  • इस योजना के अंतर्गत चुने गए इसके 20 ज़िलों में से 18 ज़िलों में इस लिंगानुपात में वृद्धि देखी गई है, जबकि दो ज़िलों में कमी। परन्तु फिर भी वर्तमान में इन दोनों ज़िलों का बाल लिंगानुपात वर्ष 2011 की तुलना में काफी बेहतर है।
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