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भारतीय अर्थव्यवस्था

मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स संबंधी नियमों में परिवर्तन

  • 12 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

म्यूचुअल फंड, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स, SEBI

मेन्स के लिये

SEBI द्वारा परिवर्तित नियम और बाज़ार पर उनका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेते हुए म्यूचुअल फंड्स की मल्टी-कैप स्कीमों (Multi-Cap Schemes) में निवेश की एक सीमा निर्धारित कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • परिवर्तित नियम
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा निर्धारित नए नियमों के अनुसार, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स स्कीमों को अपनी कुल संपत्ति का तकरीबन 75 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी (Equities) और उससे संबंधित अन्य वित्तीय उपकरणों में ही निवेश करना होगा।
    • मौजूदा नियमों के अनुसार, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स स्कीमों को अपनी कुल संपत्ति का तकरीबन 65 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी (Equities) और इक्विटी से संबंधित अन्य वित्तीय उपकरणों में ही निवेश करना होता है।
    • इसके अलावा SEBI ने यह भी निर्धारित किया है कि इक्विटी और इक्विटी संबंधित अन्य वित्तीय उपकरणों में 75 प्रतिशत का न्यूनतम निवेश किस तरह से किया जाएगा। SEBI के अनुसार, 
      • लार्ज कैप कंपनियों में न्यूनतम निवेश: 25 प्रतिशत
      • मिड कैप कंपनियों में न्यूनतम निवेश: 25 प्रतिशत
      • स्मॉल कैप कंपनियों में न्यूनतम निवेश: 25 प्रतिशत
    • वर्तमान नियमों के अनुसार, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स के फंड मैनेजर अपनी पसंद के अनुसार, किसी भी प्रकार की कंपनी (लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप) में निवेश कर सकते थे।
  • उल्लेखनीय है कि इस वर्ष दिसंबर माह तक एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) द्वारा लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों की अगली सूची जारी की जाएगी, जिसके एक माह के भीतर म्यूचुअल फंड्स हाउसों को नए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा, जिसका अर्थ है कि उन्हें 31 जनवरी, 2021 तक का समय प्रदान किया है।

लार्ज कैप कंपनियाँ: बाज़ार पूंजीकरण के मामले में शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध 1 से 100वें स्थान की कंपनियाँ, लार्ज कैप कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। ये कंपनियाँ पूंजी के मामले में भारत की सबसे मज़बूत कंपनियाँ होती हैं और ट्रैक-रिकॉर्ड काफी अच्छा होता है।

मिड कैप कंपनियाँ: बाज़ार पूंजीकरण के मामले में शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध 101 से 250वें स्थान की कंपनियाँ, मिड कैप कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। 

स्मॉल कैप कंपनियाँ: बाज़ार पूंजीकरण के मामले में शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध 251वें स्थान के बाद मौजूद सभी कंपनियाँ, मिड कैप कंपनियों की श्रेणी में आती हैं। 

इन परिवर्तनों के कारण

  • इस प्रकार के निर्णय का मुख्य कारण है कि मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स के अधिकांश फंड मैनेजरों का झुकाव लार्ज कैप कंपनियों की तरह ज़्यादा दिखाई देता है, और वह अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा लार्ज कैप कंपनियों में ही निवेश करते हैं।
    • अनुमान के अनुसार, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स स्कीमों के प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें से लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा लार्ज कैप कंपनियों में, 25 प्रतिशत प्रतिशत हिस्सा मिड कैप कंपनियों और 10 प्रतिशत हिस्सा स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश किया गया है। 
  • इस प्रकार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) अपने नए नियमों के माध्यम से म्यूचुअल फंड के निवेश को लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में संतुलित करने का प्रयास कर रहा है।

लार्ज कैप कंपनियों में अत्यधिक निवेश का कारण 

  • इसका मुख्य कारण है कि लार्ज कैप कंपनियाँ एक समय विशिष्ट में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही होती हैं, जिससे निवेशकों को काफी लाभ मिलता है। 
  • वर्तमान समय में अधिकांश फंड मैनेजर बड़ी संख्या में लार्ज कैप कंपनियों में निवेश कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि मौजूदा महामारी के दौरान निवेश को सुरक्षित रखने का एकमात्र उपाय बड़ी और सुरक्षित कंपनियों में निवेश करना है। 

इस निर्णय का प्रभाव

  • यदि किसी भी म्यूचुअल फंड्स हाउस ने लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में से प्रत्येक में 25 प्रतिशत से कम अथवा अधिक निवेश किया है तो उन्हें अपने निवेश पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करना होगा, और प्रत्येक में 25-25-25 प्रतिशत निवेश करना होगा। 
  • इसका अर्थ है कि अब फंड मैनेजरों को लार्ज कैप कंपनियों से अपनी हिस्सेदारी बेचनी होगी और मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी खरीदनी होगी।
  • इस निर्णय से मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद की जा सकती है, इससे मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों के बाज़ार मूल्य में वृद्धि हो सकती है।
  • हालाँकि इससे निवेशकों को मिलने वाले लाभ में कुछ कमी देखी जा सकती है, क्योंकि इस निर्णय के माध्यम से म्यूचुअल फंड्स हाउसों को अच्छा प्रदर्शन करने वाली लार्ज कैप कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचनी होगी और मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदनी होगी। 

म्यूचुअल फंड

  • म्यूचुअल फंड एक प्रकार का सामूहिक निवेश होता है। निवेशकों के समूह मिलकर अल्पावधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।
  • म्यूचुअल फंड में एक फंड प्रबंधक होता है, जो इस पैसे को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिये अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है।

मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स

  • सरल शब्दों में मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स विविधतापूर्ण इक्विटी फंड होते हैं, जिसके तहत अलग-अलग बाज़ार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है।
  • इसके तहत निवेश उद्देश्यों को पूरा करने के लिये अलग-अलग अनुपात में अलग-अलग कंपनियों में निवेश किया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि लंबी अवधि में मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड्स आमतौर पर अन्य श्रेणियों की तुलना में निवेशकों को बेहतर रिटर्न प्रदान करते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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