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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रकटीकरण मानदंडों में सेबी की छूट

  • 21 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सेबी, COVID-19

मेन्स के लिये:

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव, निवेशकों और सूचीबद्ध कंपनियों के हितों की रक्षा में सेबी की भूमिका  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत में COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने सूचीबद्ध कंपनियों के हितों की रक्षा के लिये प्रकटीकरण मानदंडों की अनिवार्यताओं में अस्थायी छूट देने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा 20 मार्च, 2020 को दी गई जानकारी के अनुसार, कंपनियों को चौथी तिमाही के परिणाम प्रस्तुत करने के लिये 45 दिनों की छूट के साथ कुछ अन्य मामलों में भी राहत प्रदान की जाएगी।
  • इस घोषणा के अनुसार, कंपनियों को अपने वार्षिक आँकड़े/परिणाम प्रस्तुत करने के लिये एक माह की अतिरिक्त छूट प्रदान की गई है।
  • सेबी द्वारा कंपनियों को त्रैमाषिक गवर्नेंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये भी एक माह (15 मई) तक की छूट दी गई है। 
  • साथ ही सेबी ने कंपनियों की दो बोर्ड बैठकों के बीच अनिवार्य समयांतराल में भी राहत प्रदान की है।  
  • सेबी के अनुसार, COVID-19 के प्रसार से उत्पन्न हुई चुनौतियों को देखते हुए सूचीबद्ध कंपनियों के लिये नियमों के अनुपालन में अस्थायी राहत प्रदान करने की आवश्यकता महसूस की गई है। 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

(Securities and Exchange Board of India-SEBI):

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992’ के प्रावधानों के तहत 12 अप्रैल, 1992 को की गई थी।
  • इसका मुख्यालय मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
  • इसके अतिरिक्त सेबी के चार क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में स्थित हैं।
  • सेबी प्रतिभूति बाज़ार (Securities Market) का विकास और उसके विनियमन का कार्य करता है। 
  • इसके अतिरिक्त यह प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों के संरक्षण और प्रतिभूति बाज़ार के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य करता है।     

नियमों के अनुपालन में अस्थायी छूट का प्रभाव: 

  • सेबी ने वर्तमान संशोधनों के आधार पर 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के वार्षिक परिणाम प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि को 30 जून तक बढ़ा दिया है। आमतौर पर सूचीबद्ध कंपनियों को एक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 60 दिनों के अंदर अपने वार्षिक परिणाम प्रस्तुत करने होते हैं।
  • साथ ही सूचीबद्ध इकाइयों के निदेशक मंडल और ऑडिट कमेटी को  1 दिसंबर, 2019 और 30 जून, 2020 की अवधि के बीच होने वाली बैठकों के बीच अनिवार्य समयांतराल का पालन करने से भी छूट प्रदान की गई है।
  • हालाँकि सेबी के आदेश के अनुसार, निदेशक मंडल और ऑडिट कमेटी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे निर्धारित विनियमों के तहत वर्ष भर में चार बार अवश्य मिलेंगे।  
  • इस अस्थायी छूट के तहत त्रैमासिक शेयर होल्डिंग पैटर्न और निवेशक शिकायत रिपोर्ट का विवरण प्रस्तुत करने की समय-सीमा को तीन सप्ताह (15 मई) तक बढ़ा दिया गया है।
  • सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों को शेयर हस्तांतरण सुविधा के संदर्भ में अर्द्धवार्षिक अनुपालन प्रमाण पत्र (Half-Yearly Compliance Certificate) और वार्षिक सचिवीय अनुपालन रिपोर्ट (Annual Secretarial Compliance Report) प्रस्तुत करने के लिये भी एक माह की छूट प्रदान की है।
  • इस छूट के बाद अब सूचीबद्ध कंपनियाँ शेयर हस्तांतरण सुविधा के अर्द्धवार्षिक अनुपालन प्रमाण पत्र को 31 मई तक और वार्षिक सचिवीय अनुपालन रिपोर्ट को 30 जून तक प्रस्तुत कर सकेंगी। 

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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