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जैव विविधता और पर्यावरण

विदेशज जानवरों के स्वैच्छिक प्रकटन संबंधी योजना

  • 05 Nov 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशज प्रजातियाँ, विदेशज जानवरों के आयात का नियमन

मेन्स के लिये:

विदेशज  जानवरों के आयात का नियमन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा विदेशज  जानवरों के आयात तथा स्टॉक पर जारी एडवाइज़री को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय दिया। 

प्रमुख बिंदु:

  • ‘केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change-  MoEF&CC) द्वारा जून 2020 में विदेशज  जानवरों के भारत में आयात तथा इस तरह के जीवों के स्टॉक की घोषणा के संबंध में एक एडवाइज़री जारी की गई थी।
  • COVID-19 महामारी ने ‘वन्यजीवों के माध्यम से ज़ूनोटिक रोगों के प्रसार’ को पुन: चर्चा का मुद्दा बना दिया है। अत: वन्यजीवों के व्यापार को विनियमित करने के उद्देश्य से सरकार ने यह एडवाइज़री जारी की थी।

विदेशज  प्रजातियाँ (Exotic Species):

  • विदेशज  प्रजातियों को सामान्यत: गैर-स्थानिक, बाहरी (Alien) प्रजातियों के रूप में जाना जाता है। ये प्रजातियाँ सामान्य तौर पर उनकी प्राकृतिक भौगोलिक सीमा के बाहर के क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
  • विदेशज  प्रजातियों (Exotic Species) की सूची में जानवरों की वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती हैं तथा जिनको CITES के परिशिष्टों में शामिल किया गया है लेकिन ‘वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972‘ (Wild Life (Protection) Act, 1972) के तहत शामिल नहीं किया गया है।

एडवाइज़री के प्रमुख बिंदु:

  • एडवाइज़री में विदेशज  जानवरों के आयात तथा प्रकटीकरण संबंधी प्रावधान शामिल किये गए हैं।  ये प्रावधान उन जानवरों पर भी लागू होंगे जिनकी आयातित प्रजातियाँ भारत में पहले से ही मौजूद हैं। 
  • किसी भी विदेशज  जानवर का आयात करने से पूर्व व्यक्ति को ‘विदेश व्यापार महानिदेशक’ (Director General of Foreign Trade- DGFT) से लाइसेंस प्राप्ति के लिये एक आवेदन प्रस्तुत करना होगा। आयातक को आवेदन के साथ संबंधित राज्य के ‘मुख्य वन्यजीव वार्डन’ का 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' (No Objection Certificate- NOC) भी संलग्न करना होगा। 
  • वे लोग जो पहले से ही विदेशी जानवरों का आयात कर चुके हैं, उन्हें 6 माह के भीतर जानवर के मूल आयातित स्थान की जानकारी देनी होगी। अगर आयातक 6 माह में यह जानकारी देने तथा घोषणा करने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें आवश्यक दस्तावेज़ जमा कराने होंगे।

 उच्च न्यायालय का स्पष्टीकरण:

  • उच्च न्यायालय ने याचिका के तहत उठाए गए दो प्रमुख नियमों पर निर्णय दिया है।
  • प्रथम, विदेशी पक्षियों या जानवरों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के बाद भी ऐसे व्यक्तियों की जाँच से संबंधित है, इसमें उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है यदि कोई व्यक्ति ऐसे जानवरों को रखने के बारे स्वैच्छिक रूप से जानकारी देता है, तो उसे स्वामित्व, व्यापार और प्रजनन आदि के संबंध में जाँच से उन्मुक्ति मिलेगी।
  • द्वितीय, ऐसे विदेशी जानवर और पक्षी जिन्हें ‘वन्यजीवों तथा वनस्पतियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (CITES) के तीनों परिशिष्टों के तहत शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी योजना के तहत संरक्षण प्रदान किया जाए। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एडवाइज़री के तहत सभी विदेशी जीवित प्रजातियों को शामिल करने पर विचार करने को कहा है।  

उच्च न्यायालय के निर्णय का महत्त्व:

  • भारत में वर्तमान में विदेशज  प्रजातियों के घरेलू व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। अनेक प्रजातियों यथा- 'शुगर ग्लाइडर्स' (Sugar Gliders) मकई सर्प (Corn Snakes) आदि को CITES के तहत सूचीबद्ध नहीं किया गया है। केंद्र सरकार अन्य विदेशज जानवरों को शामिल करते हुए एक व्यापक तथा नवीन एडवाइज़री जारी कर सकती है। 
  • भारत में विदेशज जानवरों के व्यापार के उचित नियमन का अभाव है। एडवाइज़री देश में मौजूद सभी विदेशज जानवरों की जानकारी जुटाने में मदद करेगी। 

निष्कर्ष:

  • विदेशज जानवरों के भारत में आयात तथा ऐसे जानवरों को रखने हेतु स्वैच्छिक प्रकटीकरण के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय से इन प्रजातियों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही विदेशज  प्रजातियों की सूची में CITES परिशिष्ट में उल्लिखित प्रजातियों के अलावा अन्य को शामिल करने से अन्य सुभेद्य विदेशज प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी।

स्रोत: द हिंदू

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