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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना

  • 28 Dec 2017
  • 8 min read

चर्चा में क्यों? 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर कपड़ा क्षेत्र की समूची मूल्य श्रृंखला को शामिल करते हुए एक नई कौशल विकास योजना को मंजू़री दी है। इस योजना को ‘कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’ (Scheme for Capacity Building in Textile Sector - SCBTS) नाम दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • इस योजना को 1300 करोड़ रुपए की लागत के साथ वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2019-20 तक की अवधि के लिये स्वीकार किया गया है। 
  • इस योजना में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship - MSDE) के सामान्य मानकों के आधार पर राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (National Skill Qualification Framework - NSQF) के अनुरूप प्रशिक्षण पाठ्यक्रम होंगे।

उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य संगठित कपड़ा क्षेत्र और उससे संबद्ध क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करना है।
  • संबंधित उद्योगों के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिये मांग आधारित प्लेसमेंट संबंधी कौशल कार्यक्रम को प्रोत्साहन देना। 
  • कपड़ा मंत्रालय से संबंधित संगठनों के माध्यम से कौशल विकास और कौशल उन्नयन को प्रोत्साहन देना। 
  • देश भर के हर वर्ग को आजीविका प्रदान करना।

कौशल कार्यक्रम का क्रियान्वयन इस प्रकार किया जाएगा -

  • श्रम शक्ति की घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये कपड़ा उद्योग/इकाई द्वारा।
  • कपड़ा उद्योग/इकाइयों के साथ रोज़गार समझौते के तहत प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान द्वारा।
  • कपड़ा उद्योग/इकाइयों के साथ रोज़गार समझौते के संबंध में कपड़ा मंत्रालय/राज्य सरकारों के संस्थानों द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।

योजना के तहत निम्नलिखित रणनीति अपनाई जाएगी -

  • संबंधित कार्य को ध्यान में रखते हुए कौशल लक्ष्य के विभिन्न स्तरों यानी प्रवेश स्तर के पाठ्यक्रम, कौशल उन्नयन, निरीक्षण, प्रबंधन प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये उन्नत पाठ्यक्रम सहित कौशल विकास, प्रशिक्षण, उद्यमशीलता विकास के आधार पर रणनीति अपनाई जाएगी।
  • उद्योग के साथ सलाह करके समय-समय पर कौशल की आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • कार्यक्रम के क्रियान्वयन के हर पक्ष के संचालन के लिये वेब आधारित निगरानी की जाएगी।
  • हथकरघा, हस्तशिल्प, पटसन, रेशम इत्यादि जैसे परम्परागत क्षेत्रों की कौशल संबंधी ज़रूरतों पर संबंधित क्षेत्रीय उपखंडों/संगठनों के ज़रिये विशेष परियोजनाओं के स्वरूप पर विचार किया जाएगा। 
  • इसके अलावा ‘मुद्रा’ ऋणों के प्रावधानों के ज़रिये उद्यमशीलता के विकास के संबंध में कौशल उन्नयन को समर्थन दिया जाएगा।
  • नतीजों की पड़ताल के लिये सफल प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन किया जाएगा। मान्यता प्राप्त मूल्यांकन एजेंसी द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
  • प्रमाणित प्रशिक्षुओं में से कम से कम 70 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को दिहाड़ी रोज़गार वर्ग में रखा जाएगा। योजना के तहत रोज़गार मिलने के पश्चात् उन पर अनिवार्य रूप से नज़र रखी जाएगी।
  • इस क्षेत्र में प्रशिक्षण के बाद महिलाओं के रोज़गार में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए सभी भागीदार संस्थानों के लिये यह अनिवार्य होगा कि वे कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निर्वारण) अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति का गठन करने संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे, तभी वे इस योजना के तहत वित्तपोषण के पात्र होंगे।

योजना के तहत वर्णित अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह योजना देश भर में समाज के सभी वर्गों के लाभ के लिये लागू की जाएगी, जिसमें ग्रामीण, दूर-दराज के इलाके, वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, पूर्वोत्तर तथा जम्मू-कश्मीर को शामिल किया जाएगा। 
  • योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगों, अल्पसंख्यकों और अन्य कमज़ोर वर्गों को वरीयता दी जाएगी। 
  • उल्लेखनीय है कि 12वीं योजना के दौरान कपड़ा मंत्रालय के द्वारा क्रियान्वित कौशल विकास की तत्कालीन योजना के तहत 10 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएँ थी। 
  • इस योजना के तहत परिधान उद्योग एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसमें लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार मिलता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए योजना में इसे शामिल किया गया है।
  • आशा की जाती है कि योजना के ज़रिये कपड़ा क्षेत्र से संबंधित विभिन्न वर्गों में 10 लाख लोगों का कौशल विकास होगा और उन्हें प्रमाण-पत्र दिये जाएंगे। इनमें से एक लाख लोग परम्परागत क्षेत्रों में होंगे।

पृष्ठभूमि

  • कपड़ा मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम दो वर्षों के दौरान पायलट योजना के रूप में एकीकृत कौशल विकास योजना को शुरू किया था। इसके तहत 2.56 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य तय किया गया था। 
  • उल्लेखनीय है कि एकीकृत कौशल विकास योजना, उद्योग संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कपड़ा उद्योग में कुशल श्रम शक्ति की बड़ी कमी को पूरा करती है। 
  • योजना का क्रियान्वयन तीन घटकों के माध्यम से किया गया है। इसमें निजी-सार्वजनिक भागीदारी प्रणाली पर विशेष बल दिया गया है। 
  • इसके तहत मांग आधारित कौशल विकास इको-प्रणाली को स्थापित करने में उद्योग के साथ भागीदारी विकसित की गई है। 
  • योजना के तहत अभी तक 10.84 लाख लोगों को रोज़गार प्रदान किया गया है। इनमें 10.12 लाख लोगों का आकलन किया गया है और 8.05 लाख लोगों का प्लेसमेंट हुआ है।
  • योजना को मुख्यतः कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य मानदंडों के अनुरूप तैयार किया गया है।
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