भारत-विश्व
अमेरिकी प्रतिबंध तथा नॉर्ड स्ट्रीम 2
- 12 Jul 2018
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने एक नई चेतावनी जारी की है कि यह उन पश्चिमी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है जो नॉर्ड स्ट्रीम 2 (NORD STREAM) पाइपलाइन परियोजना में भाग ले रहे हैं, जिसका उद्देश्य जर्मनी को सीधे रूस के प्राकृतिक गैस से जोड़ना है।
क्या है नॉर्ड स्ट्रीम 2?
- यह एक नई योजनाबद्ध 1,230 किलोमीटर लंबी (764 मील) समुद्र के अंदर से होकर गुज़रने वाली पाइपलाइन है जो जर्मनी के बाल्टिक तट पर रूस के क्षेत्रों से लेकर यूरोपीय संघ नेटवर्क तक प्राकृतिक गैस का स्थानांतरण करेगी।
- यह मौजूदा मार्ग इसकी क्षमता को दोगुना कर देगा और यूक्रेन के माध्यम से गैस पारगमन पर रूस की निर्भरता को कम करेगा।
- रूस का गजप्रोम पीजेएससी (Gazprom PJSC) इस परियोजना की निगरानी कर रहा है तथा रॉयल डच शेल पीएलसी (Royal Dutch Shell Plc ) और एंजी एसए (Engie SA) सहित पाँच निवेशक इस परियोजना का वित्तपोषण कर रहे हैं, ये परियोजना की कुल लागत 9.5 अरब यूरो (10.3 बिलियन डॉलर) का आधा हिस्सा प्रदान कर रहे हैं।
यह पाइपलाइन निर्माण के कितने करीब है?
- गज़प्रोम, नॉर्ड स्ट्रीम 2 एजी की स्विस इकाई को जर्मनी, फिनलैंड और स्वीडन से पर्यावरण और निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई है। इसे अभी भी डेनमार्क से समान अनुमोदन की आवश्यकता है।
- पाइपलाइन उन चार देशों के साथ-साथ रूस के आर्थिक क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।
- तलकर्षण (Dredging) का काम पहले ही शुरू हो चुका है और प्रायोजक इस वर्ष के अंत में समुद्र में पाइप के हिस्सों को डालने का कार्य शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
- वर्ष 2019 के अंत तक इस परियोजना के पूरा होने की संभावना है।
अमेरिका द्वारा पाइपलाइन के विरोध का कारण
- अमेरिका हमेशा नॉर्ड स्ट्रीम 2 का विरोध करता रहा है, जो इसे यूरोप की ऊर्जा आपूर्ति पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने के रूस के प्रयास के रूप में देखता है।
- मार्च 2018 में 39 अमेरिकी सीनेट सदस्यों के एक समूह ने ट्रंप से परियोजना को अवरुद्ध करने का आग्रह यह कहते हुए किया था कि यह अमेरिकी सहयोगियों को "मॉस्को के दबाव और घातक प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील" बना देगा।
- अमेरिका के अनुसार, जर्मनी ने बड़े पैमाने पर तेल और गैस सौदे पर हस्ताक्षर करके स्वयं रूस का बंधक बना दिया है जिसके कारण वह रूस को प्रति वर्ष अरबों डॉलर का भुगतान करेगा।
- यूरोपीय संघ के कुछ देशों का मानना है कि अमेरिका अपने आयातित गैस के लिये रास्ता बनाने हेतु रूस को यूरोप के गैस बाज़ार में विस्थापित करने की योजना बना रहा है।
पाइपलाइन का विरोध करने वाले अन्य देश
- पोलैंड, स्लोवाकिया और अन्य देश जो मौजूदा पाइपलाइनों की मेज़बानी करते हैं और पारगमन शुल्क इकट्ठा करते हैं, उनके द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है।
- इन देशों का मानना कि यह लिंक रूस को यूक्रेन सहित उन देशों को बाईपास करने की क्षमता प्रदान करेगा जो इसके पक्ष में नहीं हैं।
- इस परियोजना का विरोध करने वाले देशों का यह भी मानना है कि रूस के लिये कुछ देश बहुत करीब हैं और बाल्टिक सागर से गुज़रने वाली गैस पाइपलाइन रूस की सेना के वित्तपोषण में योगदान देगी।
रूस और जर्मनी द्वारा आलोचनाओं का जवाब
- रूस का कहना है कि अमेरिका की शिकायतें यूरोप में अमेरिकी तरलीकृत प्राकृतिक गैस बेचने के लिये "अपने व्यापार-हितों" को बढ़ावा देने की इच्छा से प्रेरित हैं।
- ज़र्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 के "आर्थिक पहलुओं" का बचाव करते हुए कहा है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यूक्रेन "पारगमन यातायात से पूरी तरह अलग न हो।"
रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध
- लगभग 700 रूसी लोग और कंपनिययाँ अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन हैं।
- अमेरिका ने सैकड़ों रूसी व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध, परिसंपत्तियों के जमा तथा वित्त एवं व्यापार प्रतिबंध लगाए हैं।
प्रतिबंध लगाने का कारण
- रूस द्वारा क्रीमिया के यूक्रेनी प्रायद्वीप को अपनाने और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी विद्रोह का समर्थन करने के बाद 2014 में बराक ओबामा के कार्यकारी आदेश द्वारा सबसे अधिक प्रतिबंध लगाए गए थे।
- अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मॉस्को द्वारा 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी हस्तक्षेप किया गया था।
रूस पर प्रतिबंधों का असर
- इन प्रतिबंधों ने आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली प्रौद्योगिकी तक रूस की पहुँच को सीमित कर दिया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, ये प्रतिबंध मध्यम अवधि के दौरान रूस की अर्थव्यवस्था के आकार को घटा सकते हैं।
- अप्रैल के नवीनतम प्रतिबंधों के बाद रूस के बाज़ार भी प्रभावित हुए हैं।
रूस पर अन्य देशों के प्रतिबंध
- यूरोपीय संघ ने रूस पर वित्तीय, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए हैं।
- 5 जुलाई, 2018 को यूरोपीय संघ ने इन प्रतिबंधों को छह माह के लिये बढ़ा दिया था।
- अन्य पश्चिमी शक्तियों ने भी इसी तरह के उपायों को अपनाया है।
स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन)
डेली न्यूज़
शासन व्यवस्था
अमेरिकी प्रतिबंध तथा नॉर्ड स्ट्रीम
- 12 Jul 2018
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने एक नई चेतावनी जारी की है कि यह उन पश्चिमी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा सकता है जो नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना में भाग ले रहे हैं, जिसका उद्देश्य जर्मनी को सीधे रूस के प्राकृतिक गैस से जोड़ना है।
क्या है नॉर्ड स्ट्रीम 2?
- यह एक नई योजनाबद्ध 1,230 किलोमीटर लंबी (764 मील) समुद्र के अंदर से होकर गुज़रने वाली पाइपलाइन है जो जर्मनी के बाल्टिक तट पर रूस के क्षेत्रों से लेकर यूरोपीय संघ नेटवर्क तक प्राकृतिक गैस का स्थानांतरण करेगी।
- यह मौजूदा मार्ग इसकी क्षमता को दोगुना कर देगा और यूक्रेन के माध्यम से गैस पारगमन पर रूस की निर्भरता को कम करेगा।
- रूस का गजप्रोम पीजेएससी (Gazprom PJSC) इस परियोजना की निगरानी कर रहा है तथा रॉयल डच शेल पीएलसी (Royal Dutch Shell Plc ) और एंजी एसए (Engie SA) सहित पाँच निवेशक इस परियोजना का वित्तपोषण कर रहे हैं, ये परियोजना की कुल लागत 9.5 अरब यूरो (10.3 बिलियन डॉलर) का आधा हिस्सा प्रदान कर रहे हैं।
यह पाइपलाइन निर्माण के कितने करीब है?
- गज़प्रोम, नॉर्ड स्ट्रीम 2 एजी की स्विस इकाई को जर्मनी, फिनलैंड और स्वीडन से पर्यावरण और निर्माण की अनुमति प्राप्त हुई है। इसे अभी भी डेनमार्क से समान अनुमोदन की आवश्यकता है।
- पाइपलाइन उन चार देशों के साथ-साथ रूस के आर्थिक क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।
- तलकर्षण (Dredging) का काम पहले ही शुरू हो चुका है और प्रायोजक इस वर्ष के अंत में समुद्र में पाइप के हिस्सों को डालने का कार्य शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
- वर्ष 2019 के अंत तक इस परियोजना के पूरा होने की संभावना है।
अमेरिका द्वारा पाइपलाइन के विरोध का कारण
- अमेरिका हमेशा नॉर्ड स्ट्रीम 2 का विरोध करता रहा है, जो इसे यूरोप की ऊर्जा आपूर्ति पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने के रूस के प्रयास के रूप में देखता है।
- मार्च 2018 में 39 अमेरिकी सीनेट सदस्यों के एक समूह ने ट्रंप से परियोजना को अवरुद्ध करने का आग्रह यह कहते हुए किया था कि यह अमेरिकी सहयोगियों को "मॉस्को के दबाव और घातक प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील" बना देगा।
- अमेरिका के अनुसार, जर्मनी ने बड़े पैमाने पर तेल और गैस सौदे पर हस्ताक्षर करके स्वयं रूस का बंधक बना दिया है जिसके कारण वह रूस को प्रति वर्ष अरबों डॉलर का भुगतान करेगा।
- यूरोपीय संघ के कुछ देशों का मानना है कि अमेरिका अपने आयातित गैस के लिये रास्ता बनाने हेतु रूस को यूरोप के गैस बाज़ार में विस्थापित करने की योजना बना रहा है।
पाइपलाइन का विरोध करने वाले अन्य देश
- पोलैंड, स्लोवाकिया और अन्य देश जो मौजूदा पाइपलाइनों की मेज़बानी करते हैं और पारगमन शुल्क इकट्ठा करते हैं, उनके द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है।
- इन देशों का मानना कि यह लिंक रूस को यूक्रेन सहित उन देशों को बाईपास करने की क्षमता प्रदान करेगा जो इसके पक्ष में नहीं हैं।
- इस परियोजना का विरोध करने वाले देशों का यह भी मानना है कि रूस के लिये कुछ देश बहुत करीब हैं और बाल्टिक सागर से गुज़रने वाली गैस पाइपलाइन रूस की सेना के वित्तपोषण में योगदान देगी।
रूस और जर्मनी द्वारा आलोचनाओं का जवाब
- रूस का कहना है कि अमेरिका की शिकायतें यूरोप में अमेरिकी तरलीकृत प्राकृतिक गैस बेचने के लिये "अपने व्यापार-हितों" को बढ़ावा देने की इच्छा से प्रेरित हैं।
- ज़र्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 के "आर्थिक पहलुओं" का बचाव करते हुए कहा है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यूक्रेन "पारगमन यातायात से पूरी तरह अलग न हो।"
रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध
- लगभग 700 रूसी लोग और कंपनिययाँ अमेरिकी प्रतिबंधों के अधीन हैं।
- अमेरिका ने सैकड़ों रूसी व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध, परिसंपत्तियों के जमा तथा वित्त एवं व्यापार प्रतिबंध लगाए हैं।
प्रतिबंध लगाने का कारण
- रूस द्वारा क्रीमिया के यूक्रेनी प्रायद्वीप को अपनाने और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी विद्रोह का समर्थन करने के बाद 2014 में बराक ओबामा के कार्यकारी आदेश द्वारा सबसे अधिक प्रतिबंध लगाए गए थे।
- अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मॉस्को द्वारा 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी हस्तक्षेप किया गया था।
रूस पर प्रतिबंधों का असर
- इन प्रतिबंधों ने आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली प्रौद्योगिकी तक रूस की पहुँच को सीमित कर दिया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, ये प्रतिबंध मध्यम अवधि के दौरान रूस की अर्थव्यवस्था के आकार को घटा सकते हैं।
- अप्रैल के नवीनतम प्रतिबंधों के बाद रूस के बाज़ार भी प्रभावित हुए हैं।
रूस पर अन्य देशों के प्रतिबंध
- यूरोपीय संघ ने रूस पर वित्तीय, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाए हैं।
- 5 जुलाई, 2018 को यूरोपीय संघ ने इन प्रतिबंधों को छह माह के लिये बढ़ा दिया था।
- अन्य पश्चिमी शक्तियों ने भी इसी तरह के उपायों को अपनाया है।