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डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

युद्ध क्षेत्र में रोबोट

  • 14 Sep 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रेक्स एमके II, गाजा पट्टी, वैकल्पिक स्मार्ट वॉल

मेन्स के लिये:

युद्ध क्षेत्र में रोबोट के उपयोग से उत्पन्न चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (IAI) ने रिमोट कंट्रोल आधारित सशस्त्र रोबोट 'रेक्स एमके II’ (REX MK II) का अनावरण किया, जो युद्ध क्षेत्रों में गश्त करने, घुसपैठियों को ट्रैक करने तथा हमला/ फायरिंग करने में सक्षम है।

  • युद्ध क्षेत्र में रोबोट के उपयोग के साथ-साथ इसमें नैतिक दुविधाओं से निपटना शामिल है।
  • समर्थकों का कहना है कि ऐसी अर्द्ध-स्वायत्त मशीनें सेनाओं को अपने सैनिकों की रक्षा करने की अनुमति देती हैं, जबकि आलोचकों को डर है कि यह जीवन-या-मृत्यु का निर्णयन करने वाले रोबोटों की तरफ एक और खतरनाक कदम है।

प्रमुख बिंदु

  • REX MK II के बारे में:
    • यह रोबोट स्थलीय सैनिकों के लिये खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकता है, घायल सैनिकों को ले जा सकता है एवं युद्ध क्षेत्र के अंदर और बाहर रक्षा सामग्री की आपूर्ति कर सकता है तथा आस-पास के लक्ष्यों पर हमला कर सकता है।
    • इज़रायली सेना वर्तमान में गाजा पट्टी के साथ सीमा पर गश्त करने के लिये जगुआर नामक एक छोटे लेकिन उसके अनुरूप वाहनों का उपयोग कर रही है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस सहित अन्य सेनाओं द्वारा मानव रहित स्थलीय वाहनों का तेज़ी से उपयोग किया जा रहा है।
      • उनके कार्यों में लॉजिस्टिक सपोर्ट, खदानों का समापन और हथियारों से फायरिंग करना शामिल है।
      • अमेरिका-मेक्सिको (USA-Mexico Border) सीमा पर भौतिक और सशस्त्र गश्त के विकल्प के तौर पर उन्नत निगरानी तकनीक वाली एक वैकल्पिक स्मार्ट वॉल (Alternative Smart Wall) के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।
  • युद्ध में रोबोट के उपयोग के पक्ष में तर्क:
    • कोई शारीरिक सीमा नहीं: यह स्वतः संचालक (Autonomous) रोबोट है, क्योंकि इसकी मानव शरीर की तरह कोई शारीरिक सीमाएँ नहीं हैं, यह नींद या भोजन के बिना कार्य करने में सक्षम है, उन चीजों को समझ और कर सकता है जिसे लोग नहीं करते हैं और उन तरीकों से आगे बढ़ता है जो मनुष्य नहीं कर सकते।
      • रोबोटिक सेंसर की एक विस्तृत शृंखला मानव संवेदी क्षमताओं की तुलना में युद्ध के मैदानों के अवलोकन हेतु बेहतर ढंग से सुसज्जित है।
    • सेना को परिचालन से संबंधित लाभ: रोबोट के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं: तेज़, सस्ता, बेहतर मिशन संचालक, लंबी दूरी, अधिक दृढ़ता, अधिक सहनशक्ति, उच्च परिशुद्धता; तेज़ी से लक्ष्य से जुड़ना तथा रासायनिक और जैविक हथियारों से सुरक्षित।
    • कठिन परिस्थितियों में कार्य करने की क्षमता: लक्ष्य के पहचान की कम संभावना की स्थिति में रोबोट को खुद को बचाने की ज़रूरत नहीं है।
      • स्वायत्त सशस्त्र रोबोटिक वाहनों (Autonomous Armed Robotic Vehicles) को एक प्रमुख अभियान के रूप में आत्म-संरक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
      • एक कमांडिंग ऑफिसर के आदेश के बिना, यदि आवश्यक हो और उपयुक्त हो, तो उनका उपयोग आत्म-बलिदान (Self-Sacrificing) के रूप में किया जा सकता है।
    • मानव जीवन के नुकसान को कम करना: मानव जीवन के नुकसान को कम करना युद्ध की नैतिकता के मूल सिद्धांतों में से एक है, जिसे रोबोट के उपयोग से पूरा किया जा सकता है।
  • युद्ध में रोबोट के प्रयोग के विरुद्ध तर्क:
    • युद्ध लागत में कमी आना: रोबोट सैनिकों के उपयोग से युद्ध की लागत कम हो जाएगी, जिससे भविष्य के युद्धों की संभावना बढ़ जाएगी।
    • लक्ष्यीकरण में त्रुटियाँ: ऐसे हथियार चिंताजनक हैं क्योंकि लड़ाकों और नागरिकों के बीच अंतर करने या आस-पास के नागरिकों को हमलों से होने वाले नुकसान के बारे में उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
    • युद्ध अभिसमयों की अनदेखी: मशीनें मानव जीवन के मूल्य को नहीं समझ सकती हैं, जो मानव गरिमा को कम करती है और मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन करती है।
    • मशीनों द्वारा अत्याचार करने और युद्ध के बुनियादी नियमों का उल्लंघन करने की आशंका है, जैसे- हेग कन्वेंशन और अन्य घोषणाएँ यह बताती हैं कि युद्ध कैसे लड़ा जाना चाहिये।
    • नियमित जोखिम: अन्य देशों और आतंकवादियों के लिये प्रौद्योगिकी के प्रसार जैसे जोखिम हमेशा बने रहेंगे।
    • साथ ही रोबोटिक मशीनें साइबर-सुरक्षा हमलों या हैकिंग के लिये प्रवृत्त होती हैं और उनका उपयोग उनके ही लोगों के विरुद्ध किया जा सकता है।
  • भारत में सुरक्षा प्रबंधन:
    • CIBMS परियोजना: भारत सरकार ‘व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली’ (CIBMS) परियोजना के माध्यम से तकनीकी समाधान पर ज़ोर दे रही है। इसका उद्देश्य मौजूदा प्रणालियों के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना है, ताकि सीमा पर बेहतर पहचान और अवरोधन की सुविधा प्रदान की जा सके।
    • नेशनल काउंटर रोग ड्रोन दिशा-निर्देश, 2019: इसका उद्देश्य ड्रोन के कारण परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और सैन्य ठिकानों जैसे प्रमुख प्रतिष्ठानों की संभावित सुरक्षा चुनौतियों से निपटना है।
  • आगे की राह
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग आदि द्वारा प्रेरित तकनीकी क्रांति ने उद्योगों और आर्थिक क्षेत्रों में दक्षता, उत्पादकता एवं अनुकूलन बढ़ाने की आवश्यकता को जन्म दिया है।
    • हालाँकि युद्ध में रोबोटिक्स की तैनाती से पहले गहन शोध किये जाने की आवश्यकता है, ताकि कम-से-कम मानवीय नुकसान के साथ अवसरों को अधिकतम किया जा सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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