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शासन व्यवस्था

ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर पुनर्विचार

  • 01 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ई-कॉमर्स नियम- 2021, उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम- 2020, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’

मेन्स के लिये:

ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नियम- 2021 के प्रमुख प्रावधान

चर्चा में क्यों?

उद्योगों और सरकार के कुछ वर्गों की आलोचना के बीच उपभोक्ता मामलों का विभाग ई-कॉमर्स नियम, 2021 के मसौदे से संबंधित कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार कर रहा है।

  • इससे पहले उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के प्रावधानों को अधिसूचित और प्रभावी बनाया था।
  • इसके अलावा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने अपने ‘ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स’ (ONDC) परियोजना के लिये एक सलाहकार समिति नियुक्त करने के आदेश जारी किये हैं, जिसका उद्देश्य "डिजिटल एकाधिकार" को रोकना है।
    • यह ई-कॉमर्स प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने की दिशा में बढ़ रहा है, इस प्रकार एक ऐसा मंच तैयार किया जा रहा है जिसका उपयोग सभी ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं द्वारा किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • ड्राफ्ट ई-कॉमर्स नियम 2021 के प्रमुख प्रावधान:
    • अनिवार्य पंजीकरण: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के साथ ई-कॉमर्स संस्थाओं के लिये अनिवार्य पंजीकरण कराना आवश्यक है।
      • ई-कॉमर्स इकाई का मतलब ऐसे व्यक्तियों से है जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के लिये डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक सुविधा या प्लेटफॉर्म के मालिक हैं, उसका संचालन या प्रबंधन करते हैं।
    • फ्लैश बिक्री सीमित करना: पारंपरिक ई-कॉमर्स फ्लैश बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। केवल विशिष्ट ‘फ्लैश’ बिक्री या ‘बैक-टू-बैक’ बिक्री की अनुमति नहीं है जो ग्राहक की पसंद को सीमित करती है, कीमतों में वृद्धि करती है और एक समान प्रतिस्पर्द्धा पर रोक लगाती है।
    • अनुपालन अधिकारी: ई-कॉमर्स साइटों को मुख्य अनुपालन अधिकारी (CCO) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चौबीसों घंटे समन्वय हेतु एक व्यक्ति की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिये भी निर्देशित किया जाता है।
    • संबंधित पक्षों को प्रतिबंधित करना: पक्षपातपूर्ण व्यवहार की बढ़ती चिंताओं के समाधान हेतु नए नियमों में यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि किसी भी संबंधित पक्ष को 'अनुचित लाभ' के लिये किसी भी उपभोक्ता जानकारी (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से) का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
    • मूल देश हेतु शर्त: संस्थाओं को अपने मूल देश के आधार पर माल की पहचान करनी होगी और ग्राहकों के लिये खरीदारी से पूर्व चरण में एक पारदर्शी तंत्र स्थापित करना होगा।
      • घरेलू विक्रेताओं को "उचित अवसर" प्रदान करने हेतु आयातित सामानों के विकल्प भी पेश करने होंगे।
    • साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की रिपोर्ट करना: सभी ई-कॉमर्स संस्थाओं को साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों सहित कानून के उल्लंघन की जांँच करने वाली अधिकृत सरकारी एजेंसी द्वारा किये गए किसी भी अनुरोध पर 72 घंटों के भीतर जानकारी प्रदान करनी होगी।
  • ड्राफ्ट नियमों से संबंधित प्रमुख मुद्दे:
    • 'संबंधित पार्टी' की परिभाषा: मसौदा नियम में कहा गया है कि किसी भी ई-कॉमर्स इकाई की संबंधित पार्टियों को सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री हेतु विक्रेता के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है।
      • 'संबंधित पार्टी' की इस "व्यापक परिभाषा" में संभावित रूप से सभी संस्थाएंँ शामिल हो सकती हैं जैसे कि रसद, किसी भी संयुक्त उद्यम आदि में शामिल।
      • इसके कारण न केवल अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी विदेशी कंपनियों के लिये बल्कि घरेलू कंपनियों के लिये भी अपने विभिन्न ब्रांडों जैसे 1mg, नेटमेड्स, अर्बन लैडर आदि को अपने सुपर-एप्स पर बेचना मुश्किल होगा।
    • निवर्तन (Fall-back) देयता पर मुद्दा: उद्योग के खिलाड़ियों ने तर्क दिया है कि एक तरफ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश  (Foreign Direct Investment- FDI) नीति अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर बेची गई सूची पर नियंत्रण रखने से रोकती है।
      • दूसरी ओर नियमों ने निवर्तन देयता की अवधारणा को पेश किया जो ई-कॉमर्स फर्मों को उत्तरदायी बनाती है, यदि कोई विक्रेता अपने प्लेटफॉर्म पर लापरवाह आचरण के कारण सामान या सेवाएँ देने में विफल रहता है जिससे ग्राहक को नुकसान होता है।
    • अधिकार क्षेत्र से बाहर: नीति आयोग ने चिंता जताई है कि मसौदा नियमों में कई प्रावधान उपभोक्ता संरक्षण के दायरे से बाहर थे।
      • यह उपभोक्ता मामलों के विभाग की "ओवररीच" की धारणा को प्रदर्शित करता है।
    • कड़े नियमों का मामला: कुछ प्रस्तावित प्रावधान जैसे- अनुपालन अधिकारी होना, कानून प्रवर्तन अनुरोधों का पालन करना आदि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ) नियम, 2021 के नक्शेकदम (Footsteps) पर चलते हैं।
      • इन IT नियमों को कई उच्च न्यायालयों में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
      • इस प्रकार के नियम सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर अधिक-से-अधिक निरीक्षण करने की  सरकार की बढ़ती इच्छा को दर्शाते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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