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खाद्य उपभोग पर रिपोर्ट: डब्ल्यूडब्ल्यूएफ

  • 19 Oct 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड, बेंडिंग कर्व: द रिस्टोरेटिव पावर ऑफ प्लेनेट-बेस्ड डाइट्स रिपोर्ट

मेन्स के लिये: 

खाद्य उपभोग पैटर्न और पर्यावरणीय क्षति 

चर्चा में क्यों? 

9 अक्तूबर, 2020 को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (World Wildlife Fund) द्वारा ‘बेंडिंग कर्व: द रिस्टोरेटिव पावर ऑफ प्लेनेट-बेस्ड डाइट्स’ (Bending the Curve: The Restorative Power of Planet-Based Diets) नामक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। 

रिपोर्ट सर्वेक्षण: 

  • इस रिपोर्ट में 147 देशों और 6 क्षेत्रों में खाद्य उपभोग के पैटर्न और 75 देशों के राष्ट्रीय दैनिक आहार दिशा-निर्देश (National Dietary Guidelines- NDGs) का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसमें प्रत्येक देश और क्षेत्र के लिये विभिन्न पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य संकेतकों पर आहार के प्रभावों का मूल्यांकन किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व में खाद्य उपभोग के पैटर्न व्यापक रूप से भिन्न होते हैं और इनमें बड़े पैमाने पर असमानता पाई जाती है। 
    • सबसे अमीर एवं सबसे गरीब देशों में विभिन्न खाद्य उपभोग पैटर्न देखे जाते हैं। जैसे- यूरोपीय देशों (1,800 ग्राम/दिन) में अफ्रीकी देशों (1,200 ग्राम/दिन) की तुलना में प्रतिदिन लगभग 600 ग्राम अधिक भोजन ग्रहण किया जाता है। 
    • हालाँकि अल्पपोषण और मोटापा लगभग सभी देशों को प्रभावित करता है। अन्य देशों की तुलना में सबसे गरीब देशों में कम वजन वाले लोगों की दर 10 गुना अधिक है। 
    • जबकि सबसे अमीर देशों में अधिक वजन/मोटापे से ग्रस्त लोगों की दर 5 गुना तक अधिक है।

प्रमुख चिंताएँ:

  • कम एवं मध्यम आय वाले देशों में समय से पहले मृत्यु (Premature Deaths) का कारण अस्वास्थ्यकर आहार, न्यूनतम उपभोग के साथ-साथ अधिकतम उपभोग है।
  • भारत को खाद्य में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाने में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि ‘हेल्थियर एंड प्लैनेट-फ्रेंडली डाईट’ (Healthier and Planet-Friendly Diet)  में बदलाव और बड़े पैमाने पर उपभोग में हुई वृद्धि के कारण जैव विविधता में कमी देखी जा रही है।
    • देश को अपनी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये फलों, सब्जियों और डेयरी उत्पादों की खपत बढ़ानी होगी।

सुझाव:  

  • इस क्षेत्र में संतुलन बनाने की आवश्यकता है कि देश अपने भोजन के साथ-साथ प्लांट -बेस्ड डाईट (Plant-based Diet) की ओर शिफ्ट हो जाएँ, जो समय की आवश्यकता है।
    • हालाँकि आहार में यह परिवर्तन विभिन्न देशों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगा। 
      • कुछ देशों को पशु-स्रोत खाद्य पदार्थों (Animal-source Foods) की अपनी खपत को कम करने की आवश्यकता होगी, तो दूसरी ओर कुछ देशों को उन्हें बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
  • आहार को लेकर यह स्थानान्तरण न केवल किसी भी भोजन के अधिक उपभोग को रोककर मानव स्वास्थ्य में सुधार करेगा बल्कि अब तक हुई जैविक क्षति को भी सकारात्मक रूप से परिवर्तित कर देगा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में सुधार करेगा।
    • अधिक प्लांट-बेस्ड आहारों में बदलाव से कार्बन उत्सर्जन में 30%, वन्यजीवों की हानि में 46%, कृषि भूमि के उपयोग में 41% और अकाल मृत्यु में 20% की कमी आएगी।
  • एक संधारणीय पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य जीवन शैली में बदलाव द्वारा प्राप्त किया जा सकता है जिसमें निम्नलिखित खाद्य पदार्थ शामिल हैं:
    • अधिक धारणीय आहार 
    • अधिक प्लांट-बेस्ड फूड और कम एनिमल-बेस्ड फूड 
    • स्वस्थ एवं स्थानीय रूप से विकसित और न्यूनतम संसाधित आहार
    • आहार में एकात्मकता के बजाय अधिक विविधता
  • भारत सहित विश्व के अनेक देशों को केवल घरेलू उत्पादन पर निर्भर नहीं होना चाहिये। 
  • जैव विविधता संपन्न देशों को अधिक उपज एवं कम जैव विविधता वाले राष्ट्रों से भोजन आयात करना चाहिये।

प्लैनेट-बेस्ड डाईट्स इम्पैक्ट एंड एक्शन कैलकुलेटर

(Planet-Based Diets Impact and Action Calculator):

  • WWF ने एक नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसे ‘प्लैनेट-बेस्ड डाइट्स इम्पैक्ट एंड एक्शन कैलकुलेटर’ (Planet-Based Diets Impact and Action Calculator) के नाम से जाना जाता है।
    • इससे कोई भी अपने उपभोग की गणना कर सकता है और पर्यावरण पर उनके आहार से होने वाले प्रभाव का पता लगा सकता है।
  • यह प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय स्तर के प्रभावों को भी दर्शाता है। 
  • यह दुनिया में कहीं भी रहने वाले लोगों को यह पता लगाने में मदद करेगा कि क्या उनका आहार उनके साथ-साथ उनके पर्यावरण के लिये भी अच्छा है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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