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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

INSTC कॉरिडोर और चाबहार बंदरगाह

  • 10 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारत ने चाबहार बंदरगाह को 13 देशों के ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर’ (INSTC) में शामिल करने की मंशा व्यक्त की है और ‘मैरीटाइम इंडिया समिट’ के दौरान चाबहार दिवस समारोह में INSTC सदस्यता का विस्तार करने के लिये अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से इसमें शामिल होने का आग्रह किया गया। 

  • इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान, आर्मेनिया, ईरान, कज़ाखस्तान, रूस और उज़्बेकिस्तान के अवसंरचना क्षेत्र से संबंधित मंत्रियों सहित कई क्षेत्रीय अधिकारियों ने भाग लिया।

प्रमुख बिंदु:

भारत का प्रस्ताव:

  • INSTC जो कि ईरान के सबसे बड़े बंदरगाह बंदर अब्बास से होकर गुज़रता है, में चाबहार बंदरगाह  को शामिल करने का  प्रस्ताव भारत ने रखा है तथा कहा है कि काबुल (अफगानिस्तान) और ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में भूमि मार्ग के माध्यम से INSTC के "पूर्वी गलियारे" का निर्माण होगा।
    • चाबहार को INSTC में शामिल करने के लिये भारत का यह प्रस्ताव, अमेरिका द्वारा संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (Joint Comprehensive Plan Of Action-JCPOA) परमाणु समझौते पर ईरान के साथ वार्ता की स्थिति बहाल करने और कुछ प्रतिबंधों में संभावित ढील को ध्यान में रखकर भी दिया गया है।
  • अफगानिस्तान के माध्यम से एक पूर्वी गलियारे की स्थापना इसकी क्षमता में वृद्धि करेगी।
    • भारत ने अफगानिस्तान और ईरान को मानवीय सहायता, आपातकालीन आपूर्ति और व्यापार के अवसरों में वृद्धि करने के मामले में हाल के वर्षों में चाबहार की भूमिका पर प्रकाश डाला।

चाबहार बंदरगाह:

  • अवस्थिति:
    • यह ओमान की खाड़ी पर स्थित है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से केवल 72 किमी. दूर है, जिसे चीन द्वारा विकसित किया गया है।

India-to-Chabahar

अन्य तथ्य:

  • यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी हिंद महासागर तक सीधी पहुँच है और इसमें दो अलग-अलग बंदरगाह हैं- जिनका नाम शाहिद बेहिश्ती और शाहिद कलंतरी है।
  • अफगानिस्तान, ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और वर्ष 2016 में एक त्रिपक्षीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिये त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।

महत्त्व:

  • भारत के संदर्भ में:
    • संपर्क:
      • यह भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशियाई राज्यों से कनेक्टिविटी बढ़ाने की एक महत्त्वपूर्ण योजना है।
    • चीन और पाकिस्तान को प्रत्युत्तर:
      • यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार के लिये एक स्थायी वैकल्पिक मार्ग खोलता है, क्योंकि पाकिस्तान मुख्य मार्ग में बाधाएँ उत्पन्न करता है।
      • चीन और पाकिस्तान ‘चीन पाक आर्थिक गलियारे’ (CPEC) तथा ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से आर्थिक एवं व्यापार सहयोग बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, पाकिस्तान चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) का भी हिस्सा है।
    • इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक भाग: चाबहार बंदरगाह भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक प्रमुख भाग है जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र के साथ यूरेशिया भी शामिल है।
  • अफगानिस्तान के संदर्भ में:
    • यह बुनियादी ढाँचे और शिक्षा परियोजनाओं के माध्यम से अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका को सुविधाजनक बनाएगा।
  • मध्य एशियाई देशों के संदर्भ में:
    • मध्य एशियाई देश जैसे- कज़ाखस्तान, उज़्बेकिस्तान भी चाबहार बंदरगाह को हिंद महासागर क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में देखते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC):

  • यह सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर, 2000 को स्थापित एक बहु-मॉडल परिवहन परियोजना है।
    • INSTC में ग्यारह नए सदस्यों को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया - अज़रबैजान गणराज्य, आर्मेनिया गणराज्य, कज़ाखस्तान गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्की गणराज्य, यूक्रेन गणराज्य, बेलारूस गणराज्य, ओमान, सीरिया और बुल्गारिया (पर्यवेक्षक)।
  • यह माल परिवहन के लिये जहाज़, रेल और सड़क मार्ग के 7,200 किलोमीटर लंबे मल्टी-मोड नेटवर्क को लागू करता है, जिसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच परिवहन लागत को लगभग 30% कम करना तथा पारगमन समय को 40 दिनों के आधे से अधिक कम करना है।
  • यह कॉरिडोर इस्लामिक गणराज्य ईरान के माध्यम से हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।

Saint-petersburg

स्रोत- द हिंदू

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