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डेली न्यूज़

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 5 जून, 2018

  • 05 Jun 2018
  • 12 min read

‘अग्नि-5’ मिसाइल

3 जून, 2018 को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO) ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह एक स्वदेशी मिसाइल है।

  • डीआरडीओ ने बंगाल की खाड़ी में अब्दुल कलाम द्वीप पर एकीकृत परीक्षण रेंज (Integrated Test Range) के लॉन्च पैड-4 से मोबाइल लॉन्चर की मदद से इसे प्रक्षेपित किया।
  • यह अग्नि-5 का छठा सफल परीक्षण था। इससे पहले 18 जनवरी 2018 को यह परीक्षण किया गया था।

विशेषताएँ

  • मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर।
  • एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम।
  • एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम।
  • ऊँचाई 17 मीटर, व्यास 2 मीटर, वज़न 20 टन एवं डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम।
  • ध्वनि की गति से 24 गुना तेज़।

अग्नि मिसाइल श्रृंखला की दूसरी अन्य मिसाइलों के विपरीत, अग्नि-5 नेविगेशन, गाइडेंस, वॉरहैड और इंजन के संदर्भ में नई प्रौद्योगिकियों के साथ सबसे उन्नत मिसाइल है।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

केंद्रीय रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana -PMBJP) के त‍हत पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी  नैपकिन (Oxo-biodegradable Sanitary Napkin) ‘जनऔषधि सुविधा’ (JANAUSHADHI SUVIDHA) की शुरूआत की गई। अब किफायती सैनिटरी नैपकिन देश भर में 33 राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 3600 से अधिक जनऔषधि केंद्रों पर उपलब्‍ध होगा। 

  • यह विशिष्‍ट उत्‍पाद किफायती और सुविधाजनक होने के साथ-साथ नष्‍ट करने में भी आसान है। इस उत्‍पाद से स्‍वच्‍छता, स्‍वास्‍थ्‍य और सुविधा सुनिश्चित होगी।
  • बाजार में उपलब्‍ध सैनिटरी नैपकिन की कीमत 8 रुपए प्रति पैड है, जबकि सुविधा नैपकिन 2 रुपए 50 पैसे का है। यह महिलाओं की व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता सुनिश्चित करेगा।
  • भारत में महिलाओं की स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद महत्त्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि अभी भी महिलाएँ बाज़ार में उपलब्‍ध बड़े ब्रांडों की सैनिटरी नैपकिन की पहुँच से दूर हैं। महावारी के समय अस्‍वच्‍छ तौर-तरीके अपनाने की वज़ह से महिलाएँ कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं।
  • राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 15 से 24 वर्ष आयु की महिलाएँ स्‍थानीय तरीके से बनाई गई सैनिटरी नैपकिन का इस्‍तेमाल करती हैं, जबकि शहरों में 78 फीसदी महिलाएँ स्‍वच्‍छ तरीकों का इस्‍तेमाल करती हैं। गाँवों में केवल 48 फीसदी महिलाओं की पहुँच सैनिटरी नैपकिन तक है।

दो दिवसीय राज्‍यपाल सम्‍मेलन

4 जून, 2018 को राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के उद्घाटन संबोधन के साथ दो दिवसीय राज्‍यपाल और उप-राज्‍यपाल सम्‍मेलन शुरू हुआ। यह राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित होने वाला 49वाँ सम्‍मेलन है और राष्‍ट्रपति श्री कोविंद की अध्‍यक्षता में दूसरा सम्‍मेलन है।

  • शासन प्रणाली में राज्‍यपाल के पद की विशेष गरिमा है। राज्‍य सरकार में राज्‍यपाल की भूमिका संरक्षक और मार्गदर्शक की होती है और वे संघीय ढाँचे में महत्त्‍वपूर्ण कड़ी हैं। राज्‍य के लोग राज्‍यपाल के कार्यालय और राजभवन को आदर्श एवं मूल्‍यों के स्रोत के रूप में देखते हैं।
  • हमारे देश में अनुसूचित जनजातियों की लगभग दस करोड़ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, भारतीय संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में रहता है। राज्‍यपाल विकास की दृष्टि से अपेक्षाकृत पीछे रह गए इन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में उचित मदद कर सकते हैं। 
  • हमारे देश के सभी विश्‍वविद्यालयों में से 69 प्रतिशत राज्‍य सरकार के नियंत्रण में हैं। इन विश्‍वविद्यालयों के छात्रों में से लगभग 94 प्रतिशत उच्‍च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। राज्‍यपाल इनमें से अधिकतर विश्‍वविद्यालयों के कुलपति हैं।
  • राज्‍यपाल अपने पद, अधिकार और अनुभव से शिक्षा का स्तर सुधारने के लिये आवश्‍यक मार्ग-दर्शन और प्रेरणा देते हैं। अपने कार्यालय और सार्वजनिक जीवन के समृद्ध अनुभव के कारण राज्‍यपाल इस ज़िम्‍मेदारी को उठाने के लिये आदर्श हैं।
  • राज्‍यपाल राज्यों के विश्वविद्यालयों में समय पर पारदर्शी तरीके से विद्यार्थियों के दाखिले तथा अध्यापकों की नियुक्तियाँ सुनिश्चित कर सकते हैं। वे नियत समय पर परीक्षाओं, परिणामों की घोषणा तथा दीक्षांत समारोहों के आयोजन सुनिश्चित कर सकते हैं। उन पर इस अनुशासन और अखंडता को कायम रखने के लिये राज्‍य के विश्‍वविद्यालयों को प्रेरित करने की ज़िम्‍मेदारी है।

2018 के दो दिवसीय सम्‍मेलन में विभिन्‍न सत्रों में महत्त्‍वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी। इनमें भारत सरकार के महत्त्‍वपूर्ण कार्यक्रम और आंतरिक सुरक्षा की जानकारी तथा प्रस्‍तुति; राज्‍य के विश्‍वविद्यालयों में उच्‍च शिक्षा; रोज़गार के लिये कौशल विकास; 48वें राज्‍यपाल सम्‍मेलन में गठित राज्‍यपालों की समिति की रिपोर्ट पर उठाए गए कदम और महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह शामिल हैं।

  • केंद्रशासित प्रदेशों पर 5 जून, 2018 को विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उप-राज्‍यपाल/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासक विभिन्‍न महत्त्‍वपूर्ण कार्यक्रमों के क्रियान्‍वयन की स्थिति पर चर्चा करेंगे।
  • इस सम्‍मेलन में सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्‍यपाल और उप-राज्‍यपाल के अतिरिक्‍त उप-राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, विदेश मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री, संस्‍कृति राज्‍य मंत्री और नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष तथा मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं विभिन्‍न मंत्रालयों के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भाग लिया।  

डब्ल्यूटीओ का अनौपचारिक सम्मेलन
(Informal gathering of WTO)

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने 31 मई, 2018 को पेरिस में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंत्रियों के अनौपचारिक सम्मेलन में भाग लिया। डब्ल्यूटीओ के 28 सदस्य देशों और डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक ने इस अनौपचारिक सम्मेलन में भाग लिया।

  • इस सम्मेलन में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने ई-कॉमर्स सहित डब्ल्यूटीओ में निवेश संबंधी सुविधा जैसे नए मुद्दों के विषय में भारत की आपत्ति को रेखांकित किया। साथ ही डब्ल्यूटीओ के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिये आपस में मिलकर तेज़ी से काम करने पर भी विशेष ज़ो़र दिया।
  • वस्तुतः इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिये डब्लूटीओ को विभिन्न वार्ताओं और प्रक्रियाओं में आम सहमति एवं विकास की केंद्रीयता के आधार पर समावेश या समग्रता व निर्णय लेने के बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखने पर बल देना होगा।
  • बिना किसी अपवाद के सभी विकासशील देशों और एलडीसी के लिये किये गए विशेष एवं पृथक् प्रावधान डब्ल्यूटीओ समझौतों का एक अभिन्न अंग है, ऐसे में भावी समझौतों में भी इस सिद्धांत का संरक्षण किया जाना चाहिये।

डब्ल्यूटीओ

  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) एक ऐसी संस्था है जो विश्व व्यापार के लिये दिशा-निर्देश जारी करती है तथा नए व्यापार समझौतों में बदलाव और उन्हें लागू कराने के लिये उत्तरदायी है।
  • भारत भी इसका एक सदस्य देश है। कुल 164 देश इसके सदस्य हैं और चीन इसमें 2001 में शामिल हुआ था।
  • डब्ल्यूटीओ की सबसे बड़ी संस्था मंत्रिस्तरीय परिषद (Ministerial Conference) है, जो प्रत्येक दो वर्ष में अन्य कार्यों के साथ संस्था के महासचिव और मुख्य प्रबंधकर्त्ता का चुनाव करती है। 
  • साथ ही यह सामान्य परिषद (General Council) का काम भी देखती है, जो कि विभिन्न देशों के राजनयिकों से मिलकर बनती है और संस्था के प्रतिदिन के कामों को देखती है। इसमें होने वाले फैसलों को लागू कराने के लिये सभी सदस्य देशों के हस्ताक्षर ज़रूरी हैं।
  • विदित हो कि विश्व के सभी देशों को व्यापार के लिये एक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1948 में बनाए गए गैट (General Agreement on Tarrifs & Trade-GATT) के स्थान पर 1 जनवरी, 1995 को डब्ल्यूटीओ की स्थापना हुई थी।
  • डब्ल्यूटीओ को बनने में काफी समय लगा और 1986 से 1994 तक चले उरुग्वे वार्ताओं के लंबे दौर के बाद ही इसकी स्थापना संभव हो पाई। डब्लयूटीओ का मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
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