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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 5 जनवरी, 2018

  • 05 Jan 2018
  • 14 min read

अरुणाचल में गुलमेहंदी की चार और नई प्रजातियाँ पाई गई

पिछले वर्ष पूर्वी हिमालय में गुलमेहंदी की नई प्रजातियाँ खोजी गयी थी एक बार फिर से केरल स्थित कालीकट विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा गुलमेहंदी की चार नईं प्रजातियाँ खोजी गई है। 

  • स्लोवाकिया के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) तथा वनस्पति वर्गीकरण विज्ञान हेतु अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएशन (International Association for Plant Taxonomy) के सहयोग से परिशोध करते हुए शोधकर्त्ताओं की टीम द्वारा इन प्रजातियों की खोज की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • ये प्रजातियाँ पूर्वी हिमालय, श्रीलंका, पश्चिमी घाट, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका तथा मेडागास्कर तक फैली हुई है। 
  • इनके जीन का वैज्ञानिक नाम इम्पेशेंस (Impatiens) रखा गया है, चूँकि इसके फल अपने नाम के अनुरूप ही व्यवहार करते हैं और छूने पर फट जाते हैं।
  • ये प्रजातियाँ विविध रंगों वाली होती हैं और व्यवहार के अनुरूप, आमतौर पर इन्हें छुई-मुई कहा जाता है।  
  • इस शोध पत्र को इंटरनेशनल जर्नल फाइटोटाक्सा (Phytotaxa)और वेब्बीया (Webbia)में प्रकाशित किया गया है। 
  • अरुणाचल प्रदेश के स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व वैज्ञानिक हरीदासन के नाम पर इनका नाम हरीदासन इम्पेशेंस (Impatiens Haridasanii) रखा गया है। 

बौद्ध संत भन्ते कुशोक बाकुला रिनपोचे

20 दिसंबर, 2017 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में दूरदर्शी बौद्ध संत भन्ते कुशोक बाकुला रिनपोचे पर एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।

  • इस प्रदर्शनी का आयोजन आधुनिक लद्दाख के निर्माता भन्ते कुशोक बाकुला की जन्म शताब्दी के अवसर पर किया गया इस आयोजन का संचालन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की पूर्व एशिया कार्यक्रम इकाई द्वारा किया गया। 
  • भन्ते बाकुला रिनपोचे सक्रिय भिक्षु थे। उन्होंने शांति के लिये कार्य किया और विश्व के विभिन्न भागों में भगवान बुद्ध की शिक्षा का प्रसार किया।
  • भन्ते रिनपोचे विश्व शांति, पर्यावरण संरक्षण तथा अंतर-मत संवाद के लिये काम करने वाले अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े रहे। 
  • भन्ते रिनपोचे एक धार्मिक गुरु और महान समाज सुधारक थे। 

संकल्प एवं स्ट्राइव योजना

स्ट्राइव योजना

भारत सरकार द्वारा ‘औद्योगिक मूल्‍य संवर्धन परिचालन के लिये कौशल सुदृढ़ीकरण (स्‍ट्राइव) परियोजना’ हेतु 125 मिलियन अमेरिकी डॉलर (समतुल्‍य) के आई.डी.ए. ऋण हेतु विश्‍व बैंक के साथ एक वित्त पोषण समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गए।

उद्देश्‍य

⇒ इस परिचालन का उद्देश्‍य गुणवत्‍तापूर्ण एवं बाज़ार की मांग के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना है।
⇒ इस परियोजना के परिणाम क्षेत्रों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों का बढ़िया प्रदर्शन, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों एवं अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण हेतु सहायता के लिये राज्‍य सरकारों की बेहतर क्षमता, उत्‍कृष्‍ट शिक्षण एवं ज्ञान प्राप्ति और बेहतर एवं विस्तृत प्रशिक्षु (अप्रेंटिसशिप) प्रशिक्षण शामिल हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस परियोजना की समापन तिथि 30 नवम्‍बर, 2022 निर्धारित की गई है।
  • इस योजना का पूरा नाम Skill Strengthening for Industrial Value Enhancement-STRIVE है।
  • 2,200 करोड़ रुपए की केंद्र प्रायोजित योजना ‘स्ट्राइव’ के लिये विश्व बैंक द्वारा आधी राशि ऋण सहायता के रूप में दी जाएगी। 
  • इस योजना में आईटीआई के कार्य निष्पादन में संपूर्ण सुधार को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है। 

संकल्प परियोजना 

4,455 करोड़ रुपए की केंद्र प्रायोजित योजना संकल्प (पूरा नाम Skills Acquisition and Knowledge Awareness for Livelihood Promotion-SANKALP) में विश्व बैंक द्वारा 3,300 करोड़ रुपए की ऋण सहायता शामिल है।

उद्देश्य

  • संकल्प का उद्देश्य महिलाओं, अजा./अजजा. और दिव्यांगों सहित हाशिये पर पड़े समुदायों को बड़े पैमाने पर दक्षता प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करना है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • संकल्प योजना में प्रशिक्षकों एवं मूल्यांकनकर्त्ता अकादमियों के स्वत: धारणीय (Self Sustainable) मॉडलों की स्थापना पर विचार किया जाएगा। 
  • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 50 से अधिक ऐसी अकादमियों की स्थापना किये जाने की आवश्यकता है। 

इन दोनों योजनाओं में क्या विशेष है?

  • यह संरचना भारत में व्यावसायिक इतिहास में पहली बार विभिन्न केंद्रीय, राज्य और निजी क्षेत्र के संस्थानों पर ध्यान देगी, जिसके फलस्वरूप गतिविधियों का दोहराव नहीं होगा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण में एकरूपता आने से इसका बेहतर प्रभाव होगा।
  • इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य दक्षता विकास मिशन, राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम, क्षेत्रीय दक्षता परिषद, आईटीआई और राष्ट्रीय दक्षता विकास एजेंसी आदि जैसी संस्थाओं के दक्षता विकास प्रशिक्षण की गुणवत्ता के लिये सुदृढ़ पद्धति का विकास करना है।
  • ये योजनाएँ राष्ट्रीय गुणवत्ता एश्योरेंस फ्रेमवर्क सहित राष्ट्रीय दक्षता अर्हता फ्रेमवर्क के केंद्र एवं राज्य सरकारों की दक्षता विकास योजनाओं के सापेक्ष इनके वैश्वीकरण को सहायता प्रदान करेंगी और इस प्रकार दक्षता, विषय-वस्तु एवं उत्पाद के मानकीकरण को सुनिश्चित किया जाएगा।
  • ये योजनाएँ राष्ट्रीय दक्षता विकास मिशन 2015 और इसके विभिन्न उप-मिशनों को अपेक्षित महत्त्व प्रदान करेंगी।
  • ये योजनाएँ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्वच्छता अभियान’ जैसे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के अनुरूप हैं और इनका उद्देश्य घरेलू एवं विदेशी आवश्यकताओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धी कार्यबल को विकसित करना है।
  • 700 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान महत्त्वाकांक्षा रखने वाले लाखों लोगों को रोज़गार उन्मुख दक्षता प्रशिक्षण देने के लिये स्थापित किये जा रहे हैं।
  • चुने हुए क्षेत्रों एवं भौगोलिक स्थानों पर ऐसे संस्थानों की स्थापना हेतु प्रस्तावों का चयन करने के लिये नवाचार चुनौती निधि मॉडल को लागू किया गया है।
  • देश भर में 500 आईटीआई को मॉडल आईटीआई के रूप में प्रोन्नत करके तथा उनकी उद्योग सम्बद्धता पर विचार किया जा रहा है, जिनमें ऑनलाइन परीक्षा, केंद्रीकृत दाखिला, दक्षता में सुधार और प्रणाली में पारदर्शिता जैसे सुधारों का उपयोग किया जाएगा।
  • ये योजनाएँ दक्षता के विकास में प्रणाली के माहौल को अनुकूल बनाएंगी और उद्योगों को दक्षता प्राप्त कार्यबल की सतत् आपूर्ति द्वारा देश के ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ सूचकांक में वृद्धि करेंगी।
  • बेहतर उद्योग संबंध और गुणवत्ता विश्वास के माध्यम से ये योजनाएँ दक्षता विकास कार्यक्रमों के प्रति आकांक्षाओं के महत्त्व की दिशा में भी काम करेंगी।

पहली डिजिटल ऑनलाइन ऑन्‍कोलॉजी ट्यूटोरियल सीरिज़

स्‍वास्थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने स्‍वास्थ्‍य मंत्रालय के सहयोग से टाटा मैमोरियल सेन्‍टर (Tata Memorial Center) द्वारा डिज़ाइन की गई देश की पहली डिजिटल ऑनलाइन ऑन्कोलॉजी ट्यूटोरियल सीरिज़ (Online Oncology Tutorial Series) को लॉन्च किया है।

उद्देश्‍य

  • ऑन्कोलॉजी ट्यूटोरियल सीरिज़ का उद्देश्‍य देश भर के डॉक्‍टरों को विभिन्‍न तरह की कैंसर बीमारी की जल्‍द पहचान करने, रोकथाम, दर्द में कमी लाने, पुनर्वास तथा उपचार के बारे में प्रशिक्षित और शिक्षित करना है। 
  • राज्‍य सरकारों के सहयोग से देश भर में टाटा मैमोरियल सेन्‍टर द्वारा चलाया जाएगा।

लाभ

  • यह दूरदर्शी कदम है, जो देश में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को मज़बूत बनाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएगा। इससे डॉक्‍टरों को नियमित रूप से अपना ज्ञान और कौशल बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • इससे अनेक लोगों की जान बचाई जा सकेगी और जीवन की गुणवत्‍ता बढ़ाई जा सकेगी। 
  • भारत सरकार के डिजिटल भारत कार्यक्रम के अंतर्गत स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय तथा टाटा मैमोरियल सेन्‍टर (भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत सहायता अनुदान प्राप्‍त कैंसर सेन्‍टर) की इस पहल से लाखों डॉक्‍टरों तक पहुँच बनाने में सफलता हासिल होगी, विशेषकर उनसे जिनके पास शारीरिक रूप से सम्‍मेलनों, सीएमई में भाग लेने का समय नहीं है।

महत्त्वपूर्ण विशेषाएँ

  • यह पाठ्यक्रम फिजिशियनों, स्‍त्री रोग विशेषज्ञों, दाँत के डॉक्‍टरों और स्‍वास्थ्‍य सेवा के ऐसे पेशेवर लोगों के लिये है, जो ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट नहीं है, लेकिन कैंसर का शीघ्र पता लगाने और उपचार में महत्त्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 
  • उन्‍हें ऑन्‍कोलॉजी की बुनियादी बातों के संबंध में आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाएगा, ताकि वे बीमार व्यक्ति को आगे रेफर कर सकें। 
  • इसके तहत ऑनलाइन वीडियो लेक्‍चर तैयार किये गए है, ताकि साक्ष्‍य आधारित दिशा-निर्देशों तथा कैंसर प्रबंधन कौशल के साथ ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट को अद्यतन रखा जा सके।
  • सम्‍पूर्ण पाठ्यक्रम सात सप्‍ताह का है। इसमें कैंसर की विभिन्‍न साइटों तथा सब-साइटों पर आधारित विभिन्‍न मॉड्यूल है। 
  • इसमें 40 वीडियो लेक्‍चर, केस स्‍टडी, मूल्‍यांकन, प्रश्‍नावली तथा टाटा मैमोरियल अस्‍पताल के संबंधित विशेषज्ञ डॉक्‍टरों के साथ इंटरएक्टिव वेबिनार के ज़रिये 14 घंटे का व्‍यापक ई-लर्निंग कार्यक्रम शामिल किया गया है।
  • इस ट्यूटोरियल में सेल्‍फ पेस्‍ड ई-लर्निंग (self-paced e-learning) के साथ ब्‍लेनडेड लर्निंग डिलीवरी मॉडल (blended learning delivery model) और टाटा मैमोरियल अस्‍पताल के विशेषज्ञ डॉक्‍टरों के साथ समय-समय पर हुए वेबिनार इंटरएक्‍शन (periodic webinar interactions) आदि को भी शामिल किया गया है।
  • इसमें निरंतर वैज्ञानिक अद्यनता और एन्‍ड ऑफकोर्स ऑनलाइन एसेसमेंट की भी व्‍यवस्‍था की गई है।
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