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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

प्लास्टिक उद्योग

  • 17 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

सरकार के साथ हाल ही में हुई बैठक में प्लास्टिक निर्माताओं (Plastic manufacturers) ने प्लास्टिक उद्योग में सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमों (Micro, Small, Medium Enterprises-MSMEs) के लिये निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं को शुरू किये जाने का आह्वान किया है।

प्रमुख बिंदु

  • निर्माताओं ने रियायती दरों पर सभी औद्योगिक गलियारों में उपलब्ध भूमि का 25% MSMEs को आवंटित करने की मांग की है।
  • प्लास्टिक उद्योग ने सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत MSMEs के लिये विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे की भी मांग की है, जिसमें भौतिक आधारभूत संरचना, ज्ञान अवसंरचना (knowledge infrastructure), उद्भवन केंद्र (Incubation centres), ई-प्लेटफॉर्म, बी2बी पहुँच और प्रौद्योगिकी एवं MSMEs के लिये नवाचार समर्थन शामिल हैं।
  • प्लास्टिक  उद्योग ने सरकार से MSMEs को ऋण देने को अधिक सुविधाजनक बनाने की अपील की।
  • इसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वदेशीकरण से उत्पन्न आय पर प्रत्यक्ष कर छूट के साथ-साथ पाँच साल की अवधि के लिये आयात प्रतिस्थापन (Import substitution) छूट की भी मांग की।
  • इसने विदेशों में निर्मित प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनों (Plastic processing machines) पर एंटी-डंपिंग शुल्क (Anti-dumping duty) को हटाने की भी मांग की है।

प्लास्टिक उद्योग की चुनौतियाँ 

  • प्लास्टिक, जो कि कच्चे तेल से उत्पन्न होने वाला बहुलक है, कार्बन की लंबी श्रृंखलाओं से तैयार होता है। यही कारण है कि पूरी तरह से विघटित होने में इसे वर्षों लग जाते हैं।
  • फेंकी हुई प्लास्टिक धीरे-धीरे अपघटित होती है एवं इसके रसायन आसपास के परिवेश में घुलने लगते हैं। यह समय के साथ और छोटे-छोटे घटकों में टूटती जाती है और हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करती है।
  • प्लास्टिक मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी खत्म करता है क्योंकि इसके जलने से जहाँ ज़हरीली गैस निकलती है वहीं यह मिट्टी में पहुँच कर भूमि की उर्वरा शक्ति को नष्ट करता है।
  • एक नए शोध से पता चला है कि भूजल में भी माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है, जो हमारे शरीर को हानि पहुँचाकर कई बीमारियों का शिकार बना सकता है। वातावरण में मौजूद प्लास्टिक टूटकर माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है। यह माइक्रोप्लास्टिक समुद्री जीवों की आँत और गलफड़ों में जमा हो जाता है और उनके जीवन के लिये खतरा पैदा करता है।
  • पॉली विनाइल क्लोराइड (Poly Vinyl Chloride-PVC), पॉलीप्रोपाइलीन (Polypropylene-PP), पॉलीइथिलीन (Polyethylene-PE) जैसे कच्चे माल की उपलब्धता।
  • प्लास्टिक प्रोसेसर (plastic processors) द्वारा आयातित मशीनरी पर एंटी डंपिंग ड्यूटी।

सुझाव

  • बायो-प्लास्टिक्स का उत्पादन करना, जो बायोमास जैसे नवीकरणीय पदार्थों से तैयार किया जाता है।
  • देश में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना।

स्रोत: द हिंदू

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