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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में होगा भुगतान से संबंधित डेटा का संचयन

  • 27 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भुगतान से संबंधित नए निर्देश जारी किये हैं। अब किसी भी प्रकार का डेटा एवं सूचनाएँ, जो भुगतान (Payment transcations) से संबंधित हो, उनका भारत में ही भंडारण किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • इस निर्देश के बाद भुगतान से संबंधित डेटा का भारत में ही संचय किया जाएगा। यदि भुगतान से संबंधित ऐसा कोई डेटा या सूचना देश से बाहर संसाधित हो रहा है, तो उसको भी एक व्यापार दिवस अथवा 24 घंटे, जो भी पहले हो, के भीतर भारत में वापस लाया जाएगा तथा संसाधित स्रोत पर उसे नष्ट करना भी ज़रुरी होगा।
  • भुगतान सेवा प्रदाता कंपनियाँ निर्बाध डेटा प्रवाह के पक्ष में है तथा इसके लिये पैरवी भी कर रहीं है। उनका तर्क है कि यह उपभोक्ताओं के हितों में है।
  • सरकार डेटा मिर्ररिंग (Data Mirroring) द्वारा आसानी से डेटा-स्थानीयकरण (Data Localisation) को आगे बढ़ा रही है लेकिन इससे संबंधित सरकार की नीति इस बजट सत्र में आने वाले डेटा संरक्षण विधेयक के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
  • हालाँकि RBI का कहना है कि भारत में ही डेटा के संचयन के बावज़ूद कंपनियाँ उपभोक्ता से संबंधित विवादों को सुलझाने में डेटा का उपयोग कर सकती है। साथ ही यदि भुगतान अंतर्देशीय है, तो ऐसे डाटा की एक प्रति देश से बाहर भी रखी जा सकती है। यदि आवश्यक होगा तो ऐसे डेटा को RBI की सहमती के पश्चात् विदेशी विनियामकों के साथ भी शेयर किया जा सकता है।
  • विदेश में डेटा प्रसंस्करण को लेकर RBI का रुख स्पष्ट होने से कंपनियों को भविष्य के संदर्भ में अपनी प्रणाली में बदलाव करने में आसानी होगी लेकिन कंपनियों की दृष्टि से सिर्फ भारत में ही डेटा का संचयन समस्या पैदा कर सकता है।
  • RBI ने अप्रैल 2018 में डेटा स्थानीयकरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये थे और कंपनियों को इन नियमों के अनुपालन के लिये छः माह का समय दिया गया था। इन नियमों के संबंध में कंपनियों के विरोध के बावज़ूद केंद्रीय बैंक ने अपने निर्देशों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया। अब भुगतान क्षेत्र से संबंधित कंपनियाँ इन नियमों के अनुसार अपनी प्रणाली में बदलाव कर रही हैं।

डेटा-स्थानीयकरण

(Data Localisation)

  • डेटा स्थानीयकरण का अर्थ है कि भारतीय नागरिकों से संबंधित जानकारी या सूचनाओं का संकलन भारत में ही प्रसंस्कृत एवं संचित किया जाएगा। कोई भी कंपनी न तो देश के बाहर डेटा को ले जा सकती है और न ही देश से बाहर इसका उपयोग कर सकती है।

डेटा मिर्ररिंग (Data Mirroring)

  • वास्तविक समय में एक स्थान से एक संग्रहण डिवाइस (Storage Device) में डेटा की प्रतिलिपि बनाने का कार्य।
  • इस प्रक्रिया से डेटा पर निगरानी रखी जा सकती है, साथ ही किसी आपात स्थिति के कारण यदि डेटा नष्ट हो जाता है तो दोबारा डेटा को उत्पन्न किया जा सकता है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड्स

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