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भारतीय अर्थव्यवस्था

आंशिक ऋण गारंटी योजना

  • 14 Dec 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आंशिक ऋण गारंटी योजना, NBFCs, HFCs

मेन्स के लिये:

NBFCs/HFCs की अस्‍थायी तरलता (लिक्विडिटी) अथवा नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में आंशिक ऋण गारंटी योजना का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘आंशिक ऋण गारंटी योजना' को मंज़ूरी दी है जिसकी पेशकश भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) को करेगी।

प्रमुख बिंदु

  • वित्‍तीय दृष्टि से मज़बूत गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies-NBFCs)/आवास वित्‍त कंपनियों (Housing Finance Companies-HFCs) से उच्‍च रेटिंग वाली संयोजित परिसंपत्तियों की खरीद के लिये 'आंशिक ऋण गारंटी योजना' को मंज़ूरी दी गई है।
  • इसके तहत जो कुल गारंटी दी जाएगी, वह योजना के तहत बैंकों द्वारा खरीदी जा रही परिसंपत्तियों के उचित मूल्‍य के 10 प्रतिशत तक के प्राथमिक नुकसान अथवा 10,000 करोड़ रुपए, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित होगी, जैसा कि आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs-DEA) ने सहमति जताई है।
  • इस योजना के दायरे में वे NBFCs/HFCs आएंगी, जो 01 अगस्‍त, 2018 से पहले की एक वर्ष की अवधि के दौरान संभवत: 'SMA-0' श्रेणी में शामिल हो गई हैं। इसी तरह इस योजना के दायरे में वे संयोजित परिसंपत्तियाँ भी शामिल होंगी, जिन्‍हें 'BBB++' अथवा उससे अधिक की रेटिंग प्राप्‍त है।
  • भारत सरकार द्वारा की गई यह पेशकश एकबारगी आंशिक ऋण गारंटी की सुविधा 30 जून, 2020 तक अथवा बैंकों द्वारा 1,00,000 करोड़ रुपए मूल्‍य की परिसंपत्तियां खरीद लिये जाने की तिथि तक (इनमें से जो भी पहले हो) खुली रहेगी। इस योजना की दिशा में हुई प्रगति को ध्‍यान में रखते हुए इसकी वैधता अवधि को तीन माह तक बढ़ाने का अधिकार वित्‍त मंत्री को दिया गया है।

प्रमुख प्रभाव:

  • सरकार की ओर से प्रस्‍तावित गारंटी सहायता और इसके परिणामस्‍वरूप संयोजित परि‍सम्‍पत्तियों की खरीद (बायआउट) से NBFCs/HFCs को अपनी अस्‍थायी तरलता (लिक्विडिटी) अथवा नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही वे ऋणों के सृजन में निरंतर योगदान करने और कर्जदारों को अंतिम विकल्‍प वाले ऋण मुहैया कराने में समर्थ हो जाएंगे, जिससे आर्थिक विकास की गति तेज़ होगी।

पृष्‍ठभूमि:

केंद्रीय बजट 2019-20 में यह घोषणा की गई थी कि 'चालू वित्‍त वर्ष के दौरान वित्‍तीय दृष्टि से मज़बूत एनबीएफसी की कुल एक लाख करोड़ रुपये मूल्‍य की उच्‍च रेटिंग वाली संयोजित परिसंपत्तियों की खरीद के लिये सरकार 10 प्रतिशत तक के प्रथम नुकसान के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एकबारगी 6 माह की आंशिक ऋण गारंटी देगी।'

  • उपर्युक्‍त बजट घोषणा को ध्‍यान में रखते हुए पीएसबी द्वारा NBFCs/HFCs से परिसंपत्तियों की खरीद के लिये पीएसबी को सरकारी गारंटी देने के लिये 10 अगस्‍त, 2019 को एक योजना (23 सितंबर, 2019 को संशोधित) शुरू की गई थी।
    • इसके तहत गारंटी को इस योजना के तहत बैंकों द्वारा खरीदी गई परिसंपत्तियों के उचित मूल्‍य के 10 प्रतिशत अथवा 10,000 करोड़ रुपए, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित किया गया।
  • यह सुविधा इस योजना के शुरू होने की तिथि से लेकर 6 महीनों की अवधि अथवा बैंकों द्वारा 1,00,000 करोड़ रुपये मूल्‍य की परि‍सम्‍पत्तियों को खरीदे जाने की तिथि, इनमें से जो भी पहले हो, तक खुली रखी गई थी।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस योजना की पेशकश की जा रही है, जिससे इस योजना के तहत सरकार की गारंटी सहायता से संयोजित परिसंपत्तियों की खरीद संभव होने से दिवाला होने की स्थिति में आ चुकी NBFCs/HFCs की अस्‍थायी तरलता/नकद प्रवाह में असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। ऐसी स्थिति में NBFCs/HFCs को अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये अपनी-अपनी परि‍सम्‍पत्तियों की अंधाधुंध बिक्री करने के लिये विवश नहीं होना पड़ेगा। इससे अर्थव्‍यवस्‍था की ऋण संबंधी मांग का वित्‍तपोषण करने के साथ-साथ इस तरह की NBFCs/HFCs के विफल या दिवालिया होने के प्रतिकूल असर से देश की वित्‍तीय प्रणाली को संरक्षित करने के लिये संबंधित NBFCs/HFCs को आवश्‍यक तरलता प्राप्‍त होगी।

स्रोत: PIB

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